ट्विटर के सीईओ जैक
डोर्सी ने घोषणा की है कि कंपनी अब अपने मंच पर किसी भी राजनीतिक विज्ञापन को अनुमति
नहीं देगी, ट्विटर 15 नवम्बर तक इस पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर लेगा जिसके बाद 22 नवम्बर से यह पॉलिसी लागू की जाएगी. कम्पनी के सीईओ का यह कहना है कि कारोबारी विज्ञापन एक तरह से
लोगों तक अपनी सेवाएं पहुंचाते है लेकिन राजनीतिक संदेश खुद लोगों तक पहुंचना
चाहिए, ना कि खरीदा
नहीं जाना चाहिए.
जैक डोर्सी का मानना है जब भी कोई विज्ञापन खारीदा जाता है तो उसको प्रोमोट करने
के लिए वह बहुत सारे युजरों को दिखाई देता है उसमे से कुछ ऐसे यूजर होते है जो कि
ऐसे विज्ञापन देखना नही चाहते है लेकिन राजनीतिक विज्ञापन कैम्पेन के द्वारा ना
चाहते हुए भी सभी तक पहुँचता है. इस तरह राजनीतिक पार्टियों द्वारा हर व्यक्ति को
वह विज्ञापन देखने के लिए मजबूर किया जाता है.
खबरों के मुताबिक़ ट्विटर के द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद फेसबुक से भी
प्रतिक्रियाएं ली गई जिसके जवाब में फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने कहा कि
फेसबुक पर पहले की तरह ही राजनीतिक विज्ञापन जारी रहेंगे. उन्होंने कहा राजनितिक
विज्ञापनों पर जो विवाद अभी चल रहा है उस से फेसबुक का कुछ ही प्रतिशत वित्तीय
हिस्सा प्रभावित होगा. फेसबुक के सीईओ ने यह भी कहा कि हमारा मकसद राजनितिक विज्ञापनों
से रेवेन्यु कमाना नही है बल्कि यह विभिन्न समुदायों की आवाज और सन्देश को लोगों
तक पहुंचाने का एक माध्यम है.
हाल ही में फेसबुक और ट्विटर जैसी बड़ी सोशल मीडिया वेबसाइट पर चुनावों को
प्राभावित करने के आरोप लगते रहे है. इसमें पिछली बार हुए अमेरिका के चुनावों और
भारत में हुए चुनावों में भी इस तरह के आरोपों से सोशल मीडिया साइटों को घेरा जा
चुका है. जिसके कारण अब इन बड़ी कंपनियों ने अपना बचाव करना शुरू कर दिया है. साथ
ही सभी सोशल मीडिया कम्पनी यह कोशिश कर रही है कि किस तरह से इन साइटों को चुनावों
में इस्तेमाल होने से बाचाया जाए.