लॉकडाउन में नियम प्रतिबद्धता का पालन करने को पिता के अंतिम दर्शन करने नहीं गए योगी
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौडा के पौत्र और पूर्वसीएम कुमारस्वामी के अभिनेता-नेता पुत्र की शादी में आयोजित हुआ भव्य समारोह
देवेगौडा खानदान ने देश और समाज के मुकाबले अपने परिवार को प्रथम माना-समझा, नियम-कायदों को धता बताकर आयोजित किया विवाहोत्सव
देश में आजकल दो राज्यों उत्तर प्रदेश और कर्नाटक से जुड़ी इन दो अलग-अलग तरह की घटनाओं को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। यूपी संबद्ध मामले की चहुंओर सराहना की जा रही है, वहीं कर्नाटक के मामले में संबंधित राजनीतिक खानदान की जमकर छीछालेदर की जा रही है। कोरोना संकटकाल में कर्मयोगी और बड़े राजनीतिक खानदान की सोच का अन्तर पूरी तरह उजागर हो गया। उत्तर प्रदेश से जुड़ी घटना शोक की है, जिसमें एक कर्मयोगी अपने कर्मक्षेत्र के दायित्वबोध को समझते हुए पिता के निधन के बावजूद न केवल अफसरों संग बैठक जारी रखता है और लॉकडाउन के कारण अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं होता और दूसरा मामला कर्नाटक के एक बड़े राजनीतिक खानदान से जुड़े वैवाहिक आयोजना का है। जी हां हम यहां यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता के निधन और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौडा और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी के पारिवार में हुए विवाहोत्सव की बात ही कर रहे हैं।
एक तरफ जहां लॉकडाउन लागू होने के बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री अपने परिजन की शादी में नियमों के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आए, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना संकटकाल में नियमों पालन के मामले प्रतिबद्धता निभाते हुए पिता के अंतिम दर्शन करने नहीं जाने का फैसला करके सार्वजनिक जीवन में दायित्व निर्वहन की एक नई मिसाल कायम की। दोनों मामलों में अन्तर सिर्फ व्यक्ति विशेष की सोच का ही तो है। एक तरफ योगी जी जैसे कर्तव्यनिष्ठ कर्मयोगी हैं और दूसरी तरफ कोरोना संक्रमणकाल में लॉकडाउन और सामाजिक दूरियों का उल्लंघन करके उत्सव मनाकर अपनी संकुचित सोच प्रदर्शन् करने वाले एचडी देवेगौडा और एचडी कुमारास्वामी जैसे आत्मकेंद्रित नेतागण। पहले उत्तर प्रदेश की बात करते हैं। बीती 21 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट (89) का निधन हो गया। देशव्यापी लॉकडाउन के कारण श्री योगी ने अपने जन्मदाता के के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने का फैसला किया। हालांकि यदि वे चाहते तो अपने पूर्वाश्रम के पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हो सकते थे, लेकिन मुख्यमंत्री योगी ने कोरोना संकटकाल में लॉकडाउन लागू होने के चलते नियम प्रतिबद्धता निभाई और वे अपने पिता के अंतिम दर्शन करने तक नहीं गए।
सर्वविदित है कि योगी आदित्यनाथ अपने युवाकाल में ही सांसारिक जीवन से सन्यास ले चुके हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से अरसा पहले से ही गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठा के पीठाधीश्वर हैं। योगी जी के इस फैसले ने जनसामान्य में उनके कर्मयोगी होने की छवि को और मजबूत करने का ही काम किया है। उन्होंने अपनी मां को एक पत्र लिखकर पिता के निधन पर भारी शोक जताते हुए परिजनों से अन्तिम संस्कार में सीमित लोगों को ही शामिल करने की अपील की। उन्होंने लॉकडाउन के बाद अपने परिवार से मिलने उत्तराखंड जाने की बात कही। दरअसल वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में अपने कर्तव्यबोध के कारण ही योगी आदित्यनाथ ने यह निर्णय किया। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में दायित्व निर्वहन की एक नई मिसाल कायम की है, जिसकी जितनी सराहना की जाए कम ही है।
पिता के निधन के बावजूद राजधर्म के पालन को दी प्राथमिकता
गौरतलब है कि पिता की हालत बेहद गम्भीर होने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान विभिन्न स्थितियों को लेकर अधिकारियों से फीडबैक ले रहे थे। दरअसल योगी जी को जब अपने पिता के निधन की खबर मिली तब लॉकडाउन को गठित टीम-11 की नियमित मीटिंग मुख्यमंत्री आवास 5 कालिदास मार्ग पर चल रही थी। हॉल में मौजूद सभी को योगी जी की आंखों में नमी साफ दिख रही थी और वहां सभी को यह अनुमान हो चुका था कि मुख्यमंत्री के पिताजी का देहान्त हो गया है। हालांकि मुख्यमंत्री ने यह खबर सुनने के बावजूद राजधर्म के पालन को प्राथमिकता दी और कुछेक पल के लिए शांत रहने के उपरांत योगी जी ने अफसरों से फीडबैक लेकर उन्हें दिशा-निर्देश देने शुरू कर दिए। यूपी के 23 करोड़ लोगों के हितार्थ बाद में भी मुख्यमंत्री की कार्यशैली नियमित ठीक रोजमर्रा की तरह ही चलती रही। पिता की मृत्यु भी उन्हें अपने राजधर्म को निभाने के पथ पर चलने से विचलित नहीं कर सकी।
देवेगौडा परिवार ने लॉकडाउन में विवाहोत्सव आयोजित करके नियम-कायदों का उड़ाया मखौल
दूसरा मामला भी अब देश के अधिकांश लोगों के संज्ञान में है। संयुक्त मोर्चा सरकार में कभी देश के प्रधानमंत्री रहे हरदन हल्ली डौडे गौडा देवेगौडा के पौत्र और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी के अभिनेता से नेता बने पुत्र निखिल कुमारस्वामी की शादी कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मंत्री एम.कृष्णाप्पा की नातिन रेवती संग हुई है। इस साल फरवरी माह में दोनों की सगाई हुई थी। कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से देशभर में लाखों विवाह समारोहों पर ग्रहण लग गया है। शुभ मुहूर्त के बावजूद वैवाहिक समारोह टालने पड़ रहे हैं। लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के कारण न तो कहीं शहनाई की धुन सुनाई पड़ रही है और न बैंड-बाजों की गूंज और आतिशबाजी का धूम-धड़ाका भी नदारद है। ऐसे में राजनीतिक परिवार द्वारा भव्य वैवाहिक समारोह आयोजित करने पर सवाल उठने लाजिमी है।
अभिनेता से नेता बने हैं निखिल
बता दें कि एचडी कुमारास्वामी के पुत्र निखिल ने वर्ष 2016 में बहुभाषी (कन्नड़-तेलुगु) फिल्म जगुआर से अपना फिल्मी करियर शुरू किया था। वर्ष 2019 में निखिल की दूसरी फिल्म 'सीतारामा कल्याणा' रिलीज हुई। अभिनेता से नेता बने निखिल कुमारास्वामी ने अपने परिवार का गढ़ मानी जाने वाली मांड्या सीट से पिछले साल यानी 2019 के लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतर कर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वर्तमान में निखिल युवा जनता दल (सेक्युलर) के अध्यक्ष है।
एचडी कुमारस्वामी ने सादे समारोह में शादी कराने का किया था दावा
एचडी कुमारस्वामी ने विवाहोत्सव के आयोजन से पहले दावा किया था कि शादी बेहद सादे समारोह में होगी और सिर्फ परिवार के 50-60 लोग ही इसमें शामिल होंगे। कर्नाटक सरकार ने लॉकडाउन के बीच हो रही इस शादी के लिए नियमों के पालन सुनिश्चित किए जाने के आश्वासन के साथ सशर्त अनुमति दी थी। लॉकडाउन के बीच बंगलुरु के रामनगरा में देवेगौडा परिवार के फार्महाउस पर शाही तरीके से निखिल कुमारस्वामी और रेवती की शादी शाही तरीके से भव्य समारोह में सम्पन्न हुई। शादी को लेकर सवाल उठाए जाने पर कुमारस्वामी ने ट्वीट करके निखिल और रेवती की शादी बेहद सादगी से करने का दावा किया। उन्होंने कहा कि हमने इस शादी के दौरान सभी दिशानिर्देशों का पालन किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लॉकडाउन के नियम-कानून को धता बताते हुए इस हाइप्रोफाइल शादी समारोह में करीब दो-तीन सौ लोग शामिल हुए। समारोह के फोटो और वीडियो देखकर भी साफ नजर आता है कि इस आयोजन में किसी ने भी न तो मॉस्क और ग्लव्ज ही पहने हुए थे और सोशल डिस्टेसिंग का भी पालन नहीं किया गया।
हालांकि एचडी देवेगौडा और एचडी कुमारास्वामी यदि अपने पूर्व पदों की गरिमा का ध्यान रखते तो इस शादी को स्थगित करके नियमों की अवहेलना करने से बच सकते थे और एक मिसाल भी कायम कर सकते थे, लेकिन इन तथाकथित बड़े नेताओं ने अपनी संकीर्ण सोच को तरजीह दी। देश और समाज के मुकाबले अपने परिवार को प्रथम माना-समझा। इससे इतर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिता की मृत्यु के बावजूद राजधर्म का पालन करने को प्राथमिकता दी और लॉकडाउन संबंधी नियमों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता निभाई। इन दोनों मामलों में एक कर्मयोगी और रसूखदार राजनीतिक खानदान की सोच का अंतर पूरी तरह से साफ दिखा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां जनहित और राजधर्म निभाने को प्राथमिकता दी, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौडा व उनके पूर्व सीएम पुत्र कुमारस्वामी के कुनबे ने परिवारवाद में नियमों की अनदेखी करने को अपनी शान समझा।