अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस
पूरी दुनिया भर में हर वर्ष 12 मई को
फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल के जन्मदिन को ‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नर्स
दिवस मनाने की शुरुआत 1965 में इंटरनैशनल
काउंसिल ऑफ नर्सेज (आईसीएन) ने की थी। जनवरी 1974 में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के तौर पर मनाने का फैसला
किया गया। नर्स दिवस’ को मनाने का
प्रस्ताव पहली बार अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी ‘डोरोथी सदरलैंड’ ने दिया था। बाद
में अमेरिकी राष्ट्रपति डी.डी. आइजनहावर ने इसे मनाने की स्वीकारता प्रदान की। इस
दिन को पहली बार 1953 में मनाया गया
था। अंतरराष्ट्रीय नर्स परिषद ने इस दिवस को पहली बार वर्ष 1965 में मनाया।
इंटरनैशनल नर्स डे 2020 की थीम 'नर्सिंग द वर्ल्ड
टू हेल्थ' है। नर्सों का हमारे जीवन में काफी महत्व है। यूं भी कह सकते
हैं कि हमें जिंदा रखने में नर्सों की बड़ी भूमिका होती है। वह गंभीर से गंभीर
मरीज की देखभाल करती हैं। अपने सुख-चैन को त्याग कर दूसरों की भलाई के लिए काम
करती हैं। उनके योगदानों और बलिदान के जज्बे को सलाम करने के लिए 12 मई का दिन चुना
गया। यह दिन दुनिया भर की नर्सों को समर्पित है। इस दिन अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस
मनाया जाता है। दुनिया की महान नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन को
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस मौके पर नर्सिंग के क्षेत्र
में उल्लेखनीय योगदान देने वाली नर्सों को फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार से भी
सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार की शुरुआत भारत
सरकार के परिवार एवं कल्याण मंत्रालय ने 1973 में की थी। हर साल 12 मई को पुरस्कार से नर्सों की सराहनीय सेवा को मान्यता
प्रदान किया जाता है। अब तक कुल 250 के करीब नर्सों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
पुरस्कार हर साल देश के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार
में 50 हज़ार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र
और मेडल दिया जाता है। नर्सिंग को पूरी
दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य पेशे के रूप में माना जाता है। नर्स को फिजिकली ही
नहीं मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी पहलुओं के माध्यम से रोगी की देखभाल करने के
लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित, शिक्षित और अनुभवी होना चाहिए। जब पेशेवर चिकित्सक दूसरे
रोगियों को देखने में व्यस्त होते है, तब रोगियों की चौबीस घंटे देखभाल करने के लिए नर्सिस की
सुलभता और उपलब्धता होती हैं। नर्सिस से रोगियों के मनोबल को बढ़ाने वाली और उनकी
बीमारी को नियंत्रित करने में मित्रवत, सहायक और स्नेहशील होने की उम्मीद की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2020: ये समय मेडिकल फील्ड के लिए आसान समय नहीं हैं, लेकिन रोगियों को
सुरक्षित रखने के लिए ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है वर्तमान स्थिति बहुत ही गंभीर और खराब है। जहां, सभी डॉक्टर, नर्स और मेडिकल स्टाफ स्टाफ COVID-19 रोगियों की
देखभाल कर रहे हैं। वे न केवल नोवल कोरोनोवायरस के सीधे संपर्क में आ रहे हैं, बल्कि वे उपकरणों
की कमी, काम की शिफ्ट में
बदलाव, और अपने काम के
कारण परिवार से दूर होने के कारण भी गंभीर परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। इसके
अलावा, कई नर्सों को
इसके कारण इस्तीफा देते हुए देखा गया था, लेकिन कैप्टन संध्या शंकर पांडे, कॉर्पोरेट चीफ ऑफ
नर्सिंग, फोर्टिस
हेल्थकेयर लिमिटेड का कहना है कि नर्सों को मजबूत, केंद्रित और सावधान रहने की जरूरत है। दुनिया
भर में कोरोना के कहर के बाद, अभी तक कोई टीका नहीं है, जिसमें कि डॉक्टरों और उनके सहायक स्टाफ नर्सों
की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। चूंकि कोई टीका नहीं है, ऐसे मामलों में
सतर्कता ही एकमात्र उपाय है। कोरोना महामारी
के इस दौर में नर्स बेहद अहम भूमिका निभा रही हैं। जान पर खेलकर मरीजों का इलाज
करने में मदद कर रही हैं। अपने घरों से दूर, परिवार से दूर रहकर अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के
साथ कर रही हैं। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है। इस दिन इनकी सेवा को याद
करना जरूरी है, क्योंकि बिना
नर्सिंग स्टाफ के इस लड़ाई को लड़ना मुमकिन नहीं है। चुनौतियों को मात देकर सेवा-भाव
में जुटी है एएनएम कोरोना संक्रमण काल में चिकित्सकों एवं नर्सों की भूमिका सबसे
महत्वपूर्ण हो गयी है. ऐसे में 12 मई को मनाए जाने वाले विश्व नर्सिंग दिवस पर अपने
कर्तव्यों के प्रति समर्पित नर्सों को याद कर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने की
जरूरत है. इस बार के विश्व नर्स दिवस की थीम ‘ नर्स: स्वास्थ्य के लिए विश्व का नेतृत्व करने की एक आवाज’ रखी गयी है. इस
मौके पर जिले की खरीक प्रखंड की लोकमानपुर पंचायत की एएनएम दीक्षा कुमारी की कहानी
भी उनकी कर्तव्यों के प्रति निष्ठा को दिखाती है, जो न सिर्फ मां की भूमिका निभा रही है बल्कि अपने कर्तव्य
को बढ़-चढ़कर पूरा कर रही है। वह लोकमानपुर जैसे सुदूर पंचायत में स्वास्थ्य सेवा
बहाल कर लोगों को स्वस्थ रख रही है। दीक्षा कुमारी लोगों के लिए किसी उम्मीद की
तरह है। कोरोना के इस दौर में वह न सिर्फ घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग कर रही
है, बल्कि गांव के
लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक भी कर रही हैं। उन्हें इससे बचने की सलाह भी दे
रही हैं। कोरोना वायरस के
इस मुश्किल समय में नर्सेज अपनी जान की परवाह किये बिना इस संक्रामक बीमारी से
पीड़ित मरीजों की सेवा में लगी हुई हैं कोविड -19 रोगियों की हाई
ट्रांसमिशन रेट के कारण, नर्सों, स्वास्थ्य
कर्मियों, प्राथमिक
चिकित्सा कर्मचारियों द्वारा अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। कोविड -19 के साथ-साथ कोविड -19 पॉजिटिव मरीज़ों
के संदिग्धों से बचने के लिए हमें यह समझने की ज़रूरत है कि मास्क, दस्ताने, जूते के कवर, काले चश्मे और
अन्य सामान जैसे व्यक्तिगत सुरक्षा आवश्यक चीजों का उपयोग करने के अलावा, सुरक्षित
इंफ्यूजन और इंजेक्शन प्रोटोकॉल का ध्यान रखें। जिससे आपको और रोगी को अन्य
संक्रमण का खतरा न हो।"