केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय स्कूल एजुकेशन एवं लिटरेसी विभाग ने कोरोना महामारी की वजह से स्कूली व्यवस्था से बाहर हो गए बच्चों को वापस जोड़ने के लिए शुक्रवार को यहाँ पर प्रबंध पोर्टल की शुरुआत की है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने इस अवसर पर कहा, “यह पहल भारत सरकार की समग्र शिक्षा नीति के तहत है। इसके अलावा "राइट टू एजुकेशन" एवं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी हमने इस बात पर जोर दिया है कि स्कूली व्यवस्था से बाहर हो गए बच्चों को मुख्यधारा स्कूलों से जोड़ा जाए। प्रबंध पोर्टल के द्वारा हम ऐसे बच्चों का डाटा बेहतर तरीके से इकठ्ठा कर पाएंगे और बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोड़ने में सफल होंगे। इसके अलावा हमनें पहली बार 2021-22 से 16 से 18 वर्ष के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान भी किया है ताकि जो बच्चे इस उम्र में शिक्षा व्यवस्था से बाहर हो गए हैं उन्हें भी ओपन लर्निंग या डिस्टेंस लर्निंग के द्वारा अपनी शिक्षा पूरी करने का मौका मिल सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विज़न को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास करेंगे कि देश का कोई भी बच्चा शिक्षा व्यवस्था से बाहर ना हो।”
शिक्षा विभाग ने इसके लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे बच्चों का डाटा एकत्रित करने के निर्देश दिए हैं ताकि इसकी ठीक तरह निगरानी की जा सके। इसके अलावा विभाग ने ऐसे बच्चों की शिक्षा में आए अंतराल को कम करने के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान भी किया है। अभी तक यह वित्तीय सहायता 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए उपलब्ध करवाई जाती थी लेकिन 2021-22 से यह सहायता 16-18 वर्ष के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए भी उपलब्ध करवाई जाएगी ताकि वो ओपन या डिस्टेंस लर्निंग के द्वारा अपनी शिक्षा जारी रख सकें।
ब्लॉक रिसोर्स सेंटर के ब्लॉक रिसोर्स समन्वयक द्वारा बच्चों के आंकड़े ब्लॉक लेवल पर अपलोड किया जाएगा और फिर उस आंकड़े को जिला मजिस्ट्रेट/जिला कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा चिह्नित अधिकारी द्वारा सत्यापित करवाने के बाद प्रबंध पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।