अपने बेहतरीन युद्ध कौशल का कई बार परिचय दे चुकी है भारतीय वायु सेना

10-08-2020 17:00:58
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अपने बेहतरीन युद्ध कौशल का कई बार परिचय दे चुकी है भारतीय वायु सेना

भारतीय वायुसेना विश्व शक्तिशाली हवाई सेनाओं में शुमार की जाती रही है। 1947 में देश विभाजन के दौरान रॉयल इंडियन एयर फोर्स को विभाजित करके बनी भारतीय वायु सेना ने कदम-दर-कदम अपनी क्षमता को लगातार विकसित किया है। नतीजतन वर्तमान में भारतीय वायुसेना की गिनती विश्व की चौथी शक्तिशाली एयफोर्स में की जाती है। पाकिस्तान और चीन से युद्ध के बाद कारगिल, उरी और पुलवामा में पाकिस्तान के कायराना अटैक के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक के जरिए इंडियन एयर फोर्स ने अपनी क्षमता को साबित कर दिखाया है। हमारी हवाई सेना के पास आधुनिकतम साजो-सामान जैसे बैलेस्टिक, क्रूज और एंटी बैलेस्टिक मिसाइल आदि का जखीरा है। भारतीय वायु सेना के पास वर्तमान में विभिन्न श्रेणियों के दो हजार से अधिक एयर क्रॉफ्ट हैं। विश्व स्तरीय ट्रेनिंग,  अचूक और अपने अद्म्य हौसले के चलते भारतीय वायु सेना विश्व की सर्वोच्च हवाई सेनाओं में शुमार की जाती है।

कई लड़ाकू मिशनों को एक साथ अंजाम देने में सक्षम 'राफेल'

फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन निर्मित राफेल विमान अब भारतीय वायुसेना का हिस्सा बन चुका है। भारत सरकार ने फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन के साथ 26 लडाकू विमान खरीदने की डील की है। पांचवी पीढ़ी के इस मल्टीरोल फाइटर प्लेन की रेंज 3700 किमी प्रति घंटा है। इसकी अधिकतम स्पीड 2300 किमी से ज्यादा है। परमाणु हमला करने में सक्षम इस विमान में दो शक्तिशाली इंजन लगे हुए हैं। यह विमान एक मिनट के अन्दर ही 60 हजार फीट की उंचाई पर पहुँच जाता है। इस विमान से दूर से ही सटीक निशाना लगाया जा सकता है। इसमें 1.30 एमएम की एक गन लगी हुई हुई है, जो एक राउंड में 125 गोलियां दाग सकती है। अनेक प्रकार की अत्यधुनिक शस्त्र प्रणालियों से लैस राफेल हवाई टोही कार्यों, ग्राउंड सपोर्ट, दूर तक हमले करने, पोत पर हमले और परमाणु हमला निरोधक मिशनों के लिए सक्षम है। राफेल की निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन इसे कई लड़ाकू मिशनों को एक साथ अंजाम देने में सक्षम विमान बताती हैं। राफेल पर इसके वजन के लगभग बराबर हथियार और अन्य साजो-सामान लगाए जा सकते हैं, यानि यह लगभग अपने वजन के बराबर 9 टन पेलोड उठा सकता है। परमाणु हथियारों को दागने में सक्षम होना राफेल की सबसे बड़ी खासियत है। राफेल में परमाणु हथियार दागने की भारतीय प्रणाली लगाने में कोई समस्या नहीं आएगी। क्योंकि भारतीय वायुसेना के पास दसॉल्ट एविएशन के बनाए गए मिराज विमान भी हैं, जिन पर परमाणु हथियार तैनात किए जा सकते हैं। पांचवी पीढ़ी के राफेल पर लगी मेटिओर मिसाइल को गेम चेंजर बताया जाता है। यूरोपीय कंपनी एमबीडीए निर्मित मेटिओर बहुत दूर तक मार करने वाली रैम-जेट संचालित हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। भारत के लिए निर्मित राफेल में मेटिओर  मिसाइल लगाए जाने के कारण भारत की हवा से हवा में मार करने की क्षमता बहुत बढ़ जाएगी, क्योंकि मेटिओर मिसाइल 120 किलोमीटर दूर तक मार कर सकती है। मेटिओर मिसाइल से लैस राफेल भारतीय सीमा में रहते हुए भी दुश्मन के विमान को उसके क्षेत्र में 100 किलोमीटर भीतर तक मार गिराने में सक्षम है। राफेल पर क्रूज मिसाइल स्कैल्प भी तैनात की जा सकती हैं। स्कैल्प हवा से सतह पर मार करने वाली लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है, जो 600 किलोमीटर दूर तक मार सकती है। स्कैल्प मिसाइल अपने सटीक लक्ष्यभेदन के लिए जानी-पहचानी जाती है। स्कैल्प मिसाइल से लैस राफेल को दुश्मन के क्षेत्र में 600 किलोमीटर भीतर तक मार करने के लिए भारतीय सीमा को लांघने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। राफेल में हवा से हवा में मार करने वाली मीका मिसाइलें भी लगाई गई हैं। राफेल पर ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल भी लगाई जा सकती है। ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल को भारत-रूस संयुक्त उद्यम के तहत निर्मित किया जा रहा है। भारतीय राफेल स्पाइस हथियार प्रणाली, इंफ्रारेड, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और लेजर खतरों का लंबी दूर से पता लगाने में सक्षम स्पेक्ट्रा इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली, फ्रंट सेक्टर ओप्ट्रॉनिक्स प्रणाली,  आरबीई-2 एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड रडार और लाइटनिंग सेंसर पॉड से लैस हैं। इसपर रडार जैमिंग का कोई असर नहीं पड़ता। कुल मिलाकर यह भारतीय युद्ध बेड़े में शामिल एक अचूक और मारक लड़ाकू विमान है, जो विभिन्न मोर्चों पर एक साथ कारगर तरीके से दुश्मन को पस्त कर सकता है।

चिनूक हेलिकॉप्टर

अमेरिकी हेलिकॉप्टर चिनूक फिलहाल भारत के बेड़े में शामिल है। भारत ने 2015 में 15 ऐसे हेलिकॉप्टर का सौदा किया था। चिनूक की खास बात यह है कि इसमें ज्यादा सामान रखने की जगह होती है। इसमें एडवांस नेविगेशन सिस्टम लगे हुए हैं, जो मुश्किल परिस्तिथियों में इसे फायदा पहुंचाते हैं। यह हेलिकॉप्टर एक बार में 54 सैनिकों को ले जा सकता है। यह लगभग 11 टन वजन उठा सकता है। इस हेलीकॉप्टर से बोफोर्स जैसी तोप, मिलिट्री वाहनों और जेसीबी मशीन लिफ्ट करके आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है।

अपाचे हेलिकॉप्टर

अपाचे एक मल्टी रोल अमेरिकी हेलिकॉप्टर है, जिसे भारत ने बोईंग कंपनी से खरीदा है। अपाचे दुनिया के सबसे बेहतरीन हथियारों से लैस किया गया है। इस हेलिकॉप्टर को ऐम स्ट्रिंगर, एजीएम-114 हेल फायर मिसाइल, 1200 राउंड वाली  एम -230 चैनगन, 70 के हाईड्रा, एयर टू ग्राउंड राकेट जैसे सिस्टम्स से लैस किया गया है। 1 मिनट में यह 128 टारगेट साधने में सक्षम। अपाचे हेलिकॉप्टर जिस एंटीटैंक मिसाइल हेलिफायर से लैस है, उसकी रेंज 8 किमी है। अपाचे में ऐसे यंत्र लगे हैं, जिससे यह एक बार में 256 मूविंग टारगेट को पहचान सकता है। इस हेलिकॉप्टर में एक साथ दो पायलट बैठ सकते हैं। बीते साल 27 जुलाई को अपाचे हेलिकॉप्टर की पहली खेप गाजियाबाद स्थित हिण्डन एयर बेस पर पहुंच गई थी। इस साल भारतीय वायुसेना के बेड़े में कुल 24 अपाचे हेलिकॉप्टर शामिल होने हैं।

 सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस

सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस एक अमेरिकी विमान है जिसे भारत ने खरीदा है। यह सेना का एक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है। यह कम लम्बी यानी छोटी हवाई पट्टी (900 मीटर) पर भी उतारा जा सकता है, लेह लद्दाख के पहाडी क्षेत्रों पर इसको उतारना आसान है। यह खाराब मौसम में भी उड़ान भरने में सक्षम है। इसके द्वारा सेना के 20 टन तक के साजोसामान और 80 सैनिकों को हथियारों के साथ ले जाने में सक्षम है।

बोईंग सी- 17 ग्लोबमास्टर

बोईंग सी- 17 ग्लोबमास्टर दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य मालवाहक विमान है, जो एक बार में 80 टन सामान ले जा सकता है। यह विमान अपने साथ एक बार में 6-7  टैंक को ले जाने में सक्षम है और 3 हेलिकॉप्टर को ले जा सकता है। यह विमान मिसाइल वार्निंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर प्लानिंग सिस्टम से लैस है। मौसम का इस विमान पर कोई असर नही पड़ता। यह लगभग 200 सैनिकों को एक साथ ले जा सकता है।

मिग- 29

वर्ष 1970 के दशक के रुसी फाइटर एयरक्राफ्ट मिग-29 विमान का भारत पहला खरीदार बना था और 1980 में रूस से 50 विमान खरीदे थे। इसकी अधिकतम स्पीड 2400 किमी प्रतिघंटा है। भारतीय सेना ने इस विमान को अपग्रेड किया है। इसमें ऐसे डिवाइस लगाए हैं, जिससे यह किसी भी तरह के मौसम और दिन और रात के समय में भी उड़ान भर सकता है। रूस का यह विमान कारगिल युद्ध में बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ। बीते साल भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने इसी विमान से पाकिस्तान के एक फाइटर प्लेन एफ-16 को मार गिराया। भारत के पास रुसी फाइटर एयरक्राफ्ट मिग-21, 27 भी मौजूद हैं।

एचएएल तेजस

तेजस भारतीय वायुसेना का सबसे हलका विमान है। इस विमान को हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है। चौथी पीढ़ी के इस लड़ाकू विमान की स्पीड 2205 किमी है। यह छोटी हवाई पट्टी पर भी लैंड कर सकता है। इस विमान की तकनीक ऐसी है कि दुश्मन का रडार इसे आसानी से नहीं पकड़ पाता क्योंकि इसको कार्बन फाइबर से बनाया गया है। अपने साथ 3500 किलो वजनी हथियार ले कर जा सकता है। इसमें एंटी शिप मिसाइल भी मौजूद है। 50 हजार फीट की उंचाई तक उड़ान भर सकता है। लेजर गाइडेड बम से हमला करने में सक्षम है। इस विमान पर ब्रह्मोस मिसाइल भी लगाई जा सकती है।

एचएएल ध्रुव हेलिकॉप्टर

एचएएल ध्रुव पूरी तरह से भारत में निर्मित है। इसका इस्तेमाल नौसेना, जल सेना और वायुसेना तीनों के द्वारा किया जाता है। इसके दो  वेरिएन्ट है जिसमें एक है सिविलियन और दूसरा मिलिट्री वैरिएंट है। यह एक लाइट ड्यूटी हेलिकॉप्टर है इसका इस्तेमाल ट्रांसपोर्ट और यूटिलिटी रोल के लिए किया जाता है। इस हेलिकॉप्टर में कुछ सुधार करके अब भारतीय सेनाएं इसे अटैक के रूप में भी इस्तेमाल करने लगी है। ध्रुव की अधिकतम स्पीड 295 किमी प्रतिघंटा और रेंज 640 किमी है।

एचएएल रूद्र

एचएएल रूद्र हेलिकॉप्टर एचएएल ध्रुव का एक लड़ाकू वर्जन है। भारतीय सेना के बेड़े में शामिल यह हेलिकॉप्टर फॉरवर्ड लूकिंग इन्फ्रारेड, थर्मल इमेजिंग साईट सिस्टम, 20 एमएम की गन, 70 एमएम के राकेट पॉड, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल से लैस है।  इस की अधिकतम स्पीड 290 किमी प्रतिघंटा और रेंज 870 किमी है।

परमाणु हथियार दागने में सक्षम मिराज 2000

बालाकोट एयर स्ट्राइक में भारतीय वायु सेना द्वारा मिराज 2000 का इस्तेमाल करके आतंकवादियों के अड्डो पर 1000 किलो बम बरसाए थे। भारतीय वायुसेना के लिए यह विमान फ्रांस से खरीदे गए। यह विमान 17 हजार किलो का वजन अपने साथ ले कर उड़ान भर सकता है। इसकी अधिकतम स्पीड 2495 किमी प्रति घंटा है। इस विमान की रेंज 1850 किमी है। यह विमान न्यूक्लियर हथियार लेकर भी उड़ान भर सकता है। भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल मिराज विमानों पर भी परमाणु हथियार भी आसानी से तैनात किए जा सकते हैं। लेजर गाइडेड सिस्टम की मदद से यह हवा से हवा और हवा से जमीन पर मिसाइल दाग सकता है। इस विमान ने कारगिल युद्ध में भी अहम भूमिका निभाई थी। मिराज-2000 लड़ाकू विमान की निमार्ता कंपनी दसॉल्ट एविएशन है जो राफेल भी बनाती है। यह भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल में सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक है।

सुखोई एस-30 एमकेआई

सुखोई एस-30 एमकेआई एक ट्विन इंजन माल्टी रोल फाइटर प्लेन है। रूस से खरीदे गए इस विमान को अब भारत में बनाने के लिए लाइसेंस मिल गया है। यह विमान किसी भी मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है। भारतीय सेना के पास 250 सुखोई विमान हैं। सुखोई विमान 38 हजार किलो वजन के साथ टेक ऑफ कर सकता है। इसकी अधिकतम स्पीड 3000 किमी प्रतिघंटा है। सुखोई विमान ब्रह्मोस मिसाइल से अटैक करने में भी सक्षम है।

एमआई-35 हेलिकॉप्टर

रूस का बना अटैक हेलिकॉप्टर एमआई-35 अपने साथ 8 सैनिकों को लेकर  उड़ान भर सकता है। इस हेलिकॉप्टर की अधिकतम स्पीड 335 प्रति किमी है। इस हेलिकॉप्टर की रेंज 450 किमी है।

एमआई-17

एमआई-17 रूस द्वारा निर्मित एक ट्विन टर्बाइन हेलिकॉप्टर है। इसकी अधिकतम स्पीड 280 किमी प्रति घंटा है। इसकी रेंज 800 किमी तक है। इसे आधुनिक तकनीक के साथ फिर से अपग्रेड किया गया है। इस हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल मीडियम लेफ्ट स्ट्रेटेजिक और यूटिलिटी रोल के लिए किया जाता है।

जेगुआर बॉम्बर

भारतीय वायुसेना के बेड़े में जेगुआर युद्धक विमान भी शामिल हैं। जेगुआर दुश्मन के रॉडार में आए बगैर हमला करने में सक्षम बॉम्बर है। यह एंग्लो-फ्रेंच एयर फाइटर एक ट्विन इंजन, सिंगल सीटर डीप पैनिट्रेशन स्ट्राइक एयरक्राफ्ट है। इसमें दो 30एमएम गन, दो आर-350 मैजिक सीसीएमएस और 4750 किग्रा का अतिरिक्त भार ले जाने में सक्षम है, इसकी अधिकतम गति 1350 किमी प्रति घंटा है।


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