और अब खेती-बाड़ी संग किसानों का सूरत-ए-हाल बदलेंगे चार कारोबारी समूह
कृषि मंत्रालय ने पतंजलि, अमेजन, एग्रीबाजार और ईएसआरआई संग किए करार
देश में विभिन्न उत्पाद और सेवा क्षेत्रों में सक्रिय चार बड़े कारोबारी समूह अब खेती-बाड़ी संग किसानों का सूरत-ए-हाल बदलेंगे। कृषि मंत्रालय ने कृषि क्षेत्र के डिजिटलीकरण के लिए ठोस कदम उठाते हुए अपने-अपने कारोबारी क्षेत्रों के चार बड़े खिलाड़ियों पतंजलि, अमेजन, एग्रीबाजार और ईएसआरआई संग विभिन्न सेवाओं को लेकर करार किए हैं। इन चार अलग-अलग एमओयू के अनुसार संबंधित सभी चारों संगठनों के साथ एक वर्ष की अवधि के भीतर आधार के रूप में किसान डेटाबेस का उपयोग करके पायलट परियोजना शुरू की जाएंगी। पतंजलि के साथ कृषि प्रबंधन और किसान सेवा के लिए करार हुआ है।
कृषि क्षेत्र को साथ लेकर ही साकार होगा आत्मनिर्भर और डिजिटल भारत का सपना: तोमर
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र को साथ लेकर ही आत्मनिर्भर और डिजिटल भारत का सपना साकार हो सकेगा। श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के डिजिटलीकरण के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने ठोस कदम बढ़ाए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृढ़ संकल्प से खेती में उत्साह बढ़ा है और किसानों की आय बढ़ाने के लिए 75 हजार करोड़ रुपए सालाना की ऐतिहासिक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम- किसान) सहित कई योजनाओं का पारदर्शिता के साथ क्रियान्वयन किया जा रहा है।
कृषि मंत्री ने यह बात कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ बीती एक जून को चार संस्थानों के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह के दौरान कही। ये संस्थान हैं - पतंजलि आॅर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट, अमेजॅन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस), ईएसआरआई इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं एग्रीबाजार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड। इन संगठनों के साथ एक वर्ष की अवधि के भीतर आधार के रूप में किसान डेटाबेस का उपयोग करके पायलट परियोजना के लिए एमओयू किया गया है। 'नेशनल एग्रीकल्चर जियो हब' की स्थापना तथा प्रारम्भ करने के लिए ईएसआरआई के साथ, कृषि मूल्य श्रृंखला में डिजिटल सेवाओं और डिजिटल कृषि से संबंधित नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के सृजन के लिए अमेजॅन वेब सर्विसेज के साथ, डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिए तीन राज्यों (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान) में पायलट परियोजना के लिए कृषि विभाग के साथ सहयोग करने हेतु एग्रीबाजार के साथ तथा तीन जिलों (हरिद्वार- उत्तराखंड, हमीरपुर-उत्तर प्रदेश एवं मुरैना-मध्य प्रदेश) में कृषि प्रबंधन और किसान सेवा के लिए पतंजलि के साथ एमओयू हुआ है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर ने कहा है कि इन करार के बाद किसानों के लिए एक डिजिटल प्लेटफार्म बनाने सहूलियत मिलेगी और खेती के क्षेत्र को डिजिटल और आत्मनिर्भर बनाने का सपना पूरा हो सकेगा। दरअसल केन्द्र सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रयासरत है। इसी लक्ष्य को हासिल करने के क्रम में नित नए सुधार कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाने का कार्य किया जा रहा है।
अमेजन वेब सर्विसेज के साथ कृषि मूल्य श्रृंखला में डिजिटल सेवाओं और डिजिटल कृषि से संबंधित नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र यानी नवोन्मेष परिवेश के सृजन के लिए समझौता किया गया है। कृषि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत एग्रीबाजार के साथ डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिए समझौता किया गया है।
एग्रीबाजार इस समझौते के तहत 3 राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान में पायलट परियोजना शुरू करेगी। पतंजलि आॅर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, एवं मध्य प्रदेश के क्रमश: तीन जनपदों हमीरपुर, हरिद्वार एवं मुरैना में कृषि प्रबंधन और किसान सेवा का कार्य पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाएगा। इसके साथ ही ईएसआरआई को 'नेशनल एग्रीकल्चर जियो हब' स्थापित करने और शुरू करने का जिम्मा सौंपा गया है।
कृषि मंत्री ने कहा कि ग्रामीण भारत और डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिए किसानों का डिजिटल डेटाबेस तैयार करना पहली प्राथमिकता होगी। इस डिजिटल डेटाबेस के जरिए ही किसानों को सुदृढ़ता प्रदान करने और उनकी आय को दोगुना करने में मदद मिलेगी। कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीकों का समावेश करना एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस करार के बाद देश के किसान भी डिजिटल हो जाएंगे और डिजिटल माध्यम से खेती संबंधित अत्याधुनिक नवाचारों और तकनीक आदि की जानकारी आसानी से हासिल कर पाएंगे। साथ ही किसान फसल कटाई प्रबंधन, बाजार की जानकारी भी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में डिजिटल इंडिया मिशन और आत्मनिर्भर भारत जैसी दो महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही है। ऐसे में इन दोनों योजनाओं के सपने को साकार करने के लिए कृषि मंत्रालय भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
मार्गदर्शक का कार्य करेगा कृषि-आईटी विशेषज्ञों और किसानों का परामर्श-पत्र
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने डिजिटल कृषि की रूपरेखा तैयार करने हेतु इस क्षेत्र के विशेषज्ञों व प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक टास्क फोर्स और एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया था। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीक मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व सचिव जे. सत्यनारायण की सह-अध्यक्षता में गठित इस टास्क फोर्स ने मुक्त डिजिटल तकनीकों को बढ़ावा देते हुए किसानों को कृषि पारिस्थितिकी के केन्द्र में रखने के दृष्टिकोण के साथ इंडिया इकोसिस्टम आर्किटेक्चर (इंडईए) डिजीटल इकोसिस्टम आफ एग्रीकल्चर (आईडीईए) के संदर्भ में एक परामर्श-पत्र तैयार किया है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने डिजिटल कृषि की रूपरेखा तैयार करने के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के एक टास्क फोर्स और एक संचालन समूह का गठन किया था। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पूर्व सचिव जे. सत्यनारायण की सह-अध्यक्षता में टास्क फोर्स ने मुक्त डिजिटल तकनीकों को बढ़ावा देते हुए किसानों को कृषि पारिस्थितिकी के केन्द्र में रखने के दृष्टिकोण के साथ इंडिया इकोसिस्टम आर्किटेक्चर, डिजीटल इकोसिस्टम आॅफ एग्रीकल्चर पर एक परामर्श-पत्र तैयार किया है। कृषि मंत्री ने समारोह में इस दस्तावेज का अनावरण भी कया। उन्होंने कहा कि कृषि विशेषज्ञों, किसानों, आईटी विशेषज्ञों और जनता की टिप्पणियों से सुसज्जित यह परामर्श-पत्र का यह दस्तावेज आने वाले वर्षों में डिजिटल कृषि क्षेत्र के लिए एक मार्गदर्शक का कार्य करेगा।
जानकारी प्राप्त करने का स्रोत बनेगा संघीय किसान डेटाबेस
कृषि में डिजिटलीकरण के महत्व को स्वीकार करते हुए विभाग एक संघीय किसान डेटाबेस तैयार कर रहा है, इसके आधार पर विभिन्न सेवाओं का सृजन कर रहा है ताकि कृषि के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके। इस डेटाबेस को देशभर के किसानों के भूमि रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा और यूनिक किसान आईडी सृजित की जाएगी। किसानों के लिए एकीकृत डेटाबेस के तहत केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के सभी ला•ों और सहयोगों की जानकारी इस डेटाबेस में रखी जा सकती है और यह भविष्य में किसानों को लाभ प्रदान करने के लिए जानकारी प्राप्त करने का स्रोत हो सकता है। अभी तक लगभग पांच करोड़ किसानों के विवरणों का डेटाबेस तैयार हो चुका है, आशा है कि जल्द ही समस्त भूमिधारी किसानों को जोड़कर डेटाबेस पूरा कर लिया जाएगा। पीएम किसान, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और पीएम फसल बीमा योजना संबंधित, उपलब्ध डेटा को एकीकृत कर लिया है। कृषि मंत्रालय के साथ-साथ उर्वरक, खाद्य और सार्वजनिक वितरण आदि मंत्रालयों के अन्य डेटाबेस से डेटा संयोजित करने की प्रक्रिया जारी है।
कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था है भारत का मूल आधार
श्री तोमर ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाकर उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक आदर्श मार्ग पर तेजी से अग्रसर है। सरकार ने प्रौद्योगिकी को प्राथमिक क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया व कृषि क्षेत्र में नई डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने का प्रावधान किया है। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत का मूल आधार है और कठिन से कठिन परिस्थितियों से जूझने तथा विजयी प्राप्त करने की ताकत इनमें है। कोविड-19 महामारी में भी अपनी प्रासंगिकता को इन क्षेत्रों ने सिद्ध किया है। किसानों ने पहले से ज्यादा उत्पादन किया, जो आगे भी बेहतर होने की उम्मीद है। ग्रीष्मकालीन बुवाई भी 21 प्रतिशत अधिक हुई है।
खेतों तक जल्द पहुंचे प्रौद्योगिकी और किसानों को मिले पूरा लाभ
कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने अपेक्षा जताई कि जल्द से जल्द खेतों तक प्रौद्योगिकी पहुंचे और किसानों को इनका पूरा लाभ मिले। उन्होंने नई पहल की सराहना की। कृषि सचिव संजय अग्रवाल, पतंजलि जैविक अनुसंधान संस्थान के आचार्य बालकृष्ण, ईएसआरआई के प्रबंध निदेशक अगेंद्र कुमार, एग्रीबाजार के कार्यकारी निदेशक अमित गोयल, अमेजॅन वेब सर्विसेज के भारत एवं दक्षिण एशिया के लीडर पंकज गुप्ता, एमईआईटीवाई के पूर्व सचिव जे. सत्यनारायण, अपर सचिव (डिजिटल कृषि) विवेक अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त किए। सबंधित राज्यों के प्रधान सचिव, सचिव (कृषि) एवं टास्क फोर्स, कार्य समिति, संचालन समिति, एग्री स्टार्टअप व कृषि फर्मों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में वर्चुअल जुड़े थे।