मनोरंजन क्षेत्र में भी तेजी से डिजिटल हो रहा है भारत
सूचना-संचार तकनीक की दुनिया में वैश्विक स्तर पर हो रहे नित-नए परिवर्तनों के चलते भारत अब मनोरंजन क्षेत्र में भी तेजी से डिजिटल हो रहा है। ऑब्जर्वर डॉन की डिजिटल भारत स्टोरी के चौथे अंश में मनोरंजन क्षेत्र में हो रहे डिजिटलीकरण पर आधारित इस लेख में हमने एंटरटेनमेंट सेक्टर में टेक्नॉलोजी के बढ़ते चलन पर प्रकाश डाले का प्रयास किया है।
थिएटर के बजाए अब डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज हो रही हैं फिल्में
कोरोना संक्रमण महामारी से बचाव को लागू देशबंदी के बाद अब देश-दुनिया में जीवन शैली से लेकर कामकाज के तरीकों तक बहुत कुछ बदल गया है। एंटरटेमेंट, मीडिया, साहित्य जगत भी इस बदलाव से कतई अछूते नहीं हैं। फिलहाल हम बात कर रहे हैं मनोरंजन जगत की। विशेषज्ञों की मानें तो वायरस संक्रमण का खतरा बेशक टल जाए, लेकिन इससे बचाव को लंबे समय तक देह-दूरी यानी फिजिकल डिस्टेंसिंग के मंत्र का पालन करना होगा। तब कहीं जाकर ही मानव सत्यता पर मंडरा रहे इस खतरे के बादल छंट सकेंगे। कोरोना संक्रमण के आपदाकाल में तमाम क्षेत्रों की तरह मनोरंजन उद्योग भी प्रभावित हो रहा है। लॉकडाउन की वजह से फिल्म इंडस्ट्री भी पूरी तरह बंद है। ना किसी फिल्म की शूटिंग हो रही है, ना ही कोई फिल्म रिलीज हो रही है। मनोरंजन के प्रमुख माध्यम फिल्म और टीवी सीरियल्स के निर्माण का काम बंद हो गया है, जिसके चलते एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से संबद्ध लाखों लोगों के समक्ष आजीविका का संकट आन खड़ा हुआ है। बहुत से फिल्मी प्रोजेक्ट अधर में लटक गए हैं।
कई फिल्में पूरा होने के बावजूद रिलीज की बाट जोह रही हैं। ऐसे में अब फिल्मवालों ने भी बिग स्क्रीन का मोह त्यागते हुए अपनी फिल्मों की रिलीज को लेकर विकल्प पर काम करना शुरू कर दिया है। इससे कुछ एंटरटेनमेंट प्लेटफार्म को घाटा होता दिख रहा है, जबकि कुछ फायदे में रहने वाले हैं। घाटे की बात करें तो सबसे ज्यादा असर सिनेमा हॉल उद्योग पर पड़ने वाला है। विशेषज्ञों के मुताबिक लंबे समय तक फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करना पड़ सकता है। ऐसे में लोग जब फिल्म देखने जाएंगे ही नहीं तो उसे वहां रिलीज करने से हासिल ही क्या होगा। नतीजतन निर्माताओं ने इसका विकल्प तलाश लिया है और वह है पहले से मौजूद डिजिटल मंच यानी ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्म्स, जिसका फायदा डिजिटल यानी ओटीटी प्लेटफार्म्स को मिलना लाजिमी है। हालांकि अभी तक कम बजट की फिल्मों के निमार्ता ही ओटीटी मंचों का रुख करते थे, कई बड़े फिल्म निमार्ताओं ने अपनी फिल्मों को डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज करने की तैयारी शुरू कर दी है। जी हां अब यह तय मानिए कि हालात सुधरने तक फिल्में डिजिटल प्लेटफार्म पर ही रिलीज हुआ करेंगी और हो सकता है कि यह सिलसिला आगे भी चलता रहे।
थिएटर के बजाए फिल्मों की रिलीज डिजिटल यानी ओटीटी प्लेटफार्म पर शुरूआत सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की मराठी फिल्म 'एबी आणि सीडी' से हुई। इसके बाद परेश रावल के बेटे आदित्य रावल की डेब्यू फिल्म 'बमफाड़' का नंबर लगा। अब इस फेहरिश्त में अमिताभ-नवाजुद्दीन सिद्दीकी की घूमकेतु, अमिताभ-आयुष्मान की 'गुलाबो सिताबो' और अक्षय कुमार की फिल्म 'लक्ष्मी बॉम्ब' का नाम शामिल होगा। हालांकि फिल्म 'एबी आणि सीडी' की बात करें तो यह फिल्म पूर्व में थिएटर पर रिलीज हो चुकी है, लेकिन सही मायने में इसे रिलीज नहीं कहा जा सकता। क्योंकि बिग बी की मराठी फिल्म 'एबी आणि सीडी' बीते मार्च माह में 13 तारीख को रिलीज हुई थी और 14 मार्च को कोरोना संक्रमण के चलते सिनेमाघर बंद कर दिए गए थे। ऐसे में सही मायने में थिएटर पहुंचने के बजाए पहले ओटीटी नेटवर्क पर फिल्म रिलीज किए जाने का सिलिसला आदित्य रावल की डेब्यू फिल्म 'बमफाड़' से शुरू हो चुका है। इसके बाद अमिताभ बच्चन-नवाजुद्दीन सिद्दीकी अभिनीत कॉमेडी फिल्म 'घूमकेतु' और फिर अमिताभ-आयुष्मान की सुजीत सरकार निर्देशित 'गुलाबो सिताबो' की डिजिटल रिलीज के बाद अब अक्षय कुमार अभिनीत और राघव लॉरेंस निर्देशित फिल्म 'लक्ष्मी बॉम्ब' का नंबर है। इसके साथ ही अक्षय कुमार की एक और फिल्म सूर्यवंशी समेत अन्य कई बड़ी फिल्मों की डिजिटल रिलीज की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। ऐसे में अब आप समझ सकते हैं कि बेशक कोरोना संकट के कारण ही सही, लेकिन जिस डिजिटल प्लेटफार्म पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और आज के सफलतम अभिनेताओं में शुमार अक्षय कुमार की फिल्मों का प्रीमियर होने लगा हो उसका महत्व कम कैसे आंका जा सकता है। बहरहाल अभी अगले काफी दिन तक फिल्में थिएटर के बजाए डिजिटली ही रिलीज हुआ करेंगी।
डिजिटल तकनीक से युवा सीख रहे हैं नाट्य विधा की बारीकियां
डिजिटल भारत बनाने के अभियान के तहत अब देश के अधिकांश क्षेत्रों में कामकाज के निस्तारण में संचार-सम्पर्क तकनीक के इस्तेमाल को जोरशोर से बढ़ावा दिया जा रहा है। साहित्य, गीत-संगीत और नाट्यकला का क्षेत्र भी अब डिजिटल तकनीक से अछूता नहीं रहा है। कोरोना महामारी के कारण लागू देशबंदी के दौरान देह-दूरी कायम रखने के चलते तमाम शहरों में जहां डिजिटल कवि सम्मेलनों की धूम है, वहीं वेब आधारित गीत-संगीत कार्यक्रमों और वर्कशॉप्स पर भी खूब जोर रहा है। इतना ही नहीं नाट्य विधा में भी डिजिटल तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित भारतेंदु नाट्य अकादमी ने देशबंदी के बीच सोशल मीडिया के माध्यम से कला गुरुकुलम श्रृंखला संचालित करके उल्लेखनीय काम किया है।
संस्कार भारती के अखिल भारतीय नाट्य विधा के सयोजक और भारतेंदु नाट्य अकादमी लखनऊ के अध्यक्ष रवि खरे ने बताया कि देशबंदी लागू होने और देह-दूरी की अनिवार्यता के बीच हमने संगीत, नाटक, साहित्य की गतिविधियां सुचारू रखने के उद्देश्य से हमने फेसबुक पर एक कला गुरुकुलम शृंखला शुरू की, जिसका सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है।
श्री खरे ने बताया कि 22 मार्च को हिंदी संस्थान में जयशंकर प्रसाद की कहानी 'गुंडा' नाटक का मंचन करने वाले थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से बीच में ही रिहर्सल रोकनी पडी। ऐसे में उन्होंने घर के बच्चों के साथ मिलकर 'बेटियां' नाटक तैयार किया। बच्चों को वर्कशॉप दी गई और उसके बाद अपने घर की छत पर ही रिहर्सल शुरू की गई।
साथ ही हमने फेसबुक पर एक कला गुरुकुलम शृंखला शुरू की है, जिसमें संगीत, नाटक, साहित्य सहित अन्य विधाओं के लोगों को लेकर उनके अनुभव साझा करने और युवा कलाकारों को दिशा-निर्देश देने का काम कर रहे हैं। इसके जरिए युवा कलाकारों को उनसे जुड़ने का मौका मिल रहा है। इससे उनके सवालों के जवाब के साथ उन्हें सही दिशा निर्देश भी मिल रहा है। इसके अलावा देश भर के कलाकारों से मोबाइल फोन के जरिए चर्चा चल रही है, जिसमें आगे की योजनाओं पर बातचीत की जा रही है। श्री खरे का कहना है कि डिजिटल तकनीक अपनाने से साहित्य, गीत-संगीत और नाट्यकला के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा।