नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि केंद्र को विलय के समय राज्य के लोगों से किये गये अपने वादों पर कायम रहना चाहिए।
अब्दुल्ला ने रामबन में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 5 अगस्त- 2019 के फैसलों से जम्मू कश्मीर के युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा , “ हम केवल यह चाहते हैं कि केंद्र को विलय के समय जम्मू-कश्मीर के लोगों से किये गये अपने वादों पर कायम होना चाहिए। हम केवल अपनी अनूठी, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए फुलप्रूफ सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। हमें बताया गया था कि हमारी भूमि, नौकरी और व्यक्तिगत कानूनों की रक्षा की जाएगी। हम चाहते हैं कि केंद्र उन वादों को पूरा करे। देश में हमारे विश्वास की परीक्षा 1947 में हुई थी। हमें राष्ट्रवाद पर नसीहत की आवश्यकता नहीं है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार देश और जम्मू कश्मीर के मुसलमानों को गहरे अविश्वास की नजर से देख रही है। राज्य के युवा बहुत ही सीमित रोजगार के अवसरों को देखते हुए खुद को अंधेरे से घिरा हुआ पाते हैं, जो उनके लिए और भी कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा, “ जो सरकारी नौकरियां हमारे युवाओं को दी जानी चाहिए थीं, वे बाहरी लोगों को जा रही हैं। राजौरी-पुंछ क्षेत्रों के युवाओं को अपने क्षेत्र में सृजित रोजगार पर पहला अधिकार होना चाहिए।”
अब्दुल्ला ने कहा, “ हम उनके संवैधानिक अधिकारों की बहाली के लिए लड़कर उस खाई को पाटने के लिए संघर्षरत हैं।”