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1. मनुष्य पशु के रूप में
हिंसक है, परन्तु आत्मा के रूप में अहिंसक है.
2. जिस समय मनुष्य की आत्मा जागृत होती है तब वह हिंसक नही रहता.
3. धर्म एक ही बिंदु पर पहुँचने के भिन्न-भिन्न मार्ग है.
4. गांधीजी के लिए राजनीति केवल मनुष्य के जीवन का एक भाग है. राजनीति में राज्य की शक्ति में वृद्धि ने व्यक्तिकता को नष्ट करके मनुष्य जाती की
सबसे बड़ी क्षति की है.
5. गांधी जी राजनीति में सत्ता के सकेन्द्रिकरण और राजनितिक सत्ता से सम्बंधित हिंसा से नफरत
करते थे.
6. आन्तरिक रूप से धार्मिक व्यक्तियों का समूह शुद्ध राजनीति कर सकता है. 7. धर्म के राजनीतिकरण की टोपी मेरे लिए व्यर्थ है इसे उतारकर फेक देना ही उचित है.
8. गांधीजी राजनीतिक सत्ता को अंतिम लक्ष्य नही मानते बल्कि वह इसे लोगों को अपनी दशा
बेहतर बनाने का सार्थक साधन मानते थे. 9. गांधी जी के अनुसार सत्य ही इश्वर है, गांधीजी के अनुसार ज्ञान ही मानव को सत्य तक ले जाता है जबकि अज्ञानता मनुष्य को
सत्य से दूर ले जाती है.
10. सत्याग्रह का अर्थ सत्य के लिए लालसा है, अपने सत्य के प्रति दृढ रहने का साधन है
और अपने शत्रु को अपनी धारणा से प्रेम करवाने के लिए प्रेरित करने का साधन है.
11. गांधी जी ने स्वराज शब्द का गहन अर्थ दिया जिसका अर्थ आत्म नियंत्रण और आत्म संयम
है. 12. सभी प्रतिबंधो से स्वतंत्रता मिलना ही स्वराज नही है बल्कि स्वराज का मतलब लोगों
की आंतरिक शक्ति और क्षमता से है जो उन्हें सामजिक विश्व को समझने और नियंत्रण
करने में समर्थ बनाता है. 13. स्वराज सभी की बुनियादी आवश्यकता है यह किसी जाती, धर्म, सम्प्रदाय को नही जानता
है और ना ही इस पर शिक्षित व्यतियों का एकाधिकार है. 14. लोकतंत्र की बुनियाद मजबूत होनी चाहिए, सच्चे और इमानदार नेताओं की जीत होनी
चाहिए. 15. जो बदलाव आप दुनिया में देखना चाहते है वह बदलाव पहले स्वयं में लाये.