भारतीय फुटबाल टीम के सबसे सफल कप्तान थे चुन्नी गोस्वामी

02-05-2020 13:14:10
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भारतीय लीजेंड फुटबॉल खिलाड़ी चुन्नी गोस्वामी का बीती 30 अप्रैल निधन हो गया, गोस्वामी 82 वर्ष के थे। पिछले कई महीनों से बीमार चुन्नी गोस्वामी मधुमेह, प्रोस्टेट और तंत्रिका तंत्र संबंधी रोगों से ग्रस्त थे और लगातार उनका इलाज चल रहा था। तबियत बिगड़ने पर परिजनों ने उन्हें कोलकाता स्थित अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।

भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान के रूप में चुन्नी ने वर्ष 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और वर्ष 1964 में इस्राइल में आयोजित एएफसी एशिया कप में देश को रजत पदक दिलाया था। चुन्नी की अगुआई में भारतीय फुटबॉल टीम ने बेतरीन प्रदर्शन किया था। फुटबॉल के मैदान में यह भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है।

बचपन में ही मोहन बागान की जूनियर टीम में हो गए थे शामिल

बचपन से ही चुन्नी फुटबाल खेलने लगे थे और सिर्फ आठ साल की उम्र में ही मोहन बागान की जूनियर टीम में शामिल हो गए थे। उनका जन्म 15 जनवरी 1938 को अविभाजित बंगाल के जनपद किशोरगंज (अब बंगलादेश ) में हुआ था। श्री गोस्वामी का नाम सुबिमल गोस्वामी था, लेकिन वह चुन्नी गोस्वामी के नाम से ही मशहूर थे।

पूरे खेल करियर में मोहन बागान क्लब से जुड़े रहे

गोस्वामी अपने पूरे खेल करियर में बतौर फुटबॉलर एक ही क्लब, मोहन बागान के लिए खेलते रहे और वहां से वर्ष 1968 में सेवानिवृत्त हुए। चुन्नी ने पांच सत्र तक टीम का नेतृत्व किया। चुन्नी गोस्वामी भारतीय फुटबॉल इतिहास की प्रेरणा शक्ति कहे जाने वाली तिकड़ी में शामिल थे। इस तिकड़ी में चुन्नी गोस्वामी, पीके बनर्जी और तुलसीदास बालाराम का नाम शुमार किया जाता है।

अपनी कप्तानी में वर्ष 1962 के एशियाई खेलों में भारत को दिलाया था स्वर्ण पदक

चुन्नी गोस्वामी भारतीय फुटबाल टीम के सबसे सफल कप्तान थे। वर्ष 1962 के भारतीय फ़ुटबाल टीम ने उनकी कप्तानी में ही एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। स्ट्राइकर पोजीशन में खेलने वाले श्री गोस्वामी ओलम्पिक, एशियाई खेल, एशिया कप और मर्डेका कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय फुटबॉलर में शुमार रहे। अपने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल करियर में कुल 13 गोल दागने वाले गोस्वामी ने बतौर फुटबॉलर भारतीय टीम के लिए वर्ष 1956 से 1964 तक कुल 50 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। चुन्नी गोस्वामी वर्ष 1970 के दशक में भारतीय फुटबॉल के चयनकर्ता बने। वर्ष 1996 में राष्ट्रीय फुटबॉल लीग शुरू होने पर उन्हें सलाहकार समिति में शामिल किया गया।

बेहतरीन फुटबॉलर होने के साथ ही अच्छे क्रिकेटर भी थे

चुन्नी गोस्वामी बेहतरीन फुटबॉलर होने के साथ ही अच्छे क्रिकेटर भी थे। उन्होंने वर्ष 1962 से वर्ष 1973 के बीच कुल 46 प्रथम श्रेणी मैचों में पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 1592 रन बनाने के अलावा 47 विकेट लिए। चुन्नी ले अपनी कप्तानी में पश्चिम बंगाल की टीम को 1971-72 में रणजी ट्रॉफी के फ़ाइनल तक पहुंचाया था। हालांकि उनकी टीम को बॉम्बे की टीम मुकाबले हार का सामना करना पड़ा था। बॉम्बे रणजी टीम की कप्तानी अजीत वाडेकर ने की थी।

पद्मश्री समेत मिले अनेक पुरस्कार

स्ट्राइकर चुन्नी गोस्वामी को उनके योगदान के लिए पद्मश्री समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। कलकत्ता के वेटरंस स्पोर्ट्स क्लब ने वर्ष 1958 में चुन्नी गोस्वामी को बेस्ट फुटबॉलर अवार्ड से सम्मानित किया था। वर्ष 1962 में गोस्वामी ने एशिया के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकर का पुरस्कार जीता था। वर्ष 1963 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फुटबॉल में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1983 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। वर्ष 2005 में चुन्नी को मोहन बागान रत्न के खिताब से नवाजा गया। भारतीय डाक विभाग ने बीते जनवरी माह में चुन्नी गोस्वामी के 82वें जन्मदिन पर भारतीय फुटबॉल में उनके योगदान के लिए विशेष डाक टिकट जारी किया था।


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