नेपाल जनता दल (एनजेडी) के अध्यक्ष हरिचरण शाह ने कहा है कि भारत को अपनी विदेश नीति में नेपाल के लिए विशेष प्रावधान करने चाहिए और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए बराबरी का व्यवहार होना चाहिए।
शाह ने कहा कि विशेष रूप से नेपाल के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत को अपनी विदेश नीति में विशेष प्रावधान करना चाहिए।
शाह ने यूनीवार्ता से कहा, “भारत और नेपाल प्राचीन समय से ही सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुये हैं और हमारे बीच कालापानी और कुछ अन्य जगहों पर सीमा विवाद के अलावा अन्य तरह के कोई मतभेद नहीं हैं।” उन्होंने कहा, “नेपाल के लोग चाहते हैं कि भारत में उनके प्रधानमंत्री के साथ वैसा ही व्यवहार हो जैसा अन्य लोकतांत्रिक देश के प्रमुख के साथ होता है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जैसे लांकतांत्रिक तरीके से चुने हुये नेता हैं।”
शाह ने कहा कि उनका देश अपने पुराने दोस्त भारत से दरकिनार किया हुआ महसूस करता है। पिछले वर्ष मई में भारत और नेपाल के रिश्तों में उस समय खटास आ गई जब नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने नये मानचित्र में दिखाया और इसे स्वीकृति दी। ऐसा कहा गया कि नेपाल ने लिपुलेख दर्रा को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली एक प्रमुख सड़क के निर्माण के विरोध में इस नये मानचित्र को स्वीकृति दी है।
भारत ने स्पष्ट किया था कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बन रही सड़क पूरी तरह से उसके क्षेत्र में आती है। इसके बाद से दोनों देशों की तरफ के राजनीतिक नेता सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कूटनीतिक संवाद चाहते हैं।
शाह ने कहा, “हम चाहते हैं कि एक बार इन मुद्दों के समाधान होने पर भारत और नेपाल के बीच नये सिरे से रिश्ते की शुरुआत हो।”