भारतीय सिनेमा जगत में बहुत गहरी हैं भाई-भतीजावाद की जड़ें
भारतीय सिनेमा जगत में 'भाई-भतीजावाद' यानी 'नेपोटिज्म' कोई नई बात नहीं है, जब से फिल्में बननी शुरू हुई हैं तब से ही फिल्म इंडस्ट्री में भी भाई-भतीजावाद ने धीरे-धीरे जड़ें जमानी शुरू कीं और आज इसकी जड़ें बहुत गहराई तक पहुंच चुकी हैं। इसे लेकर तमाम फिल्मी दिग्गजों पर अक्सर आरोप-प्रत्यारोप लगने-लगाने का दौर चलता रहता है। बीते दिनों अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या के बाद बॉलीवुड में 'नेपोटिज्म' फिर से सुर्खियों में है। छोटे पर्दे से सिल्वर स्क्रीन तक का सफर बेहद कम समय में तय करने वाले स्मॉल टाउन एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या के बाद सोशल मीडिया समेत विभिन्न मंचों पर बॉलीवुड में 'भाई-भतीजावाद' को लेकर एक फिर बहस छिड़ गई है।
हकीकत यही है कि 'भाई-भतीजावाद' कहें कि 'परिवारवाद' या 'नेपोटिज्म' के जाल में पूरी फिल्म इंडस्ट्री जकड़ती जा रही है। होने को भाई-भतीजावाद की जड़ें न केवल सिनेमा जगत में ही बहुत गहरी हैं, बल्कि यह अन्य क्षेत्रों में भी अघोषित रूप से बदस्तूर चलता रहता है। दरअसल किसी भी क्षेत्र में जुगाड़ की गाड़ी को पटरी पर दौड़ाने के लिए ज्यादातार लोग एक 'गॉडफादर' यानी 'सरपरस्त' का होना बेहद जरूरी समझते हैं।
युवाओं ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर छेड़ी 'नेपोटिज्म' नाम की मुहिम
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर देश के युवाओं ने 'नेपोटिज्म' नाम की मुहिम छेड़ दी है। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म युवाओं ने नेपोटिज्म के खिलाफ जंग छेड़ रखी है। युवाओं का आरोप है कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म का शिकार होने से उभरते सितारे सुशांत ने आत्महत्या की है। युवाओं ने सुशांत की मौत की सीबीआई से जांच की मांग की है।
कई फिल्मी हस्तियों ने फिल्मोद्योग में भाई-भतीजवाद के खिलाफ बुलंद की आवाज
सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद कई फिल्मी हस्तियों ने फिल्मोद्योग में व्याप्त भाई-भतीजवाद के विरुद्ध मुखर होकर इसके खिलाफ आवाज बुलंद की है। जिसके बाद अब इंडस्ट्री के अंदर और बाहर हर ओर से भाई-भतीजावाद, बाहरी और फिल्म इंडस्ट्री का, फिल्म इंडस्ट्री के बड़े परिवार या किसी गॉडफादर से जुड़ा होने और बिना गॉडफादर के संघर्ष करने वाली लॉबी में बंटे होने जैसे सवाल उठाए जा रहे हैं।
शेखर कपूर, रवीना टंडन, कंगना रनौत, अभिनव कश्यप, रविकिशन, मनोज तिवारी, गीता फोगाट, पायल रोहतगी, कोएना मित्रा और साहिल खान समेत कई हस्तियों ने फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजवाद को लेकर अपनी राय रखी है। फिल्म इंडस्ट्री के ही कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि बॉलीवुड में बाहरी कहकर सुशांत को अनदेखा किया जाता था। यह भी आरोप हैं कि सुशांत को विभिन्न समारोहों, शादियों एवं पार्टियों में नहीं बुलाया जाता था। 'छिछोरे' हिट होने के बाद सुशांत सिंह राजपूत ने सात फिल्में साइन की थी, लेकिन छह महीने में ही उसके हाथ से सारी फिल्में निकल गर्इं।
निशाने पर हैं सलमान, साजिद, करण, भंसाली, आदित्य, एकता, विजयन और भूषण
सुशांत की आत्महत्या के बाद जिन लोगों पर परिवारवाद का आरोप लग रहा है वो बड़े नाम हैं। करण जौहर, आदित्य चोपड़ा, साजिद नाडियादवाला, संजय लीला भंसाली, दिनेश विजयन, टी सीरीज के भूषण कुमार, एकता कपूर और सलमान खान पर सुपरस्टार सुशांत को प्रताड़ित करने के आरोप लगाया है। कहा जा रहा है कि सुशांत ने यह आत्महत्या इन्हीं लोगों से तंग आकर की। यह भी कहा जा रहा है बड़े बैनर ने सुशांत को अपनी फिल्मों में लेने से मना कर दिया और देखते-देखते सात फिल्मों से उन्हें निकाल दिया गया, क्योंकि इन प्रोडक्शन हाउस की टीम ने मिल कर एक टैलेंटेड युवा सुशांत का बहिष्कार किया। छिछोरे जैसी सुपरहिट फिल्म के बाद भी उनके पास कोई फिल्म नहीं थी जिस सच को सुशांत अपना नहीं पा रहे थे।
सुशांत की आत्महत्या की खबर जब से सामने आई है, तब से उनके प्रशंसकों में आक्रोश भरा हुआ है। सुशांत के लिए न्याय की मांग ने एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया है। मामले में सबसे अधिक करण जौहर और सलमान खान लोगों के निशाने पर हैं। ज्यादातर यूजर्स बॉलीवुड में मौजूद भाई-भतीजावाद के लिए करण जौहर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। करण ने इस मामले पर फिलहाल चुप्पी साध रखी है हालांकि उन्होंने अपने ट्विटर से स्टार किड्स और बाकी स्टार को अनफॉलो कर दिया हैं। उन्हें ट्विटर पर हजारों लोगों ने अनफॉलो कर दिया है।
पांच दशक तक फिल्मों के व्यावसायिक पक्ष पर हावी रहा कलात्मक पक्ष
वर्ष 1913 में फिल्म राजा हरिश्चंद्र के साथ भारतीय फिल्म उद्योग की नींव रखी गई थी। तब से लंबे समय तक निर्माता, निर्देशक, गीतकार, संगीतकार सिनेमेटोग्राफर और अभिनेताओं समेत सिनेमा के निर्माण से जुड़े विभिन्न लोगों ने अपना ध्यान फिल्मों के कलात्मक पक्ष पर केंद्रित रखा। कहा जा सकता है कि शुरूआती दौर से लेकर करीब पांच दशक तक फिल्म निर्माण में कलात्मक पक्ष इसके व्यावसायिक पक्ष पर हावी रहा। फिल्मकारों ने जो फिल्में बनायी उनमें चमक-दमक से ज्यादा यथार्थ को पेश किया गया। सत्तर के दशक तक फिल्मों का कथानक वर्तमान के जीवन से जुड़ा हुआ होता था। कहीं मध्यम वर्ग की समस्याएं, कहीं निम्नवर्ग की परेशानियां तो कहीं उच्च वर्ग के द्वारा शोषण के खिलाफ खड़े मजदूर दिखाई पड़ते थे। पहले के समय में जितने भी अभिनेताओं-अभिनेत्रियों ने प्रसिद्धि पाई यानी सुपरस्टार बने, उनमें से अधिकांश ने दूर-दराज के छोटे कस्बों और गांव से फिल्म जगत में आकर अपना एक मुकाम हासिल किया। हालांकि बदलते वक्त के साथ-साथ अब न केवल तकनीक ही, बल्कि इंडस्ट्री में कामकाज का रवैया भी बदल चुका है।
अस्सी के दशक के बाद बदलने लगे फिल्मों के कथानक
शुरूआत से लेकर सत्तर के दशक यानी करीब पांच दशक तक जहां फिल्म निर्माण में कलात्मक पक्ष को तरजीह दी जाती रही, वहीं अस्सी का दशक आते-आते यह ट्रेंड बदलना शुरू हो गया। अस्सी के दशक के बाद फिल्मों के कथानक बदलने लगे। फिल्में अब यथार्थ से ज्यादा कल्पना लोक की कहानियों पर बनने लगीं। नाच, गाना, आइटम सांग, देश-विदेश के खूबसूरत लोकेशन फिल्मों में मुख्य हो गए। इसी दौर में कलाकारों, निर्माता एवं निर्देशकों के परिवारों का प्रभुत्व भी बढ़ा। यह वही दौर रहा जब जौहर परिवार, कपूर परिवार, चोपड़ा परिवार और खान परिवार का दबदबा बढ़ा।
सबसे पहले राज कपूर पर लगे थे भाई-भतीजावाद के आरोप
बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद कोई नई बात नहीं है। बॉलीवुड के पहले शो मैन राज कपूर का परिवार सबसे मजबूत माना जाता है। लगभग चार पीढ़ियों से इस परिवार के लोग बॉलीवुड में हैं। इनकी पूरी फैमिली फिल्मों का ही काम करती है जिसमें फिल्म निर्माण, डायरेक्शन, एक्टिंग और अन्य काम शामिल हैं। सबसे पहले भाई-भतीजावाद के आरोप राज कपूर पर लगे। उन पर आरोप था कि वे अपने परिवार और खास लोगों को ही फिल्मों में काम देते हैं, राज कपूर ने ज्यादातर फिल्में अपने परिवार के लोगों के साथ ही बनाईं थीं।
फिल्म इंडस्ट्री में तीन-चार पीढ़ियों से लोग काम करते आ रहे हैं खानदान
कपूर खानदान में पृथ्वीराज कपूर से होकर यह सिलसिला चौथी पीढ़ी करिष्मा, करीना और रणवीर तक चला आया है। इसी तरह महेश भट्ट, फिरोज खान ,राकेश रोशन, बोनी कपूर ,सलमान खान, फरहान अख्तर, करण जौहर और आदित्य चोपड़ा जैसे लोगों के खानदान की दो-तीन पीढ़ियों से लोग इंडस्ट्री में काम करते आ रहे हैं। इन खानदानों के लोग वर्षों से एक दूसरे से अच्छे ताल्लुक रहने पर एक दूसरे को काम देने दिलाने में मदद करते रहते हैं। इन एक्टर्स के पापा-मम्मी, दादा-दादी यदि फिल्मों से ताल्लुक रखते रहे हों तो इन्हें अपनी लाइन क्लियर दिखती है। इनके लिए रास्ता आसान हो जाता है।
फिल्मकारों में लगी रहती है अभिनेता-अभिनेत्रियों के परिजनों को लॉन्च करने की होड़
फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर देखने को मिलता है कि फिल्मकार किसी बेहतरीन अभिनेता के पुत्र या पुत्री को लॉन्च करते रहते हैं, भले ही उन्हें अभिनय के बारे में जानकारी हो ना हो, उनका चेहरा भाव विहीन हो, फिल्मकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उसे बस संबंधित स्टार किड के माता-पिता की लोकप्रियता को भुनाकर पैसा कमाना होता है। मौजूदा समय में फिल्मों मे जो नए चेहरे नजर आ रहे हैं उनमें पृथ्वीराज कपूर के प्रपौत्र, राजकपूर के पौत्र व ऋषि कपूर के पुत्र रणवीर कपूर से लेकर, डेविड धवन के पुत्र वरुण धवन, अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर, जैकी श्रॉफ के बेटे टाइगर श्रॉफ, श्रीदेवी-बोनी कपूर की बेटी जाह्नवी कपूर, महेश भट्ट-सोनी राजदान की बेटी आलिया भट्ट, सैफ अली खान-अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान, शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर, चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे और धर्मेंद्र के पौत्र व सन्नी देओल के पुत्र करण देओल तक फिल्म जगत से जुड़े परिवारों से ही हैं। इतना ही नहीं शाहरूख की बेटी सुहाना खान और बेटे आर्यन खान की लांचिंग की चर्चा भी जोरशोर से जारी है।
नामचीन प्रोड्यूसर्स-डायरेर्क्ट्स ने हाल के वर्षो में कई स्टार किड को किया गया लॉन्च
नामचीन प्रोड्यूसर्स-डायरेर्क्ट्स और प्रोडक्शन हाउस जिनमें करण जौहर, सलमान खान, यशराज फिल्मस, संजय लीला भंसाली आदि शामिल हैं, ने हाल के वर्षो में कई स्टार किड को लॉन्च किया गया है। संजय भंसाली ने जहां अपनी फिल्म सांवरिया से दो स्टार किड रणबीर कपूर और सोनम कपूर को लॉन्च किया वहीं, सलमान खान ने अपने जीजा आयुष शर्मा, महेश मांजरेकर की पुत्री साई मांजेरकर, मोहनीश बहल की पुत्री प्रनूतन बहल, आदित्य पंचोली के पुत्र सूरज पंचोली, सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी जैसे कई स्टार बेटे-बेटियों को लॉन्च किया। यशराज फिल्म ने बोनी कपूर के पुत्र अर्जुन कपूर, प्रियंका चोपड़ा की चचेरी बहन परिणीति चोपड़ा, अनिल कपूर के रिश्तेदार रणवीर सिंह जैसे कलाकारों को लॉन्च किया। करण जौहर ने आलिया भट्ट, वरुण धवन, अनन्या पांडे, ईशान खट्टर, जाह्नवी कपूर जैसे एक्टर को लॉन्च किया। कुलमिलाकर देखा-कहा जाए तो वर्तमान में फिल्म इंडस्ट्री सिर्फ कुछ परिवारों का उद्योग बनता जा रहा है। ऐसे में सुशांत सिंह राजपूत जैसे अभिनेताओं को यदि एक साथ कई फिल्मों से साइन करने के बाद भी निकाल दिया जाता है तो उनमें निराशा आना स्वाभाविक ही है।
बहरहाल फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद और पक्षपात को लेकर बहस छिड़ गई है, अब देखना यह है कि सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या की जांच के बाद इस प्रकरण में किसी को दोषी ठहराया जाएगा और सिनेमा जगत में हावी 'गैंग' को बेनकाब होगा या फिर रसूखदार फिल्मी खानदानों से जुड़े होने के चलते तमाम गंभीर आरोपों के बावजूद मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा।