उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र एवं लखीमपुर खीरी हिंसा मामले मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की इलाहाबाद उच्च न्यायालय से मिली जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर सोमवार को फैसला सुरक्षित रखा।
मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति रमना ने उत्तर प्रदेश सरकार और मृतक किसानों के परिजनों की दलीलें सुनने के बाद कहा, "हम इस पर फैसला सुनाएंगे।" राज्य सरकार का पक्ष रख रहे वकील महेश जेठमलानी ने पीठ के समक्ष दलील देते हुए कहा कि मामले से संबंधित गवाहों को पूरी सुरक्षा प्रदान की जा रही है, किसी को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने बताया कि हिंसा मामले में शीर्ष अदालत की ओर से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गवाहों पर खतरे की आशंका के कारण आशीष को उच्च न्यायालय से मिली जमानत के खिलाफ अपील दायर करने की सिफारिश की थी।
लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि सभी गवाहों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जा रही है। सरकार एसआईटी के विचार से सहमत नहीं हुई। जमानत का विरोध कर रहे कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने गवाहों को धमकी दिए जाने के मुद्दे को जोर शोर से पीठ के समक्ष उठाया। उन्होंने कहा कि एक गवाह को भारतीय जनता पार्टी के राज्य में सत्ता में लौटने का जिक्र करते हुए धमकी दी गई।