84 के दंगों पर आधारित फिल्म ‘31 अक्टू्बर’ की हुई स्पेशल स्क्रीनिंंग, कई बड़ी सिख हस्तियों ने देखी फिल्म
04-11-2019 16:50:45
By :
Notice: Trying to get property 'fName' of non-object in /home/newobserverdawn/public_html/module/Application/view/application/index/news.phtml on line 23
Notice: Trying to get property 'lName' of non-object in /home/newobserverdawn/public_html/module/Application/view/application/index/news.phtml on line 23
सिख दंगों पर आधारित फिल्म 31 अक्टूबर की स्पेशल स्क्रीनिग 31 अक्टूबर के ही दिन चंढ़ीगढ़ के मोहाली में की गई. इस फिल्म के डायरेक्टर और लेखक हैरी सचदेवा ने प्रोग्रेसिव सिख फोरम के साथ मिलकर फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिग का सफल आयोजन किया. फिल्म की स्क्रीनिंग करने का मकसद 1894 में देशभर में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान मरने वाले लोगो को श्रद्धांजलि अर्पित करना था.
इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिग में चंडीगढ़ के प्रमुख प्रभावशाली सिख हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. इन हस्तियों में सरबत दा भला के मैनेजर डा. एसपी सिहं ओबराय, वेब ग्रुप के चेयरमैन राजिन्दर चौधरी और यूथ प्रोगेसिव सिंख फोरम के प्रेसिडेंट प्रवलीन सिंह जैसे बड़े नाम शामिल थे.
लेखक और निर्माता हैरी सचदेवा की कलम से लिखी गई ये फिल्म 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद देशभर हुए सिख विरोधी दंगों पर आधारित है. हैरी सचदेवा के अनुसार वो खुद इन दंगों के दौरान हुए दर्दनाक हादसों को बचपन से सुनते आ रहे हैं. इन सिख विरोधी दंगों में तीन दिन के भीतर 2800 से अधिक लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी थी और 20,000 से अधिक लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गये थे.
31 अक्टूबर 1984 में हुए दर्दनाक हादसों के किस्सों का हैरी सचदेवा के ऊपर ऐसा असर हुआ कि उन्होने फैसला कर लिया कि वो इन दंगों की दर्दनाक कहानियां दुनिया भर को सुनायेगे. यही सब सोचकर उन्होने 31 अक्टूबर की पटकथा लिखी. ये फिल्म दंगों के दौरान घटी एक सच्ची घटना पर आधारित है. इस फिल्म को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर स्वीकार किया गया है. जिनमें लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल, सिख इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव शामिल हैं।
फिल्म के लेखक और निर्माता हैरी सचदेवा ने अपनी फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग के मौके पर कहा कि 31 अक्टूबर 1984 की घटना ने उनके निजि जीवन को भी काफी प्रभावित किया था. इस घटना से उनके निजि जीवन पर पड़ने वाले असर ने ही उन्हे इस फिल्म को लिखने के प्रेरित किया. उन्होने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 84 में हुए दंगों के जख्म आज भी पूरी तरह से भर नही पाये है. 31 अक्टूबर उन असहाय और बेगुनाह सिंखों को सर्मपित है जिनकी जिन्दगी इन दंगों की वजह से खत्म हो गई.
हैरी सचदेवा ने इस मौके पर दुनिया वालों को अमन का एक पैगाम देने की कोशिश भी की. उन्होने कहा कि मैंने किसी भी व्यक्ति के साथ, दुनिया के किसी भी कोने में होने वाली हिंसा के खिलाफ खड़े होने का संकल्प लिया है। दुनिया के हर व्यक्ति को किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ खड़े होने का संकल्प लेना चाहिए ताकि फिर कभी कही पर भी 84 जैसे दंगों की पृष्टिभूमि ना लिखी जा सके.