घर आंगन में फिर फुदकने लगी है नन्ही गौरेया

10-04-2020 17:30:03
By :
Notice: Trying to get property 'fName' of non-object in /home/newobserverdawn/public_html/module/Application/view/application/index/news.phtml on line 23

Notice: Trying to get property 'lName' of non-object in /home/newobserverdawn/public_html/module/Application/view/application/index/news.phtml on line 23




लाकडाउन के दौरान ध्वनि,जल और वायु प्रदूषण का स्तर गिरने से आम लोगों के साथ साथ पंक्षियों को भी सुकून मिला है,नतीजन आज के दौर में दुलर्भ पक्षियों में गिनी जाने वाली गौरेया घर आंगन में फिर से फुदकती दिखायी देने लगी है। सालों बाद इस तरह चिड़ियों की चहचहाहट लोगों के दिलों को काफी सुकून पहुंचा रही है। लोगों का मानना है कि प्रदूषण का स्तर गिरने के चलते पक्षियों को नया जीवनदान मिला है हालांकि मोबाइल फोन टावर से पैदा विकिरण यानी रेडिएशन को गौरेया समेत अन्य पक्षियों के लिये सर्वाधिक नुकसानदेह माना गया है।


सुबह के समय चिडियों की चहचहाहट से लोगबाग गद्गद दिखाई दे रहे हैं और लोग इनके लिये दाना-पानी का इंतजाम करते नजर आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पक्षियों की चहचहाहट तो सुनाई दे रही थी लेकिन शहरी इलाकों में गौरेया समेत अन्य पक्षियों की तादाद में हाल के वर्षो में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही थी। कई लोग तो चिडियों को देखने के लिए सुबह के समय अपने घरों की छतों पर पहुंच जाते हैं।


नगर में एक गृहणी गीता ने कहा कि सालों बाद चिडियों की चहचहाहट सुनने को मिल रही है, इनकी आवाज सुनकर दिल को काफी सुकून मिल रहा हैं। प्रदूषण और मोबाइल टावरों के रेडिएशन ने चिडियों की कई प्रजातियाें को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। सालाें से चिडियों देखने को नहीं मिल रही थी लेकिन लाॅक डाउन ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लाॅक डाउन के कारण देश में ऐसी सभी फैक्ट्रियां जो प्रदूषण फैलाने का काम करती है, पूरी तरह बंद है, इससे हमारा वातावरण साफ हुआ है और पक्षियों को भी नया जीवन मिला है। सरकार को चाहिए कि लाकडाउन के बाद प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर कार्रवाई करे ताकि लुप्त हो रहे इन पक्षियों को नया जीवन मिल सके।



Comments

Note : Your comments will be first reviewed by our moderators and then will be available to public.

Get it on Google Play