भारत से पलायन की कहानियों पर है हिंदी फिल्म निर्माताओं का ध्यान
शाहरूख खान के पास हैं गिरमिटिया और प्रवासी भारतीयों से संबंधित तीन प्रोजेक्ट
निर्देशक शिमित अमीन की 'जहाजी', राजकुमार हिरानी का पंजाब-कनाडा बेस्ड अनाम प्रोजेक्ट और वेस्टइंडीज के क्रिकेटर एल्विन कालीचरण की बॉयोपिक
भारतीय सिनेमा जगत में अब भारतीयों के पलायन, गिरमिटिया मजदूरों और प्रवासियों से जुड़ी कहानियों पर खासा जोर दिया जा रहा है। दक्षिण के महानायक रजनीकांत की फिल्म 'कबाली' की कहानी से तो आप बखूबी वाकिफ होंगे, जिसमें गिरमिटया मजदूरों की संघर्ष गाथा दिखाई गई है। हालांकि इस फिल्म में गिरमिटया संघर्ष की मूल कहानी गौण ही रही और रजनीकांत की अन्य दूसरी फिल्मों की तरह उनकी लार्जर दैन लाइफ और मसीहाई छवि को उभारने पर कहीं ज्यादा ध्यान दिया गया। अब गिरमिटिया और प्रवासी भारतीयों से संबंधित विषय ने हिन्दी सिनेमा जगत को एक बार फिर आकर्षित करने का काम किया है।
आने वाले दिनों में अकेले शाहरूख ही तीन ऐसे प्रोजेक्ट में काम करते दिख सकते हैं, जिनकी कहानी गिरमिटिया और प्रवासी भारतीयों पर आधारित है। इनमें निर्देशक शिमित अमीन का 'जहाजी', राजकुमार हिरानी के निर्देशन में प्रस्तावित पंजाब से कनाडा जाने वाले लोगों की जिंदगी पर बेस्ड अनाम प्रोजेक्ट और वेस्टइंडीज के क्रिकेटर एल्विन कालीचरण के जीवन पर आधारित एक इंटरनेशनल प्रोजेक्ट पर भी काम करने की तैयारी है।
कमबैक को लेकर मजबूत दांव खेलने की जुगत में हैं शाहरूख
बॉलीवुड बादशाह कहे जाने वाले शाहरूख खान ने बीते काफी अरसे से फिल्मों से दूरी बना रखी है। आनंद एल. राय की शाहरूख अभिनीत फिल्म 'जीरो' के बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुहं गिरने के बाद से उनकी कोई फिल्म न तो पूरा होने की प्रक्रिया में है और न ही फिलहाल फ्लोर पर। ऐसे में अब जो भी प्रोजेक्ट शाहरूख करेंगे वह उनका कमबैक कहा जाएगा। शाहरुख खान की अपकमिंग फिल्म को लेकर लगातार अटकलों और कयासबाजी का बाजार गर्म हैं। कई फिल्म और वेबसीरीज से कमबैक को लेकर तमाम चर्चाओं का दौर जारी है। दरअसल पिछले कई प्रोजेक्ट्स की एक के बाद एक नाकामी से घबराए शाहरूख अपने कमबैक को लेकर मजबूत दांव खेलने की जुगत में हैं।
गिरमिटया वंशजों की कहानी को परदे पर उतारने की एक बड़ी वजह इनका भारत से प्रेम है। छह पीढ़ी गुजरने के बावजूद भी गिरमिटया खुद को भारतीय ही मानते हैं। इसमें अंग्रेजों की चालाकी भरा एंगल भी इसे रोचक बनाएगा। चालबाज अंग्रेजों ने भोले-भाले भारतीयों को एग्रीमेंट के बूते फंसाकर लाखों हिंदुस्तानियों को काम दिलवाले के बहाने अपने देश से सुदूर अनजान देशों में भेज दिया था, जहां उनका कोई अपना नहीं होता था। और जानकारी के अभाव व एग्रीमेंट के चक्कर में वे वापस भी नहीं आ पाते थे।
पहले भी बन चुकी हैं कई फिल्में
होने को प्रवासी भारतीयों और अवैध तरीके से परदेश जाने वालों की समस्याओं को हिन्दी सिनेमा में पहले भी खासी जगह मिलती रही है। 70-80 के दशक में आईं देवआनंद की देश परदेस और मनोज कुमार की पूरब और पश्चिम जैसी कई फिल्में इसका बेहतरीन उदाहरण हैं।
दुनिया के सबसे बड़े पलायन पर आधारित 'जहाजी' है गिरमिटिया मजदूरों की कहानी
शाहरुख खान 'चक दे इंडिया' के 13 साल बाद शिमित अमीन के निर्देशन में काम करने वाले हैं। शाहरुख की वापसी वाले इस अपकमिंग प्रोजेक्ट का टाइटल 'जहाजी' हो सकता है। 'जहाजी' नाम से बनने वाला यह प्रोजेक्ट दुनिया के सबसे बड़े पलायन पर आधारित है और इसमें गिरमिटिया मजदूरों के उत्पीड़न और संघर्ष की कहानी को परदे पर दिखाया जाएगा। 'जहाजी' की कहानी दुनिया के सबसे बड़े पलायन पर आधारित होगी। 'जहाजी' में 220 साल पुराने भारत की कहानी के बारे में बताया गया है, जिसमें पलायन की वजह से लाखों लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई थी। फिल्म में बताया जाएगा कि साल 1800 में अंग्रेज किस तरह अविभाजित भारत से हजारों की तादाद में मेहनतकश मजदूरों को एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया लेकर गए थे। ऐसे भारतीयों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा।
अनेक बढ़िया और इमोशनल एंगल होने के चलते शाहरुख खान को खासी पसंद आई है कहानी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चर्चा है कि एक साथ अनेक बढ़िया और इमोशनल एंगल होने के चलते शाहरुख खान को यह कहानी खासी पसंद आई है।इसकी स्क्रिप्ट की तैयारी बीते मार्च महीने से ही चल रही थी, लेकिन बीच में किन्हीं कारणों से काम कुछ अटका रहा। अब लॉकडाउन के दौरान आखिरकार स्क्रिप्ट तैयार कर ली गई है। बताया जा रहा है कि यह विश्व के सबसे बड़े पलायन पर आधारित है, जिसमें अंग्रेजी शासन काल के दौरान भारत से दुनिया के विभिन्न देशों में भेजे गए गिरमिटिया मजदूरों की कहानी दिखेगी। अंग्रेजी शासनकाल में फिरंगियों ने भारत के लाखों आम लोगों को बहला-फुसलाकर काम करने के लिए बड़े पैमाने पर वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में पहुंचा दिया था। अंग्रेजों ने धूर्तता दिखाते हुए भोले-भाले भारतीयों से करारनामों पर दस्तखत करवा लिए और निरक्षरों से अंगूठे लगवा लिए थे। इन करारनामों के कारण ही लाखों लोग वापस भारत नहीं लौट पाए। कई देशों में ऐसे भारतीयों को नाम मिला 'गिरमिटया'। विदेशी धरती पर और अनजान भाषाई माहौल के बीच घिरने-फंसने के बावजूद वह टूटे नहीं, उनमें से अधिकांश ने हार नहीं मानी। उन्होंने विदेशी सरजमीं को ही अपना वतन मान लिया और अपना अस्तित्व बचाने को जोरदार संघर्ष करते रहे। उन्होंने वहां अपनी एक अलग पहचान कायम करके परदेश में देश का नाम रौशन किया। मॉरीशस, फिजी, त्रिनिनाड और टोबेगा आदि देशों में भारतीय मूल की अनेक शख्सियत ऐसी हैं जो राजनीति, समाज और कारोबार के क्षेत्र में शीर्ष तक पहंचीं। शाहरुख भी अपनी अगली फिल्म में ऐसा ही किरदार निभाने वाले हैं।
इस वजह से दिया गया है 'जहाजी' नाम
गिरमिटिया मजदूरों को अंग्रेज पानी के जहाजों में भरकर भारत से बाहर भेजते थे। इसी वजह से फिल्म का टाइटल 'जहाजी' तय माना जा रहा है। गिरमिटिया मजदूरों के वंशजों ने वर्तमान में वेस्टइंडीज, मॉरिशस, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, त्रिनिनाड एंड टोबेगो आदि कई देशों में अपनी अलग पहचान कायम की है। वेस्टइंडीज के क्रिकेटर एल्विन इसहाक कालीचरन, शिवनारायण चंद्रपॉल और डेरेन गंगा गिरमिटिया मजदूरों के ही वंशज हैं। फिल्म 'जहाजी' में कहानी को आगे बढ़ाने के लिए उनके उदाहरण भी दिए जाएंगे।
धीर-गंभीर और संघर्षशील नायक की छवि बनाने की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के स्क्रीनप्ले और डायलॉग का काम पूरा हो चुका है। इसके डायरेक्शन के लिए शिमित अमीन संग बातचीत का दौर जारी है। आपसी रजामंदी होते ही प्रोजेक्ट को रफ्तार मिलने की उम्मीद है। बता दें कि शाहरुख खान के करियर की सबसे हिट फिल्मों में से एक 'चक दे इंडिया' का निर्देशन शिमित अमीन ने ही किया था। बीते दिनों लगातार कई फिल्मों की असफलता झेलने के चलते शाहरुख अब अपनी छवि बदलने के इच्छुक हैं। वह अब एक बार फिर 'चक दे इंडिया' और 'स्वदेश' जैसे धीर-गंभीर और संघर्षशील नायक के तौर पर लोगों के सामने आने की तैयारी में हैं। यही कारण है कि उन्होंने इस स्क्रिप्ट का चयन किया है। इस प्रोजेक्ट को बेहतर तरीके से बनाने के लिए संजीदा कहानियां निर्देशित करने में महारत हासिल रखने वाले निर्देशक को कमान थमाने की तैयारी है।
पंजाब से कनाडा जाने वाले लोगों की जिंदगी पर बेस्ड है राजकुमार हिरानी का प्रोजेक्ट
शाहरुख खान भारतीयों के पलायन संबंधी एक और कहानी को लेकर भी खासे उत्सुक बताए जा रहे हैं। पंजाब से कनाडा जाने वाले लोगों की जिंदगी पर बेस्ड बताई जा रही इस कहानी को कनिका ढिल्लों ने लिखा है। यह प्रोजेक्ट राजकुमार हिरानी के डायरेक्शन में बनाए जाने की तैयारी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों स्क्रिप्ट में की थीम एक जैसी होने के चलते इनमें कुछ समानता है, लेकिन उनकी पृष्ठभूमि अलग-अलग है।
फीचर फिल्म और वो वेब शो का होगा निर्माण
दोनों प्रोजेक्ट्स की स्क्रिप्ट की थीम एक जैसी होने के चलते टीम शाहरूख इन्हें अलग-अलग मंच के लिए बनाने की कवायद में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजकुमार हीरानी के साथ शाहरुख खान जहां फीचर फिल्म बनाएंगे, वहीं शिमित अमीन वाले प्रोजेक्ट 'जहाजी' को वेबशो यावी वेबसीरीज में कन्वर्ट किया जा सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि नेटफ्लिक्स के साथ 'बेताल' और 'बॉर्ड ऑफ ब्लड' की डील के बाद शाहरुख की 'जहाजी' भी ओटीटी पर रिलीज की जा सकती है।
वेस्टइंडीज क्रिकेटर एल्विन कालीचरण की बॉयोपिक भी शाहरुख को हुई है ऑफर
शाहरुख को वेस्टइंडीज के क्रिकेटर एल्विन इसहाक कालीचरण की बॉयोपिक वाले इंटरनेशनल प्रोजेक्ट की एक स्क्रिप्ट ऑफर की गई है। इस पर फिलहाल विचार-विमर्श जारी है। इस प्रोजेक्ट की कहानी मुख्य रूप से मशहूर क्रिकेटर एल्विन कालीचरण के वर्ष 1975 में वेस्टइंडीज की क्रिकेट टीम को पहला विश्वकप दिलवाने पर आधारित होगी। हालांकि एल्विन कालीचरण की बॉयोपिक होने के चलते इसमें कुछ हिस्सा गिरमिटिया मजदूरों पर भी आधारित रहने की बात कही जा रही है, लेकिन यह बहुत छोटा हिस्सा होगा। दरअसल इन कयासों के पीछे एक बड़ी और वाजिब वजह भी है, क्योंकि एल्विन कालीचरण भी गिरमिटिया मजदूर की अगली पीढ़ी में से थे।
My book "Bharatiya Girmitiya Mazdoor Aur Unke Vanshaj published in 2018 by Satsahitya Prakashan , Delhi got Aacharya Narendra Dev Award of UP government in 2019. Producers need to take care of that.
DInesh Chandra Srivastava
08-01-2021 17:04:26