उच्चतम न्यायालय ने भवन मानकों के उल्लंघन के कारण उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित सुपरटेक लिमिटेड की 40 मंजिली दो इमारतों को गिराने का इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश मंगलवार को बरकरार रखा।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. शाह की खंडपीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें नोएडा में सुपरटेक लिमिटेड की एमराल्ड कोर्ट परियोजना में भवन मानदंडों के उल्लंघन के लिए 40 मंजिले ट्वीन टावरों को ढहाने का आदेश दिया गया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुपरटेक लिमिटेड ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि इमारत ढहाने का कार्य खुद सुपरटेक द्वारा तीन माह की अवधि के भीतर नोएडा के अधिकारियों की देखरेख में अपने खर्चे पर किया जायेगा, जबकि इस कार्य की निगरानी केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) करेगा, ताकि सुरक्षित तरीके से टावर ढहाने का कार्य सुनिश्चित हो सके।
खंडपीठ ने कहा कि विध्वंस का कार्य सुरक्षित तरीके से करने के लिए नोएडा अपने स्वयं के विशेषज्ञों और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की के विशेषज्ञों से परामर्श करेगा।