लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में टूट के बाद स्व.रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने कहा कि उन्होंने पार्टी तोड़ी नहीं बल्कि उसके अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूरी में 6 में से 5 सांसदों ने बड़ा फैसला लिया है।
पारस ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रविवार को देर शाम लोजपा के 6 में से 5 सांसदों की बैठक हुई जिसमें उन्हें सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुना गया । इसके बाद सभी सांसद रात 8:30 बजे लोकसभा अध्यक्ष से मिले और उन्हें पत्र सौंपकर नए नेता चुने जाने के बारे में जानकारी दी । स्व.रामविलास पासवान के छोटे भाई ने कहा कि उन्होंने पार्टी तोड़ी नहीं बल्कि बचाई है । यह पार्टी के अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूरी में लिया गया फैसला है ।
लोजपा नेता ने कहा," हम तीनों (रामविलास पासवान, पशुपति कुमार पारस, रामचंद्र पासवान) भाइयों में बहुत प्रेम था यह पूरी दुनिया जानती है । 28 नवंबर 2000 में लोजपा का गठन बड़े भाई रामविलास पासवान ने किया था तब से पार्टी बहुत अच्छे ढंग से चल रही थी । कहीं किसी को कोई शिकवा शिकायत नहीं थी लेकिन मेरा दुर्भाग्य था कि मेरे बड़े भाई और छोटे भाई दोनों हमको छोड़कर चले गए, मैं अकेला रह गया।बहुत अकेला महसूस कर रहा हूं ।"