रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस के लिए उड़ान के दौरान ऑक्सीजन बनाने की मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट तकनीक का इस्तेमाल अब अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने में करेगा।
डीआरडीओ इस तकनीक से 500 मेडिकल ऑक्सीजन संयंत्र लगायेगा। इस संयंत्र की क्षमता प्रति मिनट 1,000 लीटर ऑक्सीजन उत्पादन की होती है। यह प्रणाली पांच एलपीएम की प्रवाह दर पर 190 रोगियों की जरूरत को पूरा कर सकती है और प्रतिदिन 195 सिलेंडर चार्ज कर सकती है। मैसर्स टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, बेंगलुरु और मैसर्स ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, कोयंबटूर को इस प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण किया गया है, दोनों देश के विभिन्न अस्पतालों में स्थापना के लिए 380 संयंत्रों का उत्पादन करेंगे। सीएसआईआर से संबंधित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून के साथ काम करने वाले उद्योग 500 एलपीएम क्षमता के 120 संयंत्रों का उत्पादन करेंगे।
कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों और अस्पतालों में ऑक्सीजन एक बहुत महत्वपूर्ण क्लीनिकल गैस है। मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट (एमओपी) तकनीक 93±3 प्रतिशत सांद्रता के साथ ऑक्सीजन उत्पन्न करने में सक्षम है जिसकी सीधे अस्पताल के बेड पर आपूर्ति की जा सकती है या जिसका उपयोग मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर भरने के लिए किया जा सकता है। यह वायुमंडलीय वायु से सीधे ऑक्सीजन उत्पन्न करने के लिए प्रेशर स्विंग ऐडसॉर्प्शन (पीएसए) तकनीक और मोलेकुलर सिएव (जोलाइट) तकनीक का उपयोग करता है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए एमओपी तकनीक उपयोगी होगी। अस्पताल दूसरी जगहों से ऑक्सीजन मंगाने पर निर्भर होने के बजाए किफायती तरीके से इस ऑक्सीजन संयंत्र के माध्यम से अपने परिसर में ही मेडिकल ऑक्सीजन पैदा करने में सक्षम होंगे।
इस संयंत्र की स्थापना विशेष रूप से ऊंचाई वाले और दुर्गम दूरस्थ क्षेत्रों में दुर्लभ ऑक्सीजन सिलेंडर पर अस्पताल की निर्भरता से बचने में मदद करती है। पूर्वोत्तर और लेह-लद्दाख क्षेत्र में सेना के कुछ स्थलों पर एमओपी पहले ही स्थापित किया जा चुका है। संयंत्र आईएसओ 1008, यूरोपीय, अमेरिका और भारतीय फार्माकोपिया जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन करता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगाए जाने वाले पांच संयंत्रों के लिए जगह की पहचान पहले ही की जा चुकी है।
डीआरडीओ ने मेसर्स टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, बेंगलुरु में 332 एमओपी और मैसर्स ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, कोयंबटूर में 48 संयंत्रों के लिए आपूर्ति के आदेश जारी करने के साथ 380 एमओपी के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है और पीएम केयर्स फंड के तहत प्रति माह 125 संयंत्रों के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही यह उम्मीद की जा रही है कि तीन महीनों के भीतर 500 मेडिकल ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जाएंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कोविड-19 रोगियों के लिए बेहद जरूरी ऑक्सीजन उत्पन्न करने की खातिर एमओपी तकनीक का उपयोग करने के लिए डीआरडीओ की सराहना की है, डीआरडीओ की इस पहल से वर्तमान संकट से निपटने में मदद मिलेगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए डीआरडीओ की मदद का आश्वासन दिया है।