शनिवार
को सऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी
अरामको पर हुए ड्रोन हमले के बाद सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय द्वारा इस हमले में
इस्तेमाल किये गए हथियारों और मिसाइलों के सबूत एक प्रेस कांफ्रेंस के द्वारा
दुनिया के सामने पेश किये गए जिसमे सऊदी अरब ने इस हमले के पीछे ईरान का हाथ बताया
है. जिसमे सऊदी अरब द्वारा यह आरोप लागाये गए है कि ईरान ने सऊदी के सिविलियन
इंफ्रास्ट्रक्चर को नुक्सान पहुंचाया है.
हालाकि इस हमले की जिम्मेदारी ईरान
समर्थित हूथी विद्रोहियों ने हमले के तुरन बाद ही ली थी.
प्रेस कांफ्रेंस ने सऊदी अरब के प्रवक्ता द्वारा यह जानकारी दी गई कि मिसाइलें नार्थ
से आये थे जिससे यह बात साफ़ होती है कि यह हमला यमन द्वारा नही किया गया है. प्रेस कांफ्रेस का आयोजन
अंग्रेजी भाषा में हुआ जिसमे विभिन्न देशों के पत्रकारों को शामिल किया गया था.
हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक
पोम्पियो सऊदी अरब के दौरे पर पहुंचे है जहां वह सऊदी अरब सरकार से इस हमले से
जुडी चर्चा करेंगे. साथ ही अमेरिका इस बातचीत के जरिये ईरान को विश्व समुदाय में
घिरने की कोशिश करेगा.
सऊदी अरब द्वारा लगाए गए इस आरोप के जवाब में ईरान ने भी अपना पक्ष रखा है जिसमे
ईरान ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को नकार दिया है. ईरान ने कहा है कि सऊदी अरब ने
जिस तरह से आरोप लगाये है वह बहुत ही संदिग्ध तरीके से लगाए गए है. साथ ही ईरान ने
कि यह प्रेस कांफ्रेंस अमेरिका और सऊदी अरब के द्वारा सुनियोजित तरीके से कराई गई
है. ईरान ने यहाँ तक कहा कि सऊदी अरब अपनी सीमा में प्रवेश कर रही मिसाइलों को भी
नही पकड़ पाया जिससे उसकी ख़ुफ़िया एजेंसी की नाकामी का पता चलता है.
ईरान ने कहा है कि इस हमले के आरोप लगा कर अगर अमेरिका या उसके सहयोगी देश ईरान पर
कोई कार्यवाही करते है तो ईरान उसका करारा जवाब देगा.
अब आने वाले समय में यह देखना होगा कि अमेरिका और सऊदी अरब मिल कर इस मामले पर
अपना क्या रवैया रखते है साथ ही सऊदी अरब अब इस मामले की अन्तराष्ट्रीय जांच की
मांग भी कर रहा है जिसमे उसका सहयोग देने के लिए रूस ने सऊदी अरब से बात की है.