उत्तर प्रदेश में गुरुवार को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के क्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लगातार दूसरी बार चुनावी जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है।
चुनाव आयोग द्वारा 403 सदस्यीय विधानसभा की 397 सीटों के घोषित परिणाम के मुताबिक भाजपा 253 सीट जीत चुकी थी और एक सीट पर निर्णायक बढ़त बनाये हुये है। इसके अलावा मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) को 107 सीट पर जीत मिली है और 05 सीट पर उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। गौरतलब है कि गुरुवार को सुबह आठ बजे मतगणना शुरु होने के बाद मध्यरात्रि तक 06 सीटों पर चुनाव के नतीजे घोषित होना बाकी थे। घोषित नतीजों वाली सीटों में से भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) को 12 और निषाद पार्टी को 06 सीट मिली है। इस प्रकार भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन राजग को 271 सीट मिल चुकी है। वहीं, सपा गठबंधन के घटक दल रालोद को इस चुनाव में 08 और सुभासपा को 06 सीट पर संतोष करना पड़ा। इस प्रकार सपा गठबंधन को 121 सीट ही मिल सकी।
कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने भी दो सीटें (कुंडा और बाबागंज) जीत ली हैं। इन दो सीटों पर उनका पिछले चुनाव में भी कब्जा था। इसके अलावा बसपा को मात्र 01 और कांग्रेस को 02 सीट ही मिली है। इन दोनों दलों का अपने चुनावी इतिहास में अब तक का यह सबसे खराब प्रदर्शन माना जायेगा।
उल्लेखनीय है कि 2017 के चुनाव में भाजपा को 312 सीट मिली थी, जबकि सपा को 47, बसपा को 19 और कांग्रेस को सात सीट मिली थी। नफा नुकसान के लिहाज से देखा जाये ताे भाजपा को पिछले चुनाव की तुलना में लगभग 65 सीट का नुकसान हुआ है। जबकि सपा अपने पुराने रिपोर्ट कार्ड को बेहतर कर सीटों की संख्या दोगुनी से अधिक करने में कामयाब रही है। इससे इतर बसपा और कांग्रेस ने इस चुनाव में अपनी सियासी जमीन लगभग पूरी तरह से गंवा दी है। बसपा इस चुनाव में 19 से 01 पर और कांग्रेस 07 से 02 पर आ गयी है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने सत्ता संचालन से जुड़े तमाम मिथकों को एक एक कर तोड़ने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में चुनाव लड़ा था। वह भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। भाजपा ने 37 साल बाद लगातार दूसरी बार सत्ता में आने का रिकार्ड कायम किया है। इससे पहले 1985 में कांग्रेस ने उप्र विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी जीत दर्ज की थी। तत्कालीन कांग्रेस सरकार की अगुवाई कर रहे मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी दोबारा मुख्यमंत्री भी बने थे। इसके बाद किसी अन्य दल की दोबारा सत्ता में वापसी नहीं होने के कारण यह मिथक गढ़ दिया गया था कि उप्र में कोई सत्ताधारी दल दोबारा चुनाव नहीं जीत सकता है।
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी उत्तर प्रदेश के किसी मुख्यमंत्री के नोएडा नहीं जाने का भी मिथक तोड़ चुके हैं। उन्होंने लगभग पांच दशक का रिकॉर्ड ताेड़ते हुए पांच साल के अपने कार्यकाल में कम से कम दस बार नोएडा का दौरा किया। ऐसा माना जाता था कि उत्तर प्रदेश में किसी मुख्यमंत्री के नोएडा जाने पर उसकी सरकार गिर जाती है।