कहानी लिखने का टूल मुहैया कराता है कथा संवाद: हरियश

21-10-2019 12:27:20
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कथा संवाद में बुजुर्गों की स्थिति 
पर हुई समृद्ध चर्चा

गाजियाबाद. कथा संवाद जैसी कार्यशाला साहित्य संवर्धन के लिए नियामक तत्व हैं. प्रसिद्ध रचनाकार व कला समीक्षक डॉ. हरियश राय ने "मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन" के कथा संवाद में उक्त उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि संवाद रचना प्रक्रिया को बेहतर बनाता है. डॉ. राय ने कहा कि नवांकुरों के पास कहानी को लेकर कई सवाल होते हैं. अपने अनुभव के बूते वह कहानी तो लिखना चाहते हैं लेकिन शिल्प, विन्यास और भाषा के प्रयोग से अनभिज्ञ होते हैं. कथा संवाद जैसे आयोजन के जरिए ही वह कहानी गढ़ने का हुनर हासिल करते हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया में अभिनय, संगीत, नृत्य, पेंटिंग सीखने सिखाने के कई टूल्स मौजूद हैं. लेकिन कहानी लिखना सिखाने का कोई औजार नहीं है. कथा संवाद जैसे आयोजन ही यह सिखाते हैं कि कहानी लिखी या गढ़ी कैसे जाए.

होटल रेड बरी में आयोजित कथा संवाद की अध्यक्षता कर रहे डॉ. राय ने कहा कि आज हमें पारिवारिक, सामाजिक एवं आर्थिक संदर्भों में प्राप्त अनुभव के जवाब कहानी के रूप में देखने को मिल रहे हैं. मनु लक्ष्मी मिश्रा (मुख्य अतिथि), निर्देश निधि (विशिष्ट अतिथि), रिंकल शर्मा, वंदना जोशी, कुसुम पालीवाल, सुरेंद्र सिंघल, डॉ. बीना शर्मा, रश्मि पाठक की कहानी, दीपाली जैन के कथा प्लॉट, दलजीत सचदेव के संस्मरण पर विस्तार से बोलते हुए डॉ. राय ने कहा कि रिंकल शर्मा और सुरेंद्र सिंघल ऐसे क़िस्सागो हैं जो इस परंपरा को आगे ले जा सकते हैं. दीपाली जैन के कथ्य पर चर्चा करते हुए डॉ. राय ने कहा कि दैहिक रिश्ते पर आधारित यह विचार अत्यधिक संवेदनशील है जो सहज लेखन में सावधानी की मांग करता है. वंदना जोशी की कहानी "परिचय" को डॉ. राय ने मुकम्मल कहानी बताया. मनु लक्ष्मी मिश्रा की कहानी "अपने लोग" पर टिप्पणी करते हुए डॉ. राय ने कहा कि कहानी की गति बहुत तेज थी. कहानी कहने और लिखने में ठहरना जरूरी है. वृद्धावस्था को लेकर बहुत सी कहानियां लिखी गई हैं और लिखी भी जा रही हैं. भीष्म साहनी की कहानी "चीफ की दावत" का वृद्ध दो पीढ़ी पहले का वृद्ध था. मनु लक्ष्मी का बुजुर्ग आज का वृद्ध है. निर्देश निधि की कहानी " उनका प्रश्न " की चर्चा करते हुए डॉ. राय ने कहा कि यह कहानी भी मौजूदा दौर में परिवार में बुजुर्गों की अनदेखी को लेकर कई जायज सवाल उठाती है.

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उन्होंने दुष्यंत कुमार के शेर मेरे सीने में ना सही,  को उद्धृत करते हुए कहा कि लेखन की संभावनाओं की आग कहीं भी जले लेकिन आग जलनी चाहिए.  इस अवसर पर रवि पाराशर, सुभाष चंदर, डॉ. धनंजय सिंह, शिवराज सिंह, डा. तारा गुप्ता, सुभाष अखिल, अमरेंद्र राय, गोविंद गुलशन, उमाकांत दीक्षित, आलोक यात्री, सुशील शर्मा, प्रीति कौशिक, अजय फलक, पराग कौशिक आदि ने भी विचार प्रकट किए. कार्यक्रम का संचालन प्रवीण कुमार ने किया. इस अवसर पर अर्चना शर्मा, भारत भूषण बरारा, कुलदीप, वाई.के. पांडेय, ललित चौधरी, अजय वर्मा, सोनिया चौधरी, दिनेश दत्त पाठक सहित कई लोग मौजूद थे.


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