उच्चतम न्यायालय ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद को धर्मांतरण और अंतरजातीय विवाहों से संबंधित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पक्षकार बनने की बुधवार को अनुमति दे दी।
वरिष्ठ अधिवक्ता एजाज मकबूल अहमद ने मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंड पीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया।
न्यायमूर्ति बोबडे ने मकबूल से पूछा कि याचिकाकर्ता का इस मामले से क्या लेना-देना है। इस पर उन्होंने बताया कि इन कानूनों से बड़ी संख्या में मुस्लिम युवाओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम इस मामले में न्यायालय को सहयोग करना चाहते हैं।”
इसके बाद न्यायालय ने जमीयत को मामले में पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी।