स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटलीकरण को अग्रसर है भारत
सूचना-संचार तकनीक की दुनिया में दिन-प्रतिदिन हो रहे व्यापक वैश्विक परिवर्तनों के चलते भारत अब स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटलीकरण को अग्रसर है। ऑब्जर्वर डॉन की डिजिटल भारत स्टोरी के तीसरे अंश में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र में हो रहे डिजिटलीकरण पर आधारित इस लेख में हमने हेल्थ और मेडिकल में टेक्नॉलोजी के बढ़ते चलन पर प्रकाश डाले का प्रयास किया है।
भारत में मजबूत है डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं का भविष्य
भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र व्यापक है। हैल्थ सर्विसेज का भारतीय बाजार 100 अरब डॉलर से भी अधिक का है। अनुमान है कि जल्द ही यह 280 अरब डॉलर तक पंहुच सकता है। हमारी हेल्थ इंडस्ट्री में अस्पताल, मेडिकल उपकरण, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, मेडिकल एप्लीकेशन, क्लिनिकल टैक्नोलॉजी, स्वास्थ्य-बीमा और टेली-मेडीसिन शामिल हैं। भारतीय समाज में इतना वैविध्य है कि यहां स्वास्थ्य सेवाओं में अपार संभावनाएं है। भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत अभाव है। हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली संसाधनों के अभाव में बहुत खराब हालत में है। जिस तरह देश में बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है और सार्वजनिक क्षेत्र उनके हिसाब से कम पड़ रहा है। यही वजह है निरन्तर निजी स्वास्थ्य क्षेत्र विस्तार पा रहा है।
भारत में व्यापक संभावनाओं वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है स्वास्थ्य सेवा
आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में डायबिटीज के सबसे अधिक मरीज हैं। वहीं हमारे पास प्रति 1000 व्यक्तियों पर सिर्फ 0.6 डॉक्टर हैं। हमारे यहां स्पेशिएलिटी, सुपर स्पेशिएलिटी तथा तीसरे दर्जे की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने वाले अस्पतालों की मांग में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। परिणामस्वरूप वैश्विक स्वास्थ्य सेवा संगठनों की स्वास्थ्य सेवाओं का जाल फैलता जा रहा है, उनके संस्थान यहां तेजी से खुल रहे हैं। भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र व्यापक संभावनाओं वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है। हालांकि इसके विकास की गति बेहद धीमी है, मांग और आपूर्ति में सबसे बड़ी बाधा संसाधनों का अभाव है।
स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटलाइज्ड करने की है जरूरत
जनसंख्या और भोगौलिक विस्तार की दृष्टि से आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हमें इस समस्या से निजात दिला सकता है। स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटलाइज्ड करके इस दिशा में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाए जा सकते हैं। डिजिटल सेवाएं हमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकती हैं। जनसंख्या की दृष्टि से हैल्थ सेवाएं डिजिटल माध्यम से ही सबको मुहैया करायी जा सकती है, भविष्य भी डिजिटल हैल्थ सर्विसेज का ही है। हाल का कारोना संकट इस भविष्य को जरूरी बता रहा है।
टैक्लोनॉजी के माध्यम से सर्वसुलभ बनायी जा सकती हैं स्वास्थ्य सेवाएं
हमें स्वास्थ्य क्षेत्र में टैक्नोलॉजी को बड़े स्तर पर उपयोग में लेना होगा। जहां स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना बहुत दुरुह है डिजिटल माध्यमों से वहां इस काम को आसानी से किया जा सकता है। टैक्लोनॉजी के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं सर्वसुलभ बनायी जा सकती हैं। गुणवत्ता की दृष्टि से बेहतर तथा समय, उर्जा व खर्च के लिहाज से उनमें गुणात्मक परिवर्तन लाए जा सकते हैं। अपने गांवों, कस्बों और नगरों व महानगरों में स्वास्थ्य सेवाओं का एक प्रभावी नेटवर्क इसके जरिए विकसित कर सकते हैं।
डिजिटल स्वास्थ्य सेवा में 'आरोग्य-सेतु' बन सकता है मददगार
डिजिटल स्वास्थ्य सेवा का सबसे प्रभावी और परिचित प्रमाण अभी कोरोनाकाल में प्रधानमंत्री द्वारा 'आरोग्य-सेतु' एप की शुरूआत करना है। जिसे भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कोरोना के प्रति जागरूकता हेतु बनाया है। उम्मीद जताई जा रही है कि 'आरोग्य-सेतु' एप डिजिटल स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में खासा मददगार बन सकता है। वर्तमान में आरोग्य सेतु एप कोरोना के लक्षण, बचाव तथा रोकथाम से जुड़ी तमाम जानकारियां उपलब्ध कराता है। यहां तक कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे और जोखिम का आकलन करने में भी मददगार है। इस तरह के संक्रमण से समाज को बचाने के उद्देश्य से इंफॉर्मेशन टैक्लोनॉजी के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस महत्वपूर्ण भूमिका में उभर रही है। जिसका बड़े स्तर पर प्रयोग कोरोना संक्रमण से पार पाने में चीन और दक्षिण कोरिया ने किया है। मोबाइल ब्लूटूथ, जीपीएस और सम्पर्क-सूत्र का उपयोग करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए कोरोना पॉजिटिव लोगों को चिन्हित किया गया। जिससे उनके उपचार और संक्रमण को राकने में मदद मिली। स्पष्ट है भविष्य डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं का ही है। हमें इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है।