क्या गलत कर दिया बाबा रामदेव ने ?
आयुष मंत्रालय कहाँ था जब मैक्स,फोर्टिस,आदि अस्पताल एक दिन के 80,000₹ ले
रहे थे, 535₹ की "कोरोनिल" बिकने पर
अचानक कैसे जाग गया? कोरोनिल पर विवाद
के तूल पकड़ने
जैसी मुहीम में
जैसे फेयर एंड लवली पिछले 40 साल में करोड़ों को गोरा बना चुकी है? #फेयर ऐंड
लवली से आज तक कितनी सांवली महिला गोरी हुई ? #हार्लिक्स,
बुस्ट ,कोम्पलान आदि पीकर आजतक कितने बच्चो की
हाईट या ईम्युन सिस्टम मजबूत हुआ ?? #दांतों की हमेशा
बेहतरीन सफाई का दावा करने वाले कोलगेट, #पेप्सोडेंट क्लोज-अप
आदि से मुह धोने के बाद भी डेंटिस्टों की दुकान धड़ल्ले से क्यों चल रहे हैं ?
#क्लीनिक प्लस ,गार्नियर हैंड एंड सोल्डर आदि शैंपू लगाने के बाद भी
भारत या दुनिया के लोग गंजे क्यों हो रहे हैं ? #महंगे
डियोडरेंट लगाने के बाद आज तक कितने अखंडियो को उनकी पसंद की लड़की के साथ सेटिंग
हुई? #पेप्सी, थम्जअप, कोका कोला, स्प्राइट, लिमका
आदि पीने के बाद क्या सच में शरीर मे ऐनर्जी आ जाती है ?? तो
कोरोनिल के खिलाफ चिल्लाने वालो ने इन सबके के खिलाफ आवाज क्यों नही उठाई ??
जैसी मुहीम के बिच नस्ली मानसिकता के खिलाफ अमेरिका समेत दुनिया भर
में चल रहे आंदोलनों तथा आयुष मंत्रालय के 535₹ की "कोरोनिल" बिकने पर विवाद के बीच यूनिलिवर कंपनी अपने
सौंदर्य उत्पाद 'फेयर ऐंड लवली' का नाम बदलने जा
रही है. यूनिलिवर कंपनी सिर्फ फेयर ऐंड लवली ब्रैंड से ही भारत में सालाना 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा का कारोबार करती है. दुनिया भर में अश्वेतों के
प्रति भेदभाव रोकने की मुहिम के बीच गोरे रंग को बढ़ावा देने वाली क्रीम को लेकर
भी सवाल उठ रहे थेयूनिलिवर कंपनी अपने सौंदर्य उत्पाद 'फेयर
ऐंड लवली' का नाम बदलने की योजना बना रही है. यूनिलिवर कंपनी
ने कहा है कि अब वह अपने ब्यूटी प्रोडक्ट से व्हाइट, फेयर और
लाइट जैसे शब्दों को हटा देगी और सभी रंग की महिलाओं को अपने विज्ञापनों में शामिल
करेगी. यूनिलिवर कंपनी ने कहा है कि वह अपने ब्रैंड की पैकेंजिंग से फेयर, व्हाइटनिंग और लाइटनिंग जैसे शब्दों को हटा देगी. इसके अलावा, विज्ञापनों और प्रचार सामग्री में हर रंग की महिलाओं को जगह दी जाएगी.
भारत के अलावा, यह क्रीम बांग्लादेश, इंडोनेशिया,
थाईलैंड, पाकिस्तान और एशिया के कई देशों में
बिकती है.| यूनिलिवर ब्यूटी ऐंड पर्सनल केयर डिवीजन के
अध्यक्ष सनी जैन ने कहा, "हम इस बात को समझते हैं कि
फेयर, व्हाइट और लाइट जैसे शब्द सुंदरता की एकपक्षीय परिभाषा
को जाहिर करते हैं जोकि सही नहीं है. हम इसे सुधारना चाहते हैं." भारत समेत
एशियाई देशों में गोरे रंग को लेकर कुछ ज्यादा ही क्रेज है. गोरे रंग को केवल
सुंदरता ही नहीं बल्कि स्टेटस और पैसे से भी जोड़कर देखा जाता है. इसी मानसिकता को
लॉरियल, प्रॉक्टर ऐंड गैंबल जैसी तमाम कंपनियां भुनाती हैं
और गोरे रंग की स्किन का वादा करने वाले तमाम उत्पाद पेश करती हैं.|
इशारा साफ है कि रामदेव ने इनके आगे हड्डी नही
डाली है, तभी ये पागल हुए हैं और रामदेव किसी को ये दवा
जबरदस्ती तो पिला नही रहे है तो फिर इनके पेट में दर्द क्यों उठ रहे हैं ??
और बाबा रामदेव भी निहायत ही बेवकूफ आदमी है...कोरोनिल नाम न रख कर
कोई बड़ी टेढ़ी सी अंग्रेजी नाम रखते और
दवाई का दाम कई गुना बढ़ा कर उसका कुछ पैसा बड़े अधिकारियों के मुह पर मारते,
ताकि वो भी खुश रहते और कुछ हिस्सा बड़े बड़े ऐडवटाईजमेंट एजेंसी को
देते जिससे वो लुभावने भाषा मे कोरोनिल का प्रचार करते और जनता भी ये और अधिक दाम
और लुभाव ने प्रचार को देख कर तुरंत विश्वाश कर लेती .....याद रहे हम भारतीय वही
लोग हैं जो सिरदर्द की सरकारी गोली जो 50 पैसे की आती है वो
न लेकर बड़े मार्डन अस्पताल मे जाकर #"माईग्रेन
हेडेक" के नाम पर हजारो की जांच करवायेंगे और जो सरदर्द 50 पैसे में ठीक हो सकता था उसे 50 हजार में ठीक
करेंगे.....#क्योकि हमको भारतीयों को पैदा होने के साथ ही ये
सिखा दिया जाता है कि "बड़ा नाम और
महंगा है तो बेहतर है "मुस्लिमों की एक संस्था वक्फ लैबोरेट्रीज जो हमदर्द के
नाम से कई प्रोडक्ट बनाती है उसने अपने कुछ दवाओं के बारे में इतने बढ़ा चढ़ा के
दावे किए हैं लेकिन आज तक किसी भी व्यक्ति ने उस उन दावों पर सवाल नहीं उठाया उसकी
एक टानिक जिसे वह सिंकारा के नाम से बेचती है वह कहती है कि आप इसे पीते ही एकदम
जोश और स्फूर्ति से भर जाएंगे वृंदा करात जो पतंजलि की हर दवाओं को तमाम
लेबोरेटरीज में भेज कर उसका रिपोर्ट लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करती थी उन्होंने कभी
सिंकारा पीकर प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की एक
शरबत है रूह अफजा, वक्फ लेब्रोटरी दावा करता है कि इसमें ताजे गुलाब डाले गए
लेकिन क्या आज तक किसी ने लैब में परीक्षण करके यह पता लगाया कि इसमें सच में ताजे
गुलाब डाले गए हैं या विदेशों से गुलाब का केमिकल एसेंस डाला गया है? एक सिरप साफी के नाम से बेचता है और दावा करता है कि अब खून को पूरी तरह
से साफ कर देता है मैंने आज तक मीडिया या सोशल मीडिया में कभी नहीं देखा किसी ने
उस पर सवाल उठाया हो आखिर इस साफी में ऐसा
क्या चीज है कि ये खून को फिल्टर कर देती
है ?और अपने बड़े-बड़े दावों के समर्थन में वक्फ लैबोरेट्री
यानी मुसलमानों की यह संस्था कौन सी जांच रिपोर्ट का हवाला कर दे रही है? ऐसे ही या एक दवा रोगन बादाम के नाम से बेचती है और दावा करती है कि यह
बादाम का अर्क यानी जूस है और 100 ग्राम का सीसी यह 750 में बेचती है मेरा फिर वही सवाल क्या किसी ने
सवाल उठाया कि असली बादाम है या बादाम के एसेंस हैं मैंने अपने एक मित्र से पूछा
तब उन्होंने बताया कि अगर आपको 100ml बादाम का कंसंट्रेटेड
एसेंस निकालना होगा तो उसके लिए कम से कम आपको 5 किलो बादाम
चाहिए अब आप 5 किलो बादाम की कीमत करीब ढाई से ₹3000 होगी और यह कंपनी आपको मात्र ₹700 मे 100ml बादाम का एसेंस
कैसे दे रही है ? इसी
तरह आप हमदर्द के सारे प्रोडक्ट देख लीजिए सिर्फ बड़े-बड़े दावे किए गए हैं कहीं
कोई सच्चाई नहीं आज तक किसी भी नेता ने हमदर्द के दवाओं के बड़े-बड़े वादाओं पर
कभी कोई सवाल नहीं उठाया लेकिन बाबा की दवा क्या आयी , जैसे
ज़हर आ गया।कुछ पत्रकारों ने लिखा की बाबा के झूट का पर्दाफाश । बाबा कि मुश्किलें
बढ़ी। अरे भाई एक हिंदुस्तानी ने मेहनत करके एक दवा बनायी जो दुनिया में भारत और
आयुर्वेद का परचम लहरा सकती है। हम हिंदुस्तानियों को गौरव होना चाहिए। पर,
वामी- कामी, पण्डित, नेता-
वेता, पत्रकार चाटुकार, उचक्के,
सब बाबा के ख़िलाफ़ ऐसे पिल पड़े जैसे मोदी ने राहुल की पीएम की
कुर्शी छीन ली हो। जब बाबा की दवा आएगी तो सबसे पहले ये खांग्रेशी, वामी, और जो फेसबुक पर उछल कूद कर रहे है यानी बाबा
को रात दिन गालियाँ बक रहे हैं। वो लोग ही
लेकर आएँगे। मुझे पता है कि बाबा रामदेव की कोरोनिल कोई कोरोना की औषधि
नहीं है। लेकिन जब वह आ जाएगी तो मैं उसे लाऊँगा ज़रूर। दवा और धर्म सदैव विश्वास
पर ही चलता है। हाइड्रोक्लोरोक्वीन हो या रेमीडिसिबीर व आर्सेनिक अल्बम कोई भी दवा
कोरोना की नहीं है।।ये लोग अश्वगंधा, गिलोय, नीबू, ज़िंक सल्फ़ेट, विटामिन
बी, सी, डी व ई आदि सब लेते हैं। तब
बाबा की दवा क्या कोई ज़हर है। सरकार को चाहिए अपनी टीम भेजकर बाबा ने जो प्रोसिस पूरे नहीं किए उनको पूरा
करवाये और यदि इस दवा से कोरोना मरीज़ ठीक होते है तो इसको पूरी दुनिया मैं योग की
तरह प्रचार करे। आज सारी दुनिया के देश कोरोना की दवा बनाने में जुटे है । भारत
में कोई बना रहा है तो उसकी टांग खिची जा रही है। अगर पतंजलि कोई उत्पाद लांच करती
है तो पूरा सोशल मीडिया सारे नेता सारे सेकुलर चीफ फार्मासिस्ट ऐसे ज्ञान देते हैं
जैसे उनसे बड़ा ज्ञानी धरती पर कोई नहीं
दरअसल बाबा रामदेव का सबसे बड़ा अपराध यह है कि उन्होंने भगवा वस्त्र धारण किया
सोचिए रामदेव खुद एक ऐसे समुदाय से आते हैं जो ब्राम्हण नहीं है फिर भी यह दिलीप
मंडल से लेकर बृंदा करात सीताराम येचुरी असदुद्दीन ओवैसी सब के सब उन पर इसलिए टूट
पड़ते हैं क्योंकि उन्होंने भगवा धारण किया है आज तक किसी भी नेता ने हमदर्द के
दवाओं के बड़े-बड़े वादाओं पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया लेकिन बाबा की दवा क्या आयी
जैसे ज़हर आ गया।कुछ पत्रकारों ने लिखा की बाबा के झूट का पर्दाफाश । बाबा कि
मुश्किलें बढ़ी। अरे भाई एक हिंदुस्तानी ने मेहनत करके एक दवा बनायी जो दुनिया में
भारत और आयुर्वेद का परचम लहरा सकती है। हम हिंदुस्तानियों को गौरव होना चाहिए। पर
लल्लू -कल्लू , टुल्लू
मूल्लू , वामी- कामी, पण्डित , नेता-
लेता, पत्तलकार- चाटुकार , उचक्के, सब
बाबा के ख़िलाफ़ ऐसे पिल पड़े जैसे मोदी ने राहुल की पीएम की कुर्शी छीन ली हो। जब
बाबा की दवा आएगी तो सबसे पहले ये खांग्रेशी, वामी, मुल्हा, मोलवी, बामन, और जो फ़ेस्बुक पर उछल कूद कर रहे है यानी बाबा को रात दिन गालियाँ बक रहे
हैं। वो लोग ही लेकर आएँगे। मुझे पता है
कि बाबा रामदेव की कोरोनिल कोई कोरोना की औषधि नहीं है। लेकिन जब वह आ जाएगी तो
मैं उसे लाऊँगा ज़रूर। दवा और धर्म सदैव विश्वास पर ही चलता है।
हाइड्रोक्लोरोक्वीन हो या रेमीडिसिबीर व आर्सेनिक अल्बम कोई भी दवा कोरोना की नहीं
है।।ये लोग अश्वगंधा, गिलोय, नीबू,
ज़िंक सल्फ़ेट, विटामिन बी, सी, डी व ई आदि सब लेते हैं। तब बाबा की दवा क्या
कोई ज़हर है। सरकार को चाहिए अपनी टीम भेजकर
बाबा ने जो प्रोसिस पूरे नहीं किए उनको पूरा करवाये और यदि इस दवा से
कोरोना मरीज़ ठीक होते है तो इसको पूरी दुनिया मैं योग की तरह प्रचार करे। आज सारी
दुनिया के देश कोरोना की दवा बनाने में जुटे है । भारत में कोई बना रहा है तो उसकी
टांग खिची जा रही है। अगर पतंजलि कोई उत्पाद लांच करती है तो पूरा सोशल मीडिया
सारे नेता सारे सेकुलर चीफ फार्मासिस्ट ऐसे ज्ञान देते हैं जैसे उनसे बड़ा ज्ञानी धरती पर कोई नहीं दरअसल बाबा
रामदेव का सबसे बड़ा अपराध यह है कि उन्होंने भगवा वस्त्र धारण किया सोचिए रामदेव
खुद एक ऐसे समुदाय से आते हैं जो ब्राम्हण नहीं है फिर भी यह दिलीप मंडल से लेकर
बृंदा करात सीताराम येचुरी असदुद्दीन ओवैसी सब के सब उन पर इसलिए टूट पड़ते हैं
क्योंकि उन्होंने भगवा धारण किया है