उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने उच्च न्यायालय से मांग की है कि वह राज्य की जनता के हित में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर विचार करें।
चौधरी ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि योगी सरकार के शब्दकोश में दायित्व बोध और दया नाम का शब्द नहीं है। ऐसी सरकार को केवल फटकार से नहीं समझाया जा सकता। इस सरकार को दायित्व बोध कराने और इसमें दया की प्रवृति विकसित करने के लिए इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी है। उच्च न्यायालय को सूबे के हित में इस निर्मम, निर्दयी सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर विचार करना चाहिए।
उन्होने कहा कि प्रदेश में 58 हजार 194 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें निर्वाचित प्रधान हैं, सभासद है, बीडीसी हैं, जिला पंचायत सदस्य हैं। इस महामारी के खिलाफ जागरण और बचाव में इस बड़ी लोकतांत्रिक ताकत का उपयोग हो सकता है लेकिन सरकार खुद कुछ करना नहीं चाहती है और दूसरे को कुछ करते हुए भी नहीं देखना चाहती है। सरकार के इस रवैये से चारो तरफ केवल आह आह सुनाई पड़ रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा “ विपक्ष ही नहीं, अब भाजपा के विधायक भी बोलने लगे हैं कि हम सत्य कहेंगे तो हमारे ऊपर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा कायम हो जाएगा। कोई नहीं सुन रहा है, कहीं कोई व्यवस्था नहीं है, वेंटिलेटर नहीं है, ऑक्सीजन नहीं है, इंजेक्शन नहीं है, का दर्द तो केन्द्र सरकार और सूबे के मंत्री भी उजागर कर चुके हैं।”
उन्होने कहा कि प्रदेश इस समय जानलेवा दौर से गुजर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम इसका मुकाबला करने की जगह नदियों में उतराये शवों को लेकर यूपी बिहार का नाटक खेल रही है। इस नाटक को मूर्त रूप देने के लिए गाज़ीपुर के जमानियां में बिहार से शव लेकर गंगा तट पर आने वालों लोगों को परेशान किया गया। उन्होंने कहा है कि इस बदहाल स्थिति में भी योगी और उनकी टीम का अधिकतम समय अखबारों में हेड लाइन तय करने और उसे प्रचारित कराने में लग रहा है।
चौधरी ने कहा कि जिलों को छोड़िए, इस समय टीकाकरण के नाम पर लखनऊ के सूचना परिसर में एक ऐसा इंजेक्शन लग रहा है जिसपर न्यू कोवाशील्ड लिखा हुआ है लेकिन इस नाम की जानकारी कोई अधिकारी नहीं दे रहा है।