सैनिकों की बेजोड़ बहादुरी है विश्व के सबसे बड़े सैन्य दल 'भारतीय थल सेना' की ताकत
भारतीय सेना आज विश्व की सबसे बड़ी (चीनी सेना में सैनिकों की संख्या घटाए जाने के बाद) और अनुशासित सेना मानी जाती है। भारतीय सेना में आज लगभग 14 लाख एक्टिव सैनिक है और 21 लाख सैनिक भारत के लिए रिजर्व है। भारतीय सेना ने अपनी बहादुरी और युद्ध कौशल का परिचय विश्व युद्ध से लेकर पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश, सर्जिकल स्ट्राइक, मुंबई 26/11 जैसे हमले के मौकों पर बखूबी दिया है। आजादी मिलने के बाद भारत ने अपनी सेना को व्यवस्थित किया और एक अच्छे प्रशिक्षण और अत्याधुनिक तकनीक से लैस तमाम युद्धक साजो-सामान से सुसज्जित होने के बाद एक मजबूत सेना बन गई है। भारतीय थल सेना के पास अब एक से एक खतरनाक मिसाइल, बम, राइफल, तोप और टैंक मौजूद हैं।
अर्जुन मार्क-2 टैंक
भारत में बना स्वदेशी टैंक अर्जुन मार्क-2, 2009 में भारतीय सेना में शामिल हुआ। भारतीय सीमा की कर रहा है सुरक्षा। अर्जुन टैंक में 120 एमएम की मेन राइफल गन लगी है, जिसमें भारत निर्मित आर्मर का प्रयोग किया गया है। इसमें पीकेटी-7।62 एमएम की कोएक्सिगल मशीनगन लगी है। इसकी अधिकतक गति 67 किमी प्रति घंटा है। सेना में शामिल होने के बाद नए बदलावों की जरुरत हुई जिसके बाद इसमें कुछ नए अपग्रेड किये गए। लम्बी दूरी की मिसाइल इसमें फिट की गई। साथ ही नाईट विजन कैमरा भी इसके अन्दर लगाया गया है जो कि रात के वक्त भी दुश्मनों को दुधने में सक्षम है। दुश्मन के हेलिकोप्टर से निपटने के लिए एडवांस एयर डिफेन्स गन लगाई गई है। रास्ते में बिछी एंटी टैंक माइंस को भी हटाने में सक्षम है। इसका ऑटोमेंटेड सिस्टम लेजर गाइडेंस द्वारा लगाए गए निशाने को भी धोका दे सकता है। 360 डिग्री निगरानी करने में सक्षम है। इसके विकसित वेरियंट को मार्क-2 नाम दिया गया है।
टी- 90 भीष्म
टी- 90 भीष्म को भारत ने वर्ष 2001 में रूस से लिया था। तीसरी पीढ़ी का यह टैंक भारतीय सेना के सबसे भरोसेमंद हथियारों में से एक माना जाता है। 125 मिलीमीटर की एक कैनन है जो अलग -अलग किस्म के गोले दाग सकती है। रेत, दलदल और पानी में आसानी से चल सकता है। एंटी एयरक्राफ्ट गन लगी है जो हवाई हमले से इसे बचाती है। इसकी 12.7 मिलीमीटर की बुलेट 2 किमी दूरी से दुश्मन के हेलिकॉप्टर पर वार कर सकती है। यह एक मिनट में 800 गोलियां चलाने में सक्षम है और रिमोट और मैनुअल दोनों तरह से कंट्रोल की जा सकती है।
टी- 72 टैंक
टी-72 एक सोवियत टैंक है। भारत ने 1978 में यह टैंक रूसे से खरीदे थे। 125 एमएम बैरल वाले इस टैंक की रेंज 480 किमी है। इसमें एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल लगी हुई है। यह 60 किमी प्रति घंटा की गति से आगे बढ़ने में सक्षम है। स्मोग के जरिए खुद को छुपाने में कामयाब यह टैंक चीन और पाकिस्तान के मुकाबले के लिए कारगर हथियारों में माना जाता है।
बोफोर्स तोप
तमाम कारणों से चर्चित रही 155 एमएम की बोफोर्स तोप को होवित्जर गन के नाम से भी जाना जाता है। इसकी गन 70 डिग्री तक खड़ी हो सकती है। बोफोर्स की रेंज 42 किमी है। कारगिल के युद्ध में बोफोर्स तोप ने अहम भूमिका निभाई थी।
देसी बोफोर्स - धनुष होवित्जर
स्वदेशी तकनीक से बनी धनुष 155 एमएम टोड होवित्जर तोप बोफोर्स की तर्ज पर बनाई गई है, इसलिए इसे देसी बोफोर्स भी कहा जाता है। सेटेलाइट द्वारा टारगेट को पहचानना इस 38 किमी रेंज वाली तोप इसकी खासियत है। धनुष होवित्जर इर्निशयल नैविगेशन सिस्टम, ऑन-बोर्ड बैलिस्टिक कंप्यूटर, डायरेक्ट डे-नाइट फायरिंग सिस्टम, लक्ष्य खोजने वाली आधुनिक प्रणाली और संचार प्रणाली जैसी नवीनतम सुविधाओं से लैस सबसे कुशल तोप प्रणाली है। धनुष का डिजाइन भारत द्वारा 1980 के दशक में खरीदी गई बोफोर्स होवित्जर एफएच 77 पर आधारित है। डिजाइन गन कैरेज बोर्ड ने तैयार किया है और इसे जबलपुर गन कैरेज फैक्ट्री ने बनाया है। वर्ष 2018 में विकास परीक्षण पूरे किए जाने के बाद वर्ष 2019 से इसका उत्पादन शुरू किया गया।
के-9 वज्र
के-9 वज्र एक सेल्फ प्रोपेल गन है, जो खुद मूव कर सकती है। इसकी रेंज 28-38 किमी है। यह आधुनिक तकनीक से लैस है और इसमें नाईट विजन सिस्टम भी है। यह तोप 45 टन वजनी है। के-9 वज्र को लार्सन एंड टुब्रो कंपनी ने कोरियाई कम्पनी 'हनुआ टेक्विन' की मदद से बनाया है। यह सीबीआरएल' तकनीक से लैस है और यूक्लियर हमले से निपटने के लिए सक्षम है। के-9 वज्र 3 सेकंड में तीन गोले दागने में सक्षम है। इसकी खासियत यह है कि यह सेल्फ प्रोपेल्ड है जिसका मतलब होता है कि इस तोप को आप कहीं भी ले जा सकते है। जिसके चलते यह पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध के लिए कारगर है। के-9 वज्र जीपीएस सुविधाओं से भी लैस है।
के-777
अमेरिका से खरीदी गई के-777, अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप हाल ही में भारतीय सेना में शामिल की गई है। इसकी मारक क्षमता 31 किमी तक है। 360 डिग्री मूवमेंट वाली यह तोप हाई एल्टीट्यूड वार फेयर (उंचाई पर बैठे दुश्मनों से लड़ाई) है। भारत ने 145 और के-777 होवित्जर का आर्डर दिया है, जिनकी आपूर्ति 2021 तक होगी। यह 155/39 एमएम की तोप है, जिसे चलाने के लिएं आठ जवान होते हैं। यह 1 मिनट में 4 गोले दाग सकती है। इस तोप को चिनूक हेलिकॉप्टर के द्वारा कहीं भी ले जाया जा सकता है।
अमेरिकी असॉल्ट राइफल- सिग 716
भारत-चीन तनाव के बीच भारतीय सेना अब अमेरिकी कंपनी सिग सोर की 72हजार सिग 716 असॉल्ट राइफल और खरीदने की तैयारी में है। यह सिग 716 असॉल्ट राइफल की दूसरी खेप होगी। 70 हजार सिग 716 असॉल्ट राइफल की खेप पहले ही उत्तरी कमान और अन्य ऑपरेशनल इलाकों में सैनिकों के पास पहुंच चुकी है। सीमा पर तनाव के बाद उत्पन्न युद्धक स्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए सशस्त्र बलों को दी गई वित्तीय शक्तियों के तहत अब अमेरिका से 72000 सिग 716 असॉल्ट राइफल की खरीद की जा रही है। नई राइफलों को मौजूदा भारतीय स्माल आर्म्स सिस्टम (5.56 गुणा 45 एमएम) राइफलों की जगह इस्तेमाल किया जाएगा। इन्हें आयुध कारखाना बोर्ड की ओर से स्थानीय स्तर पर निर्मित किया जाएगा। बता दें कि फास्ट ट्रैक खरीद के तहत भारत 70 हजार सिग 716 असॉल्ट राइफल पहले ही खरीद चुका है। भारतीय सेना इस खेप को आतंकवाद-रोधी अभियानों में शामिल सैनिकों को मुहैया करा चुकी है।
इजरायली एलएमजी नेगेव
भारतीय सेना को और सक्षम बनाने के क्रम में रक्षा मंत्रालय ने इजरायली कंपनी फर्म इजरायल वेपंस इंडस्ट्रीज (आइडब्ल्यूआइ) के साथ 16,479 लाइट मशीन गन (एलएमजी) 'नेगेव' खरीदने का सौदा किया है। प्रति मिनट 850 फायर करने वाली 'नेगेव' दुनिया की सर्वश्रेष्ठ मशीनगनों में शुमार की जाती है। महज साढ़े सात किलोग्राम वजन वाली 7.62 एमएम कैलिबर की नेगेव एलएमजी आमने-सामने की लड़ाई में आजमाया हुआ एक बेहतरीन हथियार मानी जाती है। नेगेव एलएमजी का इस्तेमाल जमीनी लड़ाई के साथ ही हेलीकॉप्टर और छोटे समुद्री जहाजों में आसानी से किया जा सकता है। 7.62 एमएम कैलिबर की नेगेव के टेलीस्कोप से निशाना लेकर महज एक गोली दागकर ही दुश्मन का निपटारा किया जा सकता है और ऑटोमैटिक मोड में फायर खोलकर भी दुश्मनों पर कहर बरपा सकते हैं।