हिंदुस्तान पीपुल्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजपाल
नई दिल्ली। शैक्षिक सत्र 2020-21 में दसवीं बोर्ड की परीक्षा में बैठने जा रहे बच्चों को भगवान भरोसे छोड़कर सरकार महज लफ्फाजी करने में ही जुटी हुई है और विद्यार्थियों के सुनहरे भविष्य का सपना दिखाने वाली पार्टी सरकार ने गरीब बच्चों के लिए एंड्रायड फोन या टैब देने की कोई नीति ही नहीं बनाई है। हैरानी की बात है कि करोड़ों रूपए फूंक कर अपनी वाह-वाही करने वालों ने ऐसी किसी योजना की शुरूआत ही नहीं की है कि सभी गरीबों के बच्चे शिक्षित होने की दिशा में अग्रसर हो सकें। जहाँ अभिभावक कोरोना महामारी से त्रस्त है उसी में स्कूल ऑनलाइन पढाई के नाम पे फीस उसूलने का दबाव बना रहे हैं जिसे कि माफ़ होना चाइये। और सरकारों से आग्रह है कि काम से काम देश में स्वास्थ्य और शिक्षा कि व्यवस्था तो सुदृढ़ कीजिये जिससे आम जनता को दिक्कत न हो तथा सरकारी स्कूल में बेहतर पढाई कि व्यवस्था बने जिससे गरीबों के बच्चे आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सके। इस महामारी के चलते जहाँ अभिभावकों के पास खाने और रहने के लाले हैं ऐसे में वे कैसे महंगा एंड्रायड फोन अपने बच्चों को देे सकते हैं जिसके जरिए ऑनलाईन पढ़ाई मुमकिन हो सके। व्हाट्सअप ग्रुुप के जरिए पढाई करने का ढ़िढोरा पीट रही सरकार के पास इस बात के भी कोई आंकड़े नहीं हैं कि कुल कितने बच्चे ऑनलाईन पढ़ाई कर रहे हैं। बताते चलें कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अब्दुल कलाम शिक्षा योजना की शुरूआत की थी जिसके तहत उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को बैंकों से लोन दिए जाने की व्यवस्था की गयी थी लेकिन आज तक कितने बच्चों ने इस स्कीम के तहत कर्जा लिया है यह जानने समझने की फुर्सत न तो अफसरशाही के पास है और ना ही जनप्रतिनिधियों के पास। शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव करने का दावा करने वाली वर्तमान विधायक आतिशी मार्लेना भी इन दिनों मूकदर्शक तमाशा देख रही हैं और कुछ को छोड़कर ज्यादातर बच्चे अभिभावकों के पास एंड्रायड फोन न होने के कारण पढ़ाई ही नहीं कर पा रहे हैं। हैरतअंगेज पहलू यह भी है कि शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय अध्यापक व प्रशासनिक अधिकारियों को भी यह जानने की फुर्सत नहीं है कि कोरोना महामारी के काल में दसवीं और बारहवीं बोर्ड में बैठने जा रहे बच्चों को गर्मियों की छुट्टी में घर बैठे शिक्षा मिल सके इसके लिए दिल्ली सरकार और अन्य प्रदेशों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को टैब देने की योजना पर जल्द काम नहीं शुरू किया गया तो काफी देर हो जाएगी। बताते चलें कि कोरोना ने दिल्ली को पूरी तरह जकड़ लिया है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार सितम्बर से पहले इस पर फिलहाल कोई नियंत्रण नहीं लगने वाला है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी यह एक यक्ष प्रश्न है जिस पर सभी को विचार करना चाहिए। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए और दसवीं व बारहवीं में नामित छात्र-छात्राओं को मुफ्त में एंड्रायड फोन या टैब देना चाहिए।
हिंदुस्तान पीपुल्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजपाल का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और शिक्षा से जुड़े सभी आला अधिकारियों से अनुरोध है कि इस ओर से गंभीरता से ध्यान दिया जाए और गरीबों के बच्चों को एंड्रायड फोन या फिर टैब दिया जाए। तथा स्कूली बच्चों कि फीस माफ़ कि जाये तथा होने वाली बोर्ड परीक्षा के लिए ऐसी पॉलिसी बनाई जाये जिससे बच्चों का भविष्य ख़राब न हो और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया को और अन्य प्रदेशों कि सरकारों को भी दरियादिली दिखाते हुए आगे आना चाहिए।