जम्मू-कश्मीर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को कहा कि सैयद अली शाह गिलानी के निधन से घाटी में स्थायी शांति आने की संभावना बन गयी है क्योंकि अब घाटी के लोग आतंकवाद से विनाश और तकलीफों की खुल कर मुखालफत कर सकते हैं।
गिलानी कई दशकों तक कश्मीर में अलगाववाद और पाकिस्तान समर्थक बयानबाजी के प्रतीक रहे। गौरतलब है कि अलगावादी नेता गिलानी का बुधवार को श्रीनगर में उनके हैदरपोरा स्थित आवास पर निधन हो गया था। भाजपा मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने यहां एक बयान में कहा, “ जम्मू-कश्मीर में भारी बहुमत का प्रतिनिधत्व करने वाली आवाजों को सैयद गिलानी द्वारा समर्थित और बंदूकों के डर से खामोश कर दिया गया या फिर दरकिनार कर दिया गया।”
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में गिलानी आतंकवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का केन्द्र था। आतंकवाद को जीवित रखने में उनकी अहम भूमिका थी। देश विरोधी रैलियां निकालने और पथराव करने वालों की भर्ती में उनकी भूमिका सर्वविदित है। सेठी ने कहा,“ शांति और राष्ट्रवाद के लिए प्रतिबद्ध लोगों को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा था, जिसमें गिलानी की भूमिका महत्वपूर्ण थी। ”
उन्होंने कहा कि गिलानी की हमेशा सीमा पार बैठे अपने आकाओं के सहयोग से कश्मीरी पंडित समुदाय को अपनी मातृभूमि से पलायन कराने में मुख्य भूमिका रही। कट्टरवाद और पाकिस्तान के लिए गिलानी के प्यार ने हजारों निर्दोष लोगों की जान ली और जम्मू-कश्मीर को धार्मिक और क्षेत्रीय आधार पर विभाजित करने की कोशिश में कश्मीरियों को अपूरणीय क्षति हुई। उन्होंने कहा कि कश्मीर पार्ट-1 के राजनीतिक इतिहास का काला अध्याय खत्म हुआ और स्थायी शांति और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नई आशाओं की दिशा खुल गयी हैं।