धर्मनगरी अयोध्या का ऐतिहासिक स्वरूप होगा को पुनर्जीवित, नव्य अयोध्या में त्रेता युग की दिलेगी झलक
राम मंदिर के निर्माण के साथ ही धर्मनगरी अयोध्या के ऐतिहासिक स्वरूप को पुनर्जीवित किया जाएगा। नव्य अयोध्या में त्रेता युग की झलक मिलेगी। भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ ही अयोध्या को पूर्ण रूप से विकसित करने की योजना है। सरकार ने धर्मनगरी अयोध्या के सुंदरीकरण और विकास का पूरा खाका तैयार करते हुए इसे अमलीजामा पहनाने की काम शुरू कर दिया है। इस क्रम में अयोध्या बाईपास से लेकर शहर तक तमाम बड़े काम किए जाने हैं। इस योजना में बाईपास के पास भगवान हनुमान की प्रतिमा लगाने, छोटे-छोटे फ्लावर गार्डन विकसित करने और फव्वारे लगाकर सुन्दरीकरण का खाका खींचा गया है। सरकारी स्तर पर की जा रही तैयारियां बता रही हैं कि इस बार अयोध्या में जो कुछ भी होगा, वह भव्य और दिव्य ही होगा। श्रीरामचंद्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण, रेलवे स्टेशन, अयोध्या के चारों ओर रिंग रोड, अयोध्या के जर्जर पौराणिक भवनों का पुनिर्माण जैसी स्थापनाएं अयोध्या को निश्चित ही गौरव प्रदान करेंगी। इस पूरी परियोजना को लेकर सरकारी स्तर पर तमाम तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं।
छह सौ एकड़ भूभाग पर नव्य अयोध्या नाम से विस्तार लेगा नया नगर
नव्य अयोध्या बसाने को अयोध्या विकास प्राधिकरण बोर्ड ने जहां माझा बरहटा में सौ एकड़ भूमि का अनुमोदन किया है, वहीं आवास विकास परिषद की नव्य अयोध्या न्यूनतम पांच सौ एकड़ क्षेत्र में विकसित की जानी है। इसके लिए माझा जमथरा, माझा तिहुरा, माझा शहनेवाजपुर व माझा बरहटा के क्षेत्र को प्रस्तावित किया गया है। इस तरह विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद की संयुक्त प्रयासों से कुल छह सौ एकड़ भूभाग पर नव्य अयोध्या नाम से नया नगर विस्तार लेगा। यह नई अयोध्या एक ओर जहां आधुनिक सुविधाओं से लैस होगी, वहीं यहां त्रेतायुगीन झलक भी दिखेगी। नई अयोध्या में भव्य राम मंदिर के साथ ही साधु-संतों के आश्रम होंगे और आधुनिक गुरुकुल भी बनाए जाएंगे। सरकार इस परियोजना को साकार करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है।
उत्तर पूर्व कोने में सरयू के कछार से जुड़े भूभाग पर विकसित होगी नव्य अयोध्या
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र के समक्ष उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद और जिले के अधिकारी नव्य अयोध्या का पूरा एक्शन प्लान साझा कर चुके हैं। इस नई रामनगरी को अयोध्या के उत्तर पूर्व कोने में सरयू के कछार से जुड़े भूभाग पर विकसित करने की योजना है। नव अयोध्या की यह योजना शाहनवाज पुर और तिहुरा माझा ग्राम सभा की जमीन पर आकार लेगी। इसमें खूबसूरत आर्किटेक्चर के साथ ही यहां की सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिलेगी। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद संग अयोध्या विकास प्राधिकरण, पीडब्ल्यूडी, अयोध्या नगर निगम और उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग मिलकर राम नगरी अयोध्या को नया रूप देंगे। नव अयोध्या में मार्ग से लेकर चौराहे और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर रामायण के प्रतीक चिह्न स्थापित किए जाएंगे, जो राम नगरी की भव्य और दिव्य धार्मिक छवि को और विस्तार देंगे।
नव्य अयोध्या परियोजना पर खर्च किए जाने हैं 25 हजार करोड़
रामनगरी में करीब 600 एकड़ क्षेत्रफल में अत्याधुनिक नव्य अयोध्या विकसित करने की परियोजना को मूर्त रूप देने की प्रक्रिया पर भी काम चल रहा है। उम्मीद है कि राममंदिर निर्माण के साथ ही नव्य अयोध्या को विकसित करने का कार्य भी पूरा हो जाएगा। नव्य अयोध्या बनाने की इस परियोजना पर 25 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। अब यह तय समझिए कि नव्य अयोध्या विकसित करने की इस योजना के लिए आवंटित धनराशि का ब्लू प्रिंट के मुताबिक सदुपयोग हुआ तो अयोध्या का कायाकल्प होने से यहां के निवासियों के जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार आएगा।
अयोध्या का होगा कायाकल्प, सड़क से लेकर रेलवे स्टेशन तक की बदलेगी सूरत
राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होने के साथ ही धर्मनगरी अयोध्या पुरी में अरबों रुपए की विकास और पर्यटन संबंधी परियोजनाएं भी रफ्तार पकड़ेंगीं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाने तैयारियां शुरू हो गई हैं। इन परियोजनाओं से समूची अयोध्या का कायाकल्प होगा। अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के मुताबिक इस प्राचीन शहर को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए पर्यटन और कनेक्टिविटी बढ़ाने वाला विस्तृत रोडमैप तैयार करके आधुनिक बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है। अब यहां के रेलवे स्टेशन से लेकर हर गली-मौहल्ले तक की सूरत बदलने वाली है। रेलवे स्टेशन को जहां राम मंदिर की तर्ज पर तैयार की करने की योजना है, वहीं पूरी अयोध्यापुरी को रामरंग में रंगा जा रहा है। अयोध्या नगरी को रामरंग में रंगने को धर्मनगरी की दीवारों, स्तं•ों, सम्पर्क मार्गों पर राम कथा का चित्रण किया जा रहा है।
अयोध्या चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग का हो रहा है कायाकल्प
रामनगरी अयोध्या से जुड़ने वाले समस्त मार्गों को विकसित करने और सजाने-संवारने का कार्य चल रहा है। अयोध्या चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग का कायाकल्प किया जा रहा है। सरकार अब इसे दो लेन में विकसित करने की योजना पर काम कर रही है। इसके चौड़ीकरण और सुंदरीकरण के लिए तीन हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। दरअसल 275 किमी लंबा यह परिक्रमा मार्ग अधिकांश जगहों पर एकल मार्ग है। परिक्रमा मार्ग में दो पुलों का निर्माण भी होना है। इसके साथ ही अयोध्या से चित्रकूट को जोड़ने के लिए 165 किलोमीटर लंबा 4-लेन हाईवे बनाने की योजना पर भी कार्य जारी है।
भगवान श्री राम की प्रतिमा होगी विश्व में सबसे ऊंची
राम मंदिर बनने और विकास परियोजनाओं के पूरा होने से अयोध्या नगर न केवल उत्तर प्रदेश का ही, बल्कि देश के एक बड़े पर्यटन केन्द्र के रूप में अपनी अलग पहचान बनाएगा। अयोध्या में सरयू नदी के तट पर भगवान राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव है। यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। अयोध्या में भगवान श्री राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा बनाने का जिम्मा नोएडा के वयोवृद्ध मूर्तिकार पद्म भूषण राम सुतार को सौंपा गया है। गुजरात में स्थित सरदार पटेल की 183 मीटर ऊंची प्रतिमा भी श्री सुतार ने ही डिजाइन की थी। भगवान राम की यह प्रतिमा पूर्णत: स्वदेशी होगी।
नई अयोध्या के विकास की जिम्मेदारी नोडल एजेंसी को दी गई है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, नई अयोध्या के आधुनिकीकरण की योजना में शहर में राम संग्रहालय खोलने की भी योजना है। बता दें कि इसमें खुदाई के समय भारतीय पुरातत्व सवेक्षण विभाग (एएसआई) की टीम द्वारा को मिली कलाकृतियों और पुरावशेषों को यहां प्रदर्शित किया जाएगा। इसके साथ ही मंदिर के आसपास के क्षेत्र को विकसित किया जाएगा।
नव्य अयोध्या बसाने को अफसरों के बीच बैठकों का दौर शुरू
नव्य अयोध्या बसाने को लेकर अयोध्या विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद अफसरों के बीच बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। नव्य अयोध्या बनाने को आवास विकास परिषद अध्यक्ष द्वारा गठित समिति की पहली बैठक के बाद प्राधिकरण और परिषद अफसरों ने नव्य अयोध्या के लिए माझा जमथरा का मौका मुआयना किया। बैठक में प्राधिकरण उपाध्यक्ष और इस समिति के अध्यक्ष डॉ. नीरज शुक्ल, आवास विकास परिषद के संयुक्त सचिव अनिल कुमार सिंह, प्राधिकरण सचिव के अलावा परिषद एवं प्राधिकरण के इंजीनियर शामिल रहे। यही समिति नियोजित ढंग से बसाई जाने वाली आवासीय कॉलोनी नव्य अयोध्या के संदर्भ में स्थलीय रिपोर्ट आवास विकास परिषद को सौंपेगी। नव्य अयोध्या को करीब पांच सौ एकड़ क्षेत्र में बसाया जाना है। माझा जमथरा का मौका मुआयना करने की मुख्य वजह यहां स्थत करीब चार सौ एकड़ की नजूल भूमि है। साथ ही गुप्तार घाट का निकट होना भी एक मुख्य कारण है। गुप्तारघाट के बारे में किवदंती है कि भगवान राम यहीं सरयू नदी में गुप्त हुए थे। पौराणिक महत्व वाला गुप्तारघाट 14 कोसी परिक्रमा रोड पर स्थित है, यह माझा जमथरा के निकट है।
नव्य अयोध्या के लिए माझा जमथरा के अलावा दो वर्ष पूर्व प्राधिकरण द्वारा नव्य अयोध्या बनाने को प्रस्तावित की गई माझा बरहटा की भूमि का भी स्थलीय निरीक्षण किया गया। प्राधिकरण बोर्ड इसका अनुमोदन कर चुका है। प्राधिकरण के प्रस्तावित नव्य अयोध्या स्थल के पास ही भगवान राम की सबसे ऊंची 251 मीटर की प्रतिमा लगनी है। प्राधिकरण की नव्य अयोध्या सौ एकड़ की है। वहीं आवास विकास परिषद जो नव्य अयोध्या बसाना चाहता है, वह न्यूनतम पांच सौ एकड़ की है। जानकारी के मुताबिक आवासीय कॉलोनी के लिए अन्य कई स्थल भी देखे गए हैं। नव्य अयोध्या के लिए माझा तिहुरा, माझा शहनेवाजपुर व माझा बरहटा के क्षेत्र को संयुक्त रूप से प्रस्तावित किया गया है।
अयोध्या के विकास की योजना का रोडमैप
अयोध्या के विकास की योजना का एक रोडमैप मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने तैयार किया है। इसके के तहत अयोध्या में पर्यटन को बढ़ावा देने और आधुनिक शहर के रूप में विकसित करने के लिए अयोध्या तीर्थ विकास परिषद की स्थापना करने के प्रस्ताव के साथ ही धर्मनगरी में भगवान राम को समर्पित दस द्वार स्थापित करने की योजना तैयार की गई। सरयू नदी के तट पर भगवान राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की योजना है। पर्यटन और धार्मिक मंतव्य से अयोध्या आने और जाने के यहां एक विशाल हवाई अड्डे का निर्माण किए जाने, अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अंतर्राष्ट्रीय बस टर्मिनल का विकास किया जाना है। साथ ही अयोध्या में दस सितारा होटल और 5 बड़े रिसॉर्ट के निर्माण की भी योजना है।
100 करोड़ रुपए के अनुमानित निवेश के साथ राम मंदिर के मॉडल वाला विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन विकसित करने की भी योजना का खाका खींचा गया है। श्रद्धालुओं के सुविधार्थ 10,000 लोगों की क्षमता वाला 'रैन बसेरा' बनाने की योजना है। नगर में अंडर ग्राउंड केबलिंग का कार्य कराने के साथ ही अयोध्या को फैजाबाद से जोड़ने वाले 5 किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर का निर्माण भी इस योजना का हिस्सा है। अयोध्या में सभी प्रमुख सार्वजनिक स्थलों, पार्कों का विकास, भगवान राम से जुड़े सभी छोटे जलाशयों की मरम्मत और जीर्णोद्धार कराने के साथ ही रामनगरी अयोध्या को रामायण क्षेत्र के अन्य स्थलों से जोड़ने की भी योजना है। इसके तहत अयोध्या से चित्रकूट के बीच 4-लेन की सड़क का निर्माण भी शामिल है।
अयोध्या में स्थापित किया गया है राम संग्रहालय
श्रीराम की नगरी स्थित अयोध्या शोध संस्थान में हस्तशिल्प के राम संग्रहालय की स्थापना की गयी है। राम संग्रहालय में अब तक धातु, वस्त्र, काष्ठ, चर्म, टेराकोटा आदि शिल्पों में देश और विदेश की लगभग ढाई हजार कलाकृतियां राम पर आधारित संग्रहीत हैं।
अयोध्या शोध संस्थान के तुलसी स्मारक भवन में अनेक चित्र और मुखौटे दीवारों पर बनाये गए हैं। यहां कर्नाटक की विशेष दक्षिण शैली में पीक वुड की कोदण्ड राम प्रतिमा भी प्रदर्शित की गई है। सात फिट ऊंची इस प्रतिमा को बंगलूर के दो भाईयों एम. राममूर्ति एवं एम. भूपति ने बनाया गया है। प्रतिमा का अनावरण बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। यहां प्रदर्शित यह प्रतिमा दक्षिण की हस्त कला का अद्भुत नमूना होने के साथ ही उत्तर और दक्षिण के समन्वय का भी प्रतीक है।