सनातन का दीमक
रामायण
त्रेतायुग की घटना थी और महाभारत द्वापरयुग युग की घटना थी, दोनों कालखंडों
की गणना की जाए तो ये दोनों ही घटनाएँ कई हज़ार वर्ष पूर्व की है। रामसेतु प्रमाण
के रूप में आज भी छिन्न भिन्न अवस्था में ही सही परंतु रामायण काल की अपनी
प्रमाणिकता को दर्शाता है। भगवान राम के जन्म की समय गणना को नासा ने भी स्वीकार
किया है। इसका अर्थ है कि सनातन धर्म रामायण काल से भी पहले का है, चूँकि सनातन का
अर्थ ही है - जिसका न आरंभ है न अंत है, ये सृष्टि द्वारा रचित एक संस्कृति, परंपरा, जीवनशैली है। सनातन में नदी, पहाड़, धरती, आकाश, अग्नि, जल, वायु, पशु पक्षियों, सूर्य, चंद्रमा, ब्रह्मांड, पेड़ पौधों, वनों को बहुत महत्व दिया और इन्हें अपने जीवन का आवश्यक अंग माना गया, पूर्ण सम्मान
दिया गया, इनकी पूजा अर्चना को महत्व दिया गया। वहीं इस्लाम और ईसाई धर्म का
इतिहास 2000 वर्षों से अधिक का नहीं है। इस्लाम की रचना
पैगम्बर ने और ईसाई धर्म की रचना यीशु मसीह ने की थी। इतिहास साक्षी है कि सनातन
या कहें हिन्दू धर्म के अनुयायियों, धर्मगुरुओं, शंकराचार्यों
ने कभी भी हिंदुत्व के प्रचार, प्रसार के लिए हिंसा, छल, बल का सहारा
नहीं लिया, अपितु जो स्वेच्छा से आया उसे स्वीकार कर लिया। वहीं इस्लाम और ईसाई
धर्म को मानने वालों ने हिंसा, छल, बल को ही अपने प्रचार, प्रसार का
माध्यम बनाया जो कि आजतक जारी है। यही वजह है कि विश्व में ईसाई धर्म को मानने
वाले सबसे ज़्यादा हैं और दूसरे क्रम पर इस्लाम है। अपनी सरलता, सहिष्णुता, प्रेम और
मानवतावादी परंपराओं के कारण ही संसार का सबसे प्राचीन सनातन धर्म सिमटता चला गया।
आज विश्व में कोई भी हिन्दू राष्ट्र ही नहीं है। सनातन के केंद्र भारत को राजनीति और
स्वार्थ की भेंट चढ़ा दिया गया और इसे एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया गया।
अपने ही देश में आज हिंदुत्व खतरे में पड़ चुका है, इससे अनजान या जानबूझकर इसे अनदेखा
कर रहे राजनेता, शिक्षाविद, बुद्धिजीवी, पत्रकार, साहित्यकार, धर्मगुरु प्रतिदिन हिंदुत्व को नुकसान पहुँचाने में लगे हैं। धर्म को
तोड़ने में “आर्य समाज” का योगदान भी
कम नहीं रहा।
ये
लोग खुद को वैदिक धर्म के रक्षक और प्रचारक कहते है मै इनसे कुछ प्रश्न है –
१.
आप खुद को वैदिक कहते हो और वेदो की शाखा पुराणो का विरोध करते हो क्यों ?
२.
आपको कैसे पता की पुराणो में लिखी सभी बाते हमारे ऋषि मुनिओ ने ही लिखी है उनमे
किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं हुई थी ?
३.
सत्यार्थ प्रकाश के कुल १४ समुल्लसो में से आप लोगो ने केवल ११ वां ही समुल्लास ही
पढ़ा क्यों ?
४.
बाकि के १३ समुल्लसो में जो वेदो के ज्ञान (तथाकथित ) की बाते बताई गई है उनका
प्रचार प्रसार क्यों नहीं करते हो ?
५.
गायत्री परिवार के श्रीराम शर्मा जी ने भी सत्यार्थ प्रकाश का अध्ध्य्यन किया था
और किन्तु क्या कारन रहा की उन्होंने उसको त्याग कर स्वयं ने गृहस्थ में रह कर
वेदो का अध्ध्य्यन किया और वे सभी पौराणिक देवी देवताओ की पूजा करते है । और
गायत्री परिवार की स्थापना की और आज आर्य समाज मुट्ठी बाह भी नहीं है और गायत्री
परिवार के प्रचारक सभी देश विदेश में वेदो के ज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहे है ?
६.
आप लोग कहते है की आजादी की लड़ाई में सबसे अधिक आर्य समाज के लोगो का ही योगदान था, तो क्या झांसी
की रानी, तात्या टोपे, मंगल पाण्डेय, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल ओर भी लाखो वीरो
ने सत्यार्थ प्रकाश को ही पढ़ा था ?
७.
आप लोगो को “हिन्दू” और “हिंदुत्व” शब्द से ईर्ष्या है जबकि वीर सावरकर ने जेल में पूरी सत्यार्थ प्रकाश
को पढ़ लिया था फिर भी उन्होंने कहा था की “हिंदू और हिदुत्व की रक्षा करना मेरा
परम कर्तव्य है ” क्यों ? जबकि तुम्हारे सत्यार्थ प्रकाश के अनुसार तो हिन्दू और हिंदुत्व तो
गाली है ।
७.
आज जितने भी गैर हिन्दू ने जो वैदिक धर्म को स्वीकार किया है उन सभी ने भी
सत्यार्थ प्रकाश को भी अच्छी तरह से पढ़ा और अध्यन किया फिर वे लोग तो सिर्फ वेदो
के ज्ञान की बात क्यों करते है वे लोग पुराणो की मिळवतो को आप सभी के जैसे प्रचार
नहीं करते है ? – डॉ महेंद्र पाल आर्य, फरहाना ताज, नेज़ अहमद
सिद्दीकी और भी कई लोग है ।
८.
तुम लोग अपने नाम के पीछे आर्य लगवाने को गौरव महसूस करते हो, अरे भाई पहले
आर्य जितने महान तो बन जाओ और हमारा पूर्ण आर्यव्रत को तो पुनः हासिल कर लो फिर
आर्य बोलना ?
९.
तुम लोग बोलते हो की वेदो में मूर्ति पूजा वर्जित है अरे तो भाई तुम लोगो ने क्यों
स्वामी दयानंद का चित्र लगते हो ? सनातन धर्म के बहुत विद्वान संत हुए
थे “श्री राम सुखदास जी महाराज” उनको ४० साल तक गले का कैंसर था फिर
उन्होंने कोई इलाज नहीं करवाया और उन्होंने ४० वर्ष पूर्व ही अपनी वसीयत लिख डाली
की मेरी कोई भी वस्तु को मेरी मृत्यु के बाद मेरे साथ ही नष्ट कर देना । अरे उनका
तो चित्र भी नहीं लेने दिया उन्होंने । वो भी वेदो के ज्ञाता थे पर उन्होंने कभी
पुराणो का अपमान नहीं किया। वर्षों तक रामजी, हनुमानजी, कृष्ण की
लीलाओं, गाथाओं का वर्णन करते हुए अपार यश, कीर्ति, सफलता, धन संपत्ति
अर्जित कर चुके कई धर्म गुरु, तथाकथित कथावाचक आज सनातन धर्म की
बजाय व्यासपीठ से इस्लाम का गुणगान कर रहे हैं। उन्हें सनातन से ज़्यादा इस्लाम
प्रिय लग रहा है। इस तरह के अनैतिक कार्यों को "सर्वधर्म समभाव" के नाम
से प्रचारित किया जा रहा है। आज अचानक से बदले इन #कथावाचकों के सुरों के तारों को
पकड़ना कोई कठिन कार्य नहीं है। किसी कथावाचक ने या उनके परिवार में किसी ने किसी #मुस्लिम से
विवाह किया है या इसके लिए उन्हें मुँहमाँगी क़ीमत चुकाई जा रही है। कभी सुदूर
एशिया, अरब देशों तक फैला #भारत आज मुगल आक्रांताओं के कारण और
आपसी द्वेष के कारण सिमटता चला गया और जितना बचा है उसे भी नष्ट किये जाने के
भरपूर प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए हिन्दू धर्म पर प्रभाव रखने वाले #धर्मगुरुओं और #कथावाचकों का
ही सहारा लिया जा रहा है। यानी अब बाहर से नहीं भीतर से ही आक्रमण किया जा रहा है।
जिस तरह लकड़ी में #दीमक लगने से लकड़ी सड़ जाती है उसी तरह इन तथाकथित #कथावाचकों को
दीमक के रूप में तैयार करके #हिंदुत्व को सड़ाने, गलाने और खोखला
करने के प्रयास किये जा रहे हैं। #मुरारी बापू, #चित्रलेखा जैसे
कथावाचकों के बदले हुए सुरों और इस षड्यंत्र को समझना होगा सामान्यतः धर्मप्रेमी
हिन्दू समाज के मन को चुपचाप इस्लाम का घोल पिलाया जा रहा है। इन सबसे आँखें
मूँदने की बजाय इन पर जागृत होना होगा। हमारे उन पूर्वजों का सम्मान करना होगा, जिन्होंने
अंतहीन यातनाएँ सहन करने के बावजूद सनातन को नहीं त्यागा और इसे अक्षुण्ण बनाये
रखा। हिंदुओं को इस खेल को समझना होगा और इसके विरुद्ध संघर्ष करना होगा वरना
इतिहास में लिखा जाएगा –
“हमें अपनों ने ही लूटा, गैरो में कहा दम था ।
हमारी कश्ती वहीँ डूबी जहाँ पानी बहुत कम था ।
आज
जाकिर नाइक जैसे कट्टर पंथी सनातन धर्म का मजा इसलिए बनाते है क्यों की आप जैसे
दिमक हमारे सनतान धर्म की जड़ को खोखला कर रहे हो। आप स्वयं को वेदो का ज्ञाता कहते
हो तो वेदो के ज्ञान का प्रचार प्रसार करो न तुम खुद ने तो वेदो को कभी जानने का
प्रयत्न किया नहीं और मुर्ख मुल्लो के जैसे कुरआन (सत्यार्थ प्रकाश) में लिखी बातो
में पर अंधे हो कर बकने लगे। खुद को इतना ही समझदार और सनातन धर्म का रक्षक मानते
हो तो वेदो को स्वयं पढ़ो और फिर उस ज्ञान का प्रचार करो। या तुम लोगो में वेदो को
समझने की मेहनत नहीं करना चाहते हो सीधे ही उस सत्यार्थ प्रकाश को ही वेद मान बैठे
हो ?