योगी तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले भाजपा के पहले मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश में योगी राज कायम हुए यानी सरकार बने तीन साल हो चुके हैं। इसके साथ की योगी आदित्यनाथ प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के ऐसे पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं, जिन्होंने तीन साल का कार्यकाल पूरा किया है। इससे पहले उत्तर प्रदेश में बनी भाजपा नीत विभिन्न सरकारों का नेतृत्व बतौर मुख्यमंत्री क्रमश: कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह ने किया, लेकिन इनमें से किसी का भी कार्यकाल इतना लंबा नहीं रहा। करीब 15 साल का राजनीतिक वनवास काटने यानी सत्ता से दूर रहने के बाद 19 मार्च 2017 को राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। अब बीते मार्च महीने में उत्तर प्रदेश में योगीराज कायम होने के तीन साल पूरे हो चुके हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चौथे मुख्यमंत्री भले ही हों, लेकिन अपनी सरकार के कार्यकाल का तीन साल पूरा करने वाले वो पहले मुख्यमंत्री बन गये हैं। तीन साल की इस अवधि में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अरसे से बेपटरी हो चुकी व्यवस्था को वापस पटरी पर लाने का काम किया, साथ ही इस दौरान उन्होंने जनहित में अनेक सख्त फैसले भी लिए और कामयाबी के कई रिकॉर्ड भी बनाए। किसान को आत्महत्या से बचाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने किसान कर्ज माफी योजना की शुरुआत की, जिसके तहत 86 लाख किसानों के एक लाख रुपए तक के कर्ज माफ किए गए। प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की पहल की जा रही है। ढाई वर्ष में बेसिक स्कूलों में 50 लाख नये बच्चे पहुंचे और सभी के लिए स्वेटर, यूनिफार्म, किताबें, खाने आदि का इंतजाम किया गया। योगी सरकार के सामने चुनौतियां कई थीं, लेकिन सरकार मुश्किलों को मौकों में बदल कर प्रदेश में सुशासन लाने में कामयाब रही। बीते साल बनते रहे रिकॉर्ड-दर-रिकॉर्ड
बात अगर बीते साल यानी 2019 की करें तो योगी सरकार का आगाज बेहद शानदार रहा। इतना शानदार कि देश ही नहीं पूरी दुनिया प्रयागराज के दिव्य और भव्य कुंभ की कायल हो गई। फिर तो वर्ष भर रिकॉर्ड-दर रिकॉर्ड बनते रहे। पहली बार इतने बड़े पैमाने पर प्रवासी भारतीयों का सम्मेलन हुआ। अयोध्या के दीपोत्सव, वृंदावन के रंगोत्सव, मथुरा के कृष्ण जन्मोत्सव और काशी के देव दीपावली की भव्यता को भी पूरी दुनिया ने सराहा। वर्षों पुराने पर बेहद संवेदनशील राम मंदिर पर आए फैसले के बाद की शांति ने सारी आशंकाओं को निर्मूल कर दिया। इसके लिए केंद्र सरका र ने भी योगी सरकार को शाबाशी दी। लोकतंत्र का कुंभ, लोकसभा चुनाव भी सकुशल संपन्न हुआ। निवेश के मोर्चे पर भी दूसरे ग्राउंड ब्रेकिंग सेरमनी का भी सफल आयोजन हुआ। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर 36 घंटे के रिकॉर्ड समय तक विधानसभा चली।
भविष्य में बदल जाएगी प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र की तस्वीर
मौजूदा
सरकार ने पूर्वांचल
के मासूमों के
लिए चार दशकों
से काल बनी
इंसेफेलाइटिस पर जिस
तरह काबू पाया,
उसकी भी पूरी
दुनिया में तारीफ
हुई। आम आदमी
को सस्ती और
बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं
मिलें, इसके लिए
सरकार लगातार प्रयास
करती रही। यह
सिलसिला जारी रहा
तो आने वाले
समय में प्रदेश
के स्वास्थ्य क्षेत्र
की तस्वीर बदल
जाएगी।
पूरी होने जा रही हैं दशकों से लटकी कई सिंचाई परियोजनाएं
चार दशकों से लटकी हुई कई सिंचाई परियोजनाएं योगी सरकार में पूरी होने जा रही हैं। इसमें बाणसागर परियोजना पूरी हो गई है, जबकि अर्जुन सहायक परियोजना, सरयू नहर परियोजना इसी वित्तीय वर्ष में पूर्ण होंगी। इससे 20 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचित होंगी। नहरों का पानी टेल तक पहुंचे, इसके लिए 45,000 किमी नहरों की सफाई करवाई जा चुकी है।
जीरो टालरेंस नीति पर काम कर रही है योगी सरकार
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपराध और भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस नीति पर काम कर रही है। अपराधी या तो जमानत रद्द करा कर जेल चले गए या प्रदेश से बाहर गए। भ्रष्ट अफसर भी लगातार सरकार के रडार पर रहे, इनमें से अनेक के खिलाफ कार्रवाई हुई। पिछले 3 वर्षों में योगी सरकार अलग-अलग विभागों के 200 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को जबरन रिटायर कर चुकी है। इन तीन वर्षों में योगी सरकार ने 500 से ज्यादा अफसरों, कर्मचारियों को निलंबन और डिमोशन जैसे दंड भी दिए हैं। इसमें ऊर्जा विभाग के 169 अधिकारियों, गृह विभाग के 51 अधिकारियों, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के 37 अधिकारियों, राजस्व विभाग के 36 अधिकारियों, बेसिक शिक्षा के 26 अधिकारियों, पंचायतीराज के 25 अधिकारियों, पीडब्ल्यूडी के 18 अधिकारियों, लेबर डिपार्टमेंट के 16 अधिकारियों, संस्थागत वित्त विभाग के 16 अधिकारियों, कॉमर्शियल टैक्स के 16 अधिकारियों, एंटरटेनमेंट टैक्स डिपार्टमेंट के 16 अधिकारियों, ग्राम्य विकास के 15 अधिकारियों, वन विभाग के 11 अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुकी है।
आयोजित किए गए कई विशेष सत्र
2019 में योगी सरकार ने विभिन्न सेक्टरों में रिकॉर्ड बनाने के साथ ही विधानसभा के विशेष सत्र को आयोजित कर कई रिकॉर्ड बनाए हैं। योगी सरकार ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के मौके पर 2 अक्टूबर को यूपी विधानमंडल का विशेष सत्र आयोजित किया। 36 घंटे से ऊपर सदन की कार्यवाही के दौरान सतत विकास और गरीबों की बेहतरी पर ऐतिहासिक चर्चा की गई। इतना ही नहीं संविधान दिवस पर यूपी विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाकर सदन में संवैधानिक मूल कर्तव्यों व संविधान के महान वास्तुकार डॉ. भीमराव आम्बेडकर के सिद्धांतों पर चर्चा की गई। इसके अलावा योगी सरकार ने साल 2019 को यादगार बनाने के लिए 31 दिसंबर को एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया। यह सत्र अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण को 10 साल आगे बढ़ाए जाने के केंद्र के संशोधन की संस्तुति के लिए बुलाया गया था।
नुकसान की भरपाई को उठाया उपद्रवियों की संपत्ति जब्त करने का कठोर कदम
यह पहली बार है जब देश में किसी प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइंस के अनुसार उपद्रवियों की संपत्ति जब्त करने का कठोर कदम उठाया। उपद्रवियों की संपत्ति जब्त कर सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का हर्जाना वसूलने में उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बना है। जिसे कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदयुरप्पा ने न केवल सराहा, बल्कि उन्होंने इसे कर्नाटक में भी उपद्रवियों के खिलाफ लागू किया। भारतीय रेल मंत्रालय ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले पर अमल किया। जिससे रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से भी रेलवे विभाग वसूली करेगा। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदेश में हुई हिंसा में अरबों रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। सीसीटीवी फुटेज और वीडियो के द्वारा उपद्रवियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। उपद्रवियों की संपत्ति जब्त कर सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का हर्जाना वसूला जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा राज
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन (1980) के करीब 11 साल बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार वर्ष 1991 में भगवा परचम लहराया। प्रदेश में वर्ष 1991 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद कल्याण सिंह 24 जून 1991 को राज्य के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने के चलते केंद्र की पीवी नरसिंहराव की सरकार ने उत्तर प्रदेश की सरकार को बर्खास्त कर दिया था। वर्ष 1997 के विधानसभा चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला। भाजपा ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ मिलकर छह-छह महीने की शर्त पर सरकार बनाई। बसपा की मायावती ने अपने छह महीने का कार्यकाल पूरा कर लिया, लेकिन भाजपा की बारी आई तो एक महीने के अंदर ही सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद शुरू हुआ था राजनीतिक दलों में तोड़फोड़ का सिलसिला। भाजपा ने कांग्रेस और बसपा के 20-20 विधायको तोड़ कर सरकार बचाई। अपनी मूल पार्टी से अलग हुये सभी विधायकों को मंत्री बनाया गया और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रीमंडल में मंत्रियों की संख्या 100 हो गई थी। बता दें कि उस वक्त मंत्रियों की संख्या 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं रखने का कानून अस्तित्व नही आया था। मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ही बने और सितम्बर 1997 से 11 जून 1999 तक मुख्यमंत्री रहे। बाद में उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई उन्हें केंद्र में मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन कल्याण सिंह ने मना कर दिया और भाजपा से बगावत करते हुए अपनी अलग पार्टी बना ली।
कल्याण सिंह को हटाकर राम प्रकाश गुप्त को 12 जून 1999 को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि भाजपा नेतृत्व ने बाद में अक्तूबर 2000 में राम प्रकाश गुप्तको हटाकर राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री बना दिया, उनका कार्यकाल 2002 मार्च तक रहा। इसके बाद भाजपा उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 तक सत्ता से दूर ही रही। देश में वर्ष 2014 में मोदी लहर के चलते केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनी। मोदी लहर के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला और सूबे में करीब 15 साल से जारी उसका राजनीतिक वनवास खत्म हुआ। योगी आदित्यनाथ 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री बनाये गये और बीते माह उन्होंने अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे किए हैं। जिसके बाद योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में भाजपा के ऐसे पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं, जिन्होंने तीन का कार्यकाल पूरा किया है।