काले जादू एवं अंधविश्वास को नियंत्रित करने और जबरन धर्म परिवर्तन की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए जाने के वास्ते दिशा-निर्देश जारी करने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
भारतीय जनता पार्टी नेता एवं अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दायर करके केंद्र और राज्य सरकारों को पक्षकार बनाया है।
याचिकाकर्ता ने ‘सरला मुद्गल केस’ (1995) का उल्लेख करते हुए कहा है कि केंद्र को एक धर्मांतरण-विरोधी कानून बनाने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए निर्देश जारी किए गए थे।
उन्होंने कहा है काला जादू और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं पूरे देश में हर हफ्ते दर्ज की जाती हैं। इस तरह के बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के शिकार अक्सर सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित लोग होते हैं। यह न केवल संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 25 का उल्लंघन है, बल्कि धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के भी खिलाफ है।
याचिका की सुनवाई अगले सप्ताह होने की संभावना है।