सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, स्वीकार नहीं किया जा सकता समानांतर शासन स्थापित करने का प्रयास
केंद्र के समानान्तर कानून को संसदीय अधिकार क्षेत्र में दखल करार दिया
'रेरा' के स्थान पर बनाए ममता सरकार के कानून 'डब्ल्यूबी हीरा' को असंवैधानिक बताते हुए किया रद्द
पश्चिम बंगाल में हैट्रिक लगाकर मतदाताओं पर अपनी पकड़ के बूते देशभर में विपक्ष का चेहरा बनने की तरफ बढ़ रही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्रीज रेगुलेशन ऐक्ट-2017 (डब्ल्यूबीएचआईआरए) यानी 'डब्ल्यूबी हीरा' को रद्द कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने यह फैसला दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने 'रेरा' के स्थान पर बनाए ममता सरकार के कानून 'डब्ल्यूबी हीरा' को असंवैधानिक बताते हुए न केवल रद्द ही कर दिया, बल्कि केंद्र के समानान्तर कानून बनाए जाने को संसदीय अधिकार क्षेत्र में दखल भी करार दिया।
बंगाल सरकार ने यह कानून दरअसल केंद्र सरकार के रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 (रेरा) की जगह बनाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के कानून को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि समानांतर शासन स्थापित करने का प्रयास स्वीकार नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि किसी विषय पर केंद्र सरकार का कानून है तो राज्य सरकार उसी तरह का कानून नहीं बना सकती। बार ऐंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार न्यायालय ने कहा, 'पश्चिम बंगाल ने एक समानांतर शासन स्थापित करने का प्रयास किया है जो संवैधानिक रूप से स्वीकार्य नहीं है।'
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के कानून को माना केंद्रीय कानून का अतिक्रमण
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के कानून को केंद्रीय कानून का अतिक्रमण माना। कहा कि इस कानून से एक समानांतर सिस्टम बनाया गया और संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल दिया गया। अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में राज्य सरकार का कानून अस्तित्व में नहीं रह सकता और उसे निरस्त किया जाता है।
'डब्ल्यूबी हीरा' के तहत पूर्व में मंजूर हाउसिंग प्रोजेक्ट पर नहीं होगा फैसले का असर
सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद-142 के तहत अपने विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा कि इस फैसले का असर 'डब्ल्यूबी हीरा' के तहत पूर्व में जिन हाउसिंग प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल चुकी है उन पर नहीं होगा।
बंगाल सरकार के इस कानून को एक गैर सरकारी संगठन ने दी थी चुनौती
देश की सर्वोच्च अदालत ने यह फैसला एक गैर सरकारी संगठन की याचिका की सुनवाई करते हुए सुनाया। गैर सरकारी संगठन ने बंगाल सरकार द्वारा रियल एस्टेट नियमन को लेकर केंद्रीय कानून के स्थान पर बनाए गए 'डब्ल्यूबी हीरा' को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य के इस कानून के कारण खरीददारों को नुकसान उठाना पड़ा है।