तीर्थ नगरी हरिद्वार में गंगा नदी में हो रहे खनन के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए विस्तृत जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि गंगा नदी में किसकी अनुमति से खनन हो रहा है।
हरिद्वार के कनखल स्थित मातृ सदन की ओर से इस मामले को चुनौती दी गयी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की ओर से इसी साल फरवरी, 2022 में गंगा नदी में खनन पर प्रतिबंध जारी कर दिया गया है।
इसके बावजूद रायपुर से भोपुरा तक गंगा नदी में कई स्थानों पर खनन कार्य चल रहा है। मशीनों से खनन किया जा रहा है। यही नहीं वैज्ञानिक अध्ययनों से भी साफ है कि गंगा नदी में खनन कार्य नहीं होना चाहिए। सरकार की ओर से कहा गया कि उच्च न्यायालय ने 2016 में एक आदेश जारी कर गंगा में खनन पर प्रतिबंध जारी कर दिया गया था लेकिन शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगनादेश जारी कर दिया है।
आज सुनवाई के दाैरान अदालत ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार से पूछा है कि गंगा नदी में कहां-कहां खनन हो रहा है और किस प्राधिकार के तहत खनन हो रहा है। साथ ही सरकार एनएमसीजी के निर्देशों का पालन क्यों नहीं कर रही है। अदालत ने सरकार से तीनों मामलों में आगामी 8 मार्च तक जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 8 मार्च को होगी।