विदेश मंत्री डॉ.एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ निरंतर बातचीत कर रहा है लेकिन अभी सबसे पहली प्राथमिकता बचे हुए भारतीय नागरिकों को वहां से वापस लाने की है।
जयशंकर ने आज संसदीय सौंध में सभी विपक्षी दलों के संसदीय नेताओं को अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके बाद जयशंकर ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार का फोकस अभी वहां से लोगों को लाने पर सबसे ज्यादा है। सरकार सभी भारतीय नागरिकों को अफगानिस्तान से जल्द से जल्द वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए देवी शक्ति ऑपरेशन के तहत छह उडान संचालित की गयी हैं जिनमें ज्यादातर भारतीयों को वापस लाया गया है लेकिन कुछ अभी भी वहां बचे हुए है । उन्होंने कहा कि सरकार सभी को निश्चित रूप से वापस लायेगी। भारतीय उडानों में कुछ अफगानी नागरिकों को भी लाया गया है।
उन्होंने कहा कि साथ ही सरकार की अफगानिस्तान के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही गतिविधियों तथा निर्णयों पर भी नजर है और इस बात का हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि इन गतिविधियों तथा निर्णयों में भारत की भूमिका का स्थान हो। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल और रूस के राष्ट्रपति पुतिन से टेलीफाेन पर बात हुई है। विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने भी कई नेताओं से बात की है और यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
जयशंकर ने कहा कि उन्होंने स्वयं तथा विदेश सचिव ने विपक्षी दलों के नेताओं को अफगानिस्तान की स्थिति की विस्तार से जानकारी दी। विपक्षी नेताओं ने भी अपनी अपनी बात रखी जो मुख्य रूप से वहां से लोगों को वापस लाने के बारे में थी। विपक्षी नेताओं के हर सवाल का सरकार की ओर से संतोषपूर्ण जवाब दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ-साथ सभी विपक्षी दल भी यह संदेश देना चाहते हैं कि अफगानिस्तान के संवेदनशील विषय पर हमारे विचार समान हैं। इसके साथ ही यह भी संदेश देना है कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर हमारा मजबूत राष्ट्रीय रूख है और अफगानिस्तान के लोगों के साथ मित्रता हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं।