उत्तर प्रदेश मे बस्ती जिले के मनवर यानी मनोरमा नदी के किनारे मख धाम मखौड़ा मे गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से त्रेता युग में अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ के द्वारा पुत्रेष्ठि यज्ञ किया किया गया था इसी यज्ञ के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्राकट्य हुआ था। आज भी यहां पुत्र प्राप्ति के लिए बड़ी तादाद में श्रद्धालु प्रार्थना,यज्ञ करते हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अयोध्या को पूरा विश्व भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में जानती है लेकिन भगवान श्रीराम की उद्भव स्थली बस्ती जिले में स्थित मखौड़ा धाम है,परशुरामपुर क्षेत्र में मनवर यानी मनोरमा नदी के किनारे स्थित मखौड़ा धाम ही वह सौभाग्यशाली स्थान है,राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया था। इसी यज्ञ के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्राकट्य हुआ गुरु वशिष्ठ ने शृंगी ऋषि से यज्ञ कराने की सलाह दी थी श्रृंगी ऋषि का आश्रम स्थल आज श्रृंगीनारी के रूप में जाना जाता है आज भी लोग संतान प्राप्ति के लिए यहां यज्ञ करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है।
इतना ही नहीं अयोध्या की चैरासी कोसी परिक्रमा देश व दुनिया के साधु-संत मखौड़ा से ही शुरू करते है पुरातन काल से ही मखधाम से 84 कोसी परिक्रमा चैत्र माह की पूर्णिमा से शुरू होकर यहीं समाप्त होती है अयोध्या से मखौड़ा, रामजानकी मार्ग होते हुए रामरेखा चकोही बाग से पुनः अयोध्या तक फैले 84 कोस अवध प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से बैषाख जानकी नवमी तक सभी देवों का वास होता है।बस्ती जिले मे राम-जानकी मार्ग भी है।
मान्यता है कि परिक्रमा कर भक्त जन्म जन्मान्तर के बंधन से मुक्त हो जाते हैं।अयोध्या से मखौड़ा धाम तक हवन के लिए घी लाने के लिए बनाए गए घृत नाले का अवशेष वर्तमान में जिले की सीमा घघौवा पुल से होकर रिधौरा ग्राम पंचायत होते हुए गोंडा बस्ती की सीमा से सटा हुआ हैदराबाद , सिकंदरपुर, चैरी, नंदनगर,करिगहना होते हुए जमौलिया के रास्ते मखौड़ा धाम तक मौजूद है।
बस्ती शहर मुख्य रेलवे लाइन से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मुख्य रेल लाइन लखनऊ को गोरखपुर से जोड़ती है,यह लखनऊ से 214 किलोमीटर पर स्थित है और गोरखपुर से 72 किलोमीटरपर स्थित है। मखधाम मखौड़ा के आसपास क्षेत्रो मे तम्बाकू की खेती अधिक होती है यहां के किसान तम्बाकू की खेती करके अच्छी खासी आमदनी बना लेते है।
मान्यता है कि जो लोग इस पावन तट पर स्थित क्षेत्र में हवन यज्ञ आदि संस्कार कराते हैं तो उनके मनोरथ सफल हो जाते हैं। जिसके चलते आज भी लोग आए दिन पवित्र मास में मंदिर में भंडारे आदि का आयोजन कराते रहते हैं। इसी क्रम में लोक कल्याण के लिये साधु संतों द्वारा बीते वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से सतत 12 वर्षों तक चलने वाला अखंड राम नाम का जप प्रारंभ हुआ जो कि सतत चल रहा है।