दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली दंगाें के आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा को बीए की परीक्षा में उसके तीन छूटे हुए पेपरों को देने के लिए अंतरिम हिरासत पर जमानत दी है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भामबानी की एकल खंडपीठ ने चार जून को एक आदेश में दिल्ली दंगों के आरोपी तन्हा को 13 से 26 जून तक अंतरिम जमानत दी है। खंडपीठ ने कहा आरोपी तन्हा जमानत अवधि के दौरान इस दी गयी सुविधा के दौरान दो जेल प्रहरियों की हिरासत में रहेगा और इस पर आने वाला खर्च वह वहन करेगा। वह एक लैपटॉप और एक मोबाइल फोन की भी व्यवस्था करेगा जो उक्त अवधि की समाप्ति पर फॉरेंसिक ऑडिट के लिए विशेष प्रकोष्ठ (स्पेशल सेल) को सौंपा जाएगा।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत की अवधि को जेल में एक विचाराधीन अवधि के तौर पर माना जाएगा और यह भी कहा कि अंतरिम जमानत पर बाहर जाने वाला आवेदक किसी भी तरह से दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा।
आरोपी तन्हा दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा जांच की गई मुख्य साजिश के मामले में मुकदमे का सामना कर रहा है। वह जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में फारसी विषय से बीए-ऑनर्स कर रहा है और अपने छूटे हुए पेपरों को देने के लिए उसने दो सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत के लिए आवेदन किया था। तन्हा को अग्रिम रूप से संबंधित जेल अधीक्षक के पास 10 जून को या उससे पहले 50,000 रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया है और खर्च के बाद बची हुई बाकी राशि को उसे वापस कर दिया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने उसकी इस अंतरिम जमानत के दौरान उसके रिश्तेदारों को उससे मिलने पर भी रोक लगा दी है। उसे हालांकि अंतरिम जमानत अवधि शुरू होने से पहले ही उसकी अध्ययन सामग्री उपलब्ध करा दी जाएगी।