नौकरियों
में भ्रष्टाचार व्याप्त : देखिए यूपी में मेधा की लूट का हाल
क्या ये मुमकिन
है कि एक वक़्त में एक ही नाम का टीचर तीन अलग-अलग ज़िलों में एक साथ पढ़ा रहा हो और
तीनों के पिता के नाम, आधार कार्ड और
पैन कार्ड भी एक ही हों. उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में ये ख़ूब हो
रहा है. कोरोना वायरस के बीच उत्तर प्रदेश में बड़े भ्रष्टाचार की पोल खुल गई है।
यहां जिस अनामिका शुक्ला के दस्तावेजों के नाम पर धांधली की गई। अब वही असली
अनामिका शुक्ला सामने आ गई। उत्तर प्रदेश में बीते कुछ सप्ताह से चर्चा में रहीं अनामिका
शुक्ला सामने आई। यूपी के गोंडा जिले की रहने वालीं अनामिका शुक्ला ने किसी भी
जिले में नौकरी नहीं की है, और वह आज भी
बेरोजगार हैं। बीते मंगलवार को गोंडा में बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने आईं
अनामिका शुक्ला नामक महिला ने दावा किया कि वह कहीं नौकरी नहीं कर रही हैं, बल्कि उनके शैक्षिक अभिलेखों का दुरुपयोग कर फर्जीवाड़ा किया गया है। यूपी
में भ्रष्ट अफसर, कर्मचारियों व
दलालों ने नेताओं के संरक्षण में नौकरी के नाम पर किस तरह मेधा की लूट मचायी हैं, इसको देखना है तो मिलिए गोंडा की मेधावी छात्रा रही अनामिका शुक्ला
से। जिस अनामिका शुक्ला की मार्कशीट पर प्रदेश में 25
जगह नौकरी चल रही हैं, वह अनामिका
शुक्ला खुद बेरोजगार है। असली अनामिका शुक्ला ने कस्तूरबा विद्यालय में शिक्षिका
के लिए आवेदन किया,नौकरी नहीं
मिली लेकिन शिक्षा विभाग के जॉब डकैत इनके दस्तावेज निकाल करके प्रदेश के 25 जिलों में फर्जी अनामिका शुक्ला खड़ा करके नौकरी बांट दी, असली अनामिका शुक्ल आज भी बेरोजगार, शिक्षा
माफिया हो गए मालामाल। अपनी मार्कशीट पर नौकरी के खेल का खुलासा होने की खबर पढ़ने
के बाद वह 9 जून को पहुंची
गोंडा बीएसए से मिलने। बीएसए से मिलकर मार्कशीट दुरुपयोग करने वालों पर मुकदमा
दर्ज कराने पहुंची कोतवाली। शुक्ला ने बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. इंद्रजीत प्रजापति
को अपने मूल अभिलेख दिखाते हुए कहीं भी नौकरी न करने का दावा किया है। उन्होंने
कहा कि कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में विज्ञान शिक्षक के लिए
सुलतानपुर, जौनपुर, बस्ती, मिर्जापुर व
लखनऊ में 2017 में आवेदन
किया था, लेकिन न तो
काउंसिलिंग में हिस्सा लिया और न ही कहीं नौकरी कर रही हैं। बीएसए ने बताया कि
अनामिका शुक्ला की ओर से इस आशय का शपथ दिया गया है कि उनके शैक्षिक अभिलेखों को
फर्जी ढंग से इस्तेमाल किया गया। उन्होंने शपथ पत्र में लिखा है कि मीडिया में
मामला देखा तो मंगलवार को सच्चाई अवगत कराने के लिए यहां आईं। शुक्ला ने कहा है कि
उनके शैक्षिक अभिलेखों का गलत इस्तेमाल कर इस मामले में पकड़ी गई युवती ने अलग-अलग
जगहों पर नौकरी हथियाने का काम किया है। उसने आशंका जताई है कि इसके पीछे एक बड़ा
रैकेट हो सकता है। अनामिका शुक्ला का मायका गोंडा के भुलईडीह में है। 2013 में पिता सुभाष चंद्र शुक्ल ने उनकी शादी धानेपुर के दुर्गेश शुक्ल
के साथ कर दी थी। वर्तमान में वह ससुराल में रह रही हैं। उनको एक लड़की व एक लड़का
है। अनामिका ने 10वीं की परीक्षा
2007 में फर्स्ट डिविजन ऑनर्स के साथ पास की
थी। उन्होंने गोंडा जिले की रेलवे कॉलोनी स्थित बालिका इंटर कॉलेज से पढ़ाई की थी
और उनका रोल नंबर 1933977 था। 10वीं के 6 में से 5 सब्जेक्ट में उन्होंने डिक्टेंशन यानी 75 फीसदी से ज्यादा नंबर हासिल किए थे। इसी तरह 12वीं की परीक्षा भी उन्होंने यूपी बोर्ड से गोंडा जिले के SMJSIC से पास की थी। यह कॉलेज गोंडा के परसपुर इलाके
में स्थित है। 12वीं का
इम्तिहान भी उन्होंने फर्स्ट डिविजन ऑनर्स के साथ पास की थी। अनामिका ने साल 2012 फैजाबाद जिले की डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी से बीएससी की
परीक्षा फर्स्ट डिविजन से पास की। उन्होंने बीएससी की पढ़ाई इस यूनिवर्सिटी से
जुड़े गोंडा के सिविल लाइंस इलाके के रघुकुल महिला विद्यापीठ डिग्री कॉलेज से की
थी। अनामिका ने साल 2014 में बीएड किया
था। बीएड की पढ़ाई उन्होंने अवध यूनिवर्सिटी की ओर से संचालित अंबेडकरनगर जिले की
टांडा तहसील की जियापुर बरुआ इलाके के आदर्श कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय से की
थी। इस परीक्षा में भी वह अव्वल रहीं। अनामिका ने साल 2015 में यूपी टीईटी को क्वालीफाई किया था। बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश
द्विवेदी ने बताया कि बागपत के बड़ौत में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में
अध्यापिका अनामिका शुक्ला के कुल 25
स्कूलों में कार्यरत होने और उन्हें एक करोड़ रुपये वेतन का भुगतान होने की बात
सामने आई है। जांच में यह तथ्य सामने आया है कि अनामिका शुक्ला के दस्तावेज का
इस्तेमाल करके वाराणसी, अलीगढ़, कासगंज, अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, सहारनपुर और अंबेडकरनगर में अन्य जगहों पर अन्य लोगों ने नौकरी हासिल
की है। उन्होंने कहा कि हालांकि उनमें से किसी ने कहीं पर जॉइन नहीं किया, कई जगहों पर नियुक्ति लेकर काम नहीं किया। कुल मिलाकर छह विद्यालयों
के माध्यम से अनामिका शुक्ला के दस्तावेज पर नियुक्त हुई शिक्षिकाओं को 12 लाख 24 हजार 700 रुपये का भुगतान हुआ है।
वाह रे सरकार! जिस
अनामिका शुक्ला के नाम पर 9 जिलों में
पढ़ा रही थीं फर्जी टीचर, वह आज भी
बेरोजगार है।
यूपी सरकार में
अनामिका शुक्ला नाम की टीचर का जो घोटाला सामने आया था, अब परत-दर-परत उसमें ऐसे खुलासे हो रहे हैं, जो हर किसी को हैरान कर रहे हैं। दरअसल, अनामिका
शुक्ला इस बात का प्रमाण है कि किस तरह से नौकरियों में भ्रष्टाचार व्याप्त है।
भ्रष्टाचारियों ने असली अनामिका के दस्तावेजों को इस्तेमाल कर एक-दो नहीं बल्कि नौ
अनिमका शुक्ला खड़ी कर दी और सबकी अलग-अलग जिलों में नौकरियां लगवा दी। हैं। अब
भ्रष्टाचार की परते खुली तो पता चला कि जिस अनामिका शुक्ला ने नाम पर यह नौकरी कर
रहे थे, वह असली
अनामिका आज भी बेरोजगार है। अमेठी में तैनात अनामिका शुक्ला, अंबेडकर नगर में तैनात अनामिका शुक्ला, रायबरेली
में तैनात अनामिका शुक्ला और कासगंज से गिरफ्तार हुई अनामिका शुक्ला। एक-दो नहीं
कुल नौ जिलों में काम कर रही थी अनामिका शुक्ला, लेकिन
असली अनामिका शुक्ला से आपका परिचय करवाते
है। असली अनामिका शुक्ला आज भी बेरोजगार है। कस्तूरबा विद्यालयों में नियुक्तियों
में हुई धांधली में अपना नाम सामने आने के बाद असली अनामिका शुक्ला गोंडा में
बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने हाजिर हुई औऱ अपनी व्यथा बताई। दरअसल, अनामिका शुक्ला ने टीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण की और मेरिट में भी नाम
आ गया था, लेकिन
पारिवारिक कारणों से उन्होंने काउसंलिंग में भाग नहीं लिया। इस बीच उनके
दस्तावेजों को स्कैन कर फोटोग्राफ बदले गए औऱ एक के बाद एक नौ फर्जी अनामिका
शुक्ला खड़ी करके अलग-अलग जिलों में उनकी नौकरियां भी लगवा दी गई। इस बीच जब मामले
का खुलासा हुआ तो बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए।.. सियासत
शुरु हो गई और भर्ती में फर्जीवाडे का आरोप लगना शुरू हो गया। छह जिलों में करीब 12 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका था, लेकिन
अब इसकी जांच की जा रही है। हालांकि इस मामले की जांच तो शुरु हो गई है, लेकिन इस पूरे फर्जीवाडे का मास्टमाईंड कौन है ये सवाल अभी भी बरकरार
है। सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की बात कह रही है, लेकिन विपक्ष इस मुद्दे पर हमलावर है। और तस्वीर बिल्कुल साफ है कि
शिक्षा विभाग मे भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी जम चुकी है कि इन्हे उखाड़ फेंकना
सरकार के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है। वहीँ अब अनामिका के बाद पूर्वांचल के
जौनपुर व आजमगढ़ जिले में प्रीति यादव के नाम पर दो जगह नौकरी का मामला सामने आया
है। असली प्रीति यादव बेरोजगार है। जौनपुर के सिकरारा थाने में इस संबंध में
शनिवार देर रात एफआईआर भी दर्ज कर ली गई। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार
तिवारी ने बताया कि मैनपुरी में रहने वाली प्रीति यादव ने कस्तूरबा गांधी आवासीय
विद्यालय मुफ्तीगंज में पूर्णकालिक शिक्षक व पवई आजमगढ़ में वॉर्डेन की नियुक्ति हासिल
की है। हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के
अंकपत्र व प्रमाणपत्रों जांच हुई तो वे जौनपुर के सिकरारा की प्रीति यादव के
निकले। जौनपुर और मैनपुरी की प्रीति यादव के आधारकार्ड भी अलग निकले। असली प्रीति
यादव की मार्कशीट पर नकली प्रीति यादव के दो जगह से नौकरी करने के मामाले में
विभाग की ओर से केस दर्ज करवाया गया। असली प्रीति ने भी कस्तूरबा विद्यालय में
शिक्षक के लिए आवेदन किया था, लेकिन
उम्र नौ दिन कम होने से नौकरी नहीं मिली। अब उसके दस्तावेज के आधार पर दो जगह
नौकरी करने का मामला सामने आया है। जबकि असली प्रीति यादव बेरोजगार है।
सर्टिफिकेट, आधार से खुलासा
जब जौनपुर की
प्रीति यादव का आधारकार्ड जांच किया गया तो दूसरा निकला। असली प्रीति यादव की
मार्कशीट पर नकली प्रीति यादव के दो जगह से नौकरी करने की प्राथमिकी शनिवार की देर
रात को सिकरारा थाना में दर्ज कराई गई है। पेशे से अधिवक्ता लालबहादुर यादव ने
अपनी बेटी की मार्कशीट और अंकपत्र पर फर्जी प्रीति के नौकरी की बात सामने आने के
बाद शिकायत करते हुए जांच का अनुरोध किया था। असली प्रीति ने भी कस्तूरबा विद्यालय
में शिक्षक के लिए आवेदन किया था लेकिन उम्र नौ दिन कम होने से नौकरी नहीं मिली।
अब इनके मार्कशीट पर धोखाधड़ी करके नौकरी करने का दो केस अभी तक सामने आए हैं।
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में प्रीति यादव के शैक्षिक प्रमाण पत्रों
पर नौकरी करने वाली महिला होली से पहले ही लापता हो गई है। उसका मोबाइल नंबर भी
बंद आ रहा है। अप्रैल तक का वेतन उसके बैंक खाते में भेजा जा चुका है। वह प्रसूति
अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र देकर होली से पहले यहां से चली गई थी। 8 जून को उससे बीएसए कार्यालय के लिपिक से फोन पर बात हुई थी । उसने 15 जून को प्रसव की तारीख बताई थी लेकिन उसके बाद से ही उसका मोबाइल बंद
है। जानकारों का कहना है कि अनामिका प्रकरण की जांच की सुगबुगाहट होते ही यहां
प्रीति के नाम पर नौकरी करने वाली महिला को अंदेशा हो गया था कि वह भी जांच के
दायरे में आ सकती है।
फर्जी दस्तावेज
के आधार पर नौकरी कर रही कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय मुुफ्तीगंज की
पूर्णकालिक शिक्षिका के खिलाफ शनिवार की देर शाम नगर कोतवाली पुलिस ने धोखाधड़ी
समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कर लिया। पुलिस ने यह कार्रवाई बालिका शिक्षा की
जिला समन्वयक शोभा तिवारी की तहरीर पर की है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय मुफ्तीगंज में पूर्णकालिक शिक्षिका के पद
पर नियुक्त प्रीति यादव ने यूबीआई की मुख्य शाखा में अपना खाता खोला था। जबकि उस
विद्यालय की अन्य शिक्षिकाओं का खाता वहां की स्थानीय बैंक में खोला गया है। छह
महीने की नौकरी के दौरान उसके खाते में 22
हजार रुपये प्रति माह की दर से 1.40 लाख
वेतन भेजा जा चुका है। जौनपुर व आज़मगढ़ के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने मूल शैक्षिक, निवास व पहचान प्रमाण पत्र से मिलान किया तो सामने आया कि उन्होंने
फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी हासिल की है । दोनों ही जगहों पर एफ आई आर
दर्ज कराने के निर्देश दे दिए गए हैं वही जौनपुर के बीएसए ने मूल प्रमाणपत्रों
वाली प्रीति यादव को ढूंढ निकाला। सिकरारा की रहने वाली प्रीति फिलहाल कहीं नौकरी
नहीं करती है। वहीं आज़मगढ़ में फर्जी शिक्षिका 9
जून को स्कूल पहुंची। लेकिन प्रमाणपत्रों की जांच के नाम पर भाग निकली। दोनों जगह
पर एफआईआर के साथ वेतन की रिकवरी की जाएगी। केजीबीवी में अनामिका शुक्ला प्रकरण की
जांच एसटीएफ कर रही है। अनामिका शुक्ला मामले में अमेठी कोतवाली पुलिस ने बस
स्टेशन के पास से फर्जी अनामिका शुक्ला को गिरफ्तार किया है। पकड़ी गई फर्जी
शिक्षिका कन्नौज जिले के विशुनगढ़ थाना क्षेत्र के सरदाई गांव की रहने वाली है।
एसपी ने बताया कि आरोपित अनामिका शुक्ला के नाम पर उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और निवास प्रमाण पत्र पर कस्तूरबा गांधी विद्यालय अमेठी
में नौकरी कर रही थी। पुलिस अधीक्षक डा. ख्याति गर्ग ने मामले का खुलासा करते हुए
बताया कि अमेठी कोतवाली के इंचार्ज अपनी टीम के साथ गश्त पर थे कि मुखबिर से सूचना
मिली कि फर्जी अनामिका शुक्ला अमेठी बस स्टाप पर खड़ी है। पुलिस टीम ने तत्काल वहां
पहुंचकर उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में फर्जी अनामिका ने अपना असली नाम बताया
एसपी ने बताया कि आरोपित फर्जी शिक्षिका ने पूछताछ में अपना नाम अनामिका शुक्ला
बताया। कड़ाई से पूछताछ के बाद उसने अपना नाम आरती उर्फ आकृति उर्फ अन्नू पुत्री
रामधनी बताया। वो मूल रूप से यूपी के कन्नौज जिले के विशुनगढ़ थाना क्षेत्र के
सरदामई गांव की निवासी है। मास्टरमाइंड शिक्षक है, जिसकी
कोई फोटो आदि न होने से पहचान नहीं हो पा रही है। उसकी तलाश में कासगंज पुलिस
मैनपुरी में डेरा डाले हुए है। इस बीच पुलिस ने उसके भाई जसवंत को गिरफ्तार किया
है। तब पता चला है कि राज का असली नाम पु्ष्पेंद्र है और फर्जीवाड़े के तार बेसिक
शिक्षा विभाग तक जुड़े हुए हैं। आरोपी जसवंत से पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि
वो कन्नौज जनपद के एक स्कूल में विभव नाम से नौकरी कर रहा है। जसवंत बीए सेकंड ईयर
तक पढ़ा हुआ है। उसने भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाई है। वर्तमान में
वो प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में कार्य कर रहा था। पूछताछ में यह भी पता चला है
कि राज का असली नाम पुष्पेंद्र है। इसे नीतू और गुरुजी नाम से लोग जानते हैं।
पुष्पेंद्र का संगठित गिरोह है, जो
फर्जी डिग्रियों के आधार पर लोगों को शिक्षक की नौकरी दिलाता था। ये गिरोह प्रदेश
के कई जिलों में फर्जी शिक्षकों को तैनाती दिला चुका है। पुष्पेंद्र कहां है, इसके बारे में अभी तक पुलिस को जानकारी नहीं मिली है। पुलिस उसके भाई
जसवंत से पूछताछ कर रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही पुष्पेंद्र को गिरफ्तार
कर लिया जाएगा। माना जा रहा है कि इस मामले में और भी कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।
पुलिस अधीक्षक सुशील घुले ने बताया कि जसवंत और उसका मास्टरमाइंड भाई संगठित गिरोह
चलाते हैं। ये मोटी रकम लेकर फर्जी प्रमाणपत्रों पर शिक्षा विभाग में नौकरी दिलाते
हैं। जालसाजों ने फर्जी तरीके से शिक्षक भर्ती कराने के लिए बड़ा खेल खेला है। इन
लोगों ने ना सिर्फ चयन बोर्ड की वेबसाइट से मिलती-जुलती एक फर्जी वेबसाइट बना डाली
बल्कि उस पर फर्जी चयनित शिक्षकों की सूची भी अपलोड कर दी। जब एक के बाद एक ऐसे कई
मामले सामने आए तो स्पेशल टास्क फोर्स को जांच की ज़िम्मेदारी दी गई. इस जांच में
अब तक 4000 से ज़्यादा ऐसे
फ़र्ज़ी टीचरों की पहचान कर ली गई है. अंदेशा है कि इनकी तादाद इससे कहीं ज़्यादा है.
कहा तो ये भी जा रहा है कि प्राइमरी शिक्षा पर उत्तर प्रदेश सरकार के 65 हज़ार करोड़ के बजट का क़रीब 10 से
15 हज़ार करोड़ ऐसे ही फ़र्ज़ी टीचर्स पर खर्च
हो रहा है वहीँ डॉ.
भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय की बीएड फर्जी डिग्री मामले में राज्य सरकार को बड़ी
सफलता हाथ लगी है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षक
बने लोगों को कोई राहत नहीं दी है और सरकार के फैसले को सही बताया है। अम्बेडकर
विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री के आधार पर सरकारी प्राइमरी स्कूलों के लगभग 1700 शिक्षकों को विभाग बर्खास्त कर चुका है। बर्खास्तगी के बाद ये शिक्षक न्यायालय चले गए और इस मामले पर स्थगन
आदेश ले आए थे। इससे विभाग को खासा नुकसान हो रहा था। इनसे करोड़ों रुपये की रिकवरी
की जानी है। अब उच्च न्यायालय के फैसले के बाद विभाग न केवल इन फर्जी शिक्षकों से
निजात पा लेगा बल्कि रिकवरी भी कर सकेगा। अक्तूबर
2017 में बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी जिलों
को सीडी भेजते हुए इन्हें बर्खास्त करने के आदेश दिए थे। वर्ष 2005 से लेकर वर्ष 2017 तक बेसिक
शिक्षा परिषद में 3 लाख से ज्यादा
शिक्षक भर्तियां हुई थीं। यूपी
में 2013 से 2019 के बीच हुए शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच पुलिस ने तेज कर दी है। जांच
में फर्जीवाड़े की परत दर परत खुल रही है। गोरखपुर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में 2013 से
2019 के बीच हुए शिक्षक भर्ती घोटाले की
जांच पुलिस ने तेज कर दी है। जांच में फर्जीवाड़े की परत दर परत खुल रही है। जांच
में संदिग्ध पाए गए 19 शिक्षकों को
बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया गया है। इनकी भर्ती का रिकार्ड लेने और
दस्तावेजों की जांच करने एएसपी सिद्धार्थनगर जाएंगे। बीएसए और उनके दफ्तार के
बाबुओं से इस संबंध में बात करेंगे। 24 सितंबर को एसटीएफ ने सिद्धार्थनगर बीएसए के स्टेनो, फर्जी शिक्षक समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। कैंट थाने में
दर्ज जालसाजी और भ्रष्टाचार के मामले की जांच एएसपी/सीओ कैंट रोहन प्रमोद बोत्रे
कर रहे हैं। जेल भेजे गए आरोपितों के अलावा 19
फर्जी शिक्षक चिह्नित किए गए हैं, जिनकी
भूमिका संदिग्ध है। कैंट थाने में दर्ज एफआइआर में भी चिह्नित लोगों का नाम
है।सिद्धार्थनगर बीएसए के दफ्तार जाएगी जांच टीम चल रही जांच में पता चला है कि 2013 से
2019 के बीच हुई भर्ती में गड़बड़ी की गई
है। एएसपी ने सभी को नोटिस जारी कर अपने कार्यालय बुलाया। यहां इन लोगों के बयान
दर्ज हुए। आरोपितों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र और भर्ती संबंधित दस्तावेज की पड़ताल
करने एएसपी टीम के साथ सिद्धार्थनगर बीएसए के दफ्तार गए। हिमांशु, राकेश व रमेश हैं अहम राजदार प्रतापगढ़
के रहने वाले हिमांशु सिंह, देवरिया के
राकेश सिंह व रमेश शुक्ल को प्रकरण की पूरी जानकारी है। जेल गए स्टेनो ने बर्खास्त
29 शिक्षकों की भर्ती और बहाल कराने की
प्रक्रिया में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होने की जानकारी दी थी। फर्जी शिक्षक भर्ती
मामले में 19 लोगों की
भूमिका संदिग्ध है। सभी को नोटिस जारी कर बयान दर्ज कराने के लिए कार्यालय बुलाया
है। असली शिक्षकों की डिग्रियों और अन्य
दस्ताभवेजों के साथ पैन और आधार का क्लोहन तैयार कर किसी दूसरे जिले में
कोई शिक्षक बरसों से नौकरी कर रहा हो, तो
हैरानी होना स्वापभाविक है. ऐसा ही सनसनीखेज मामला गोरखपुर में भी सामने आया है.
जहां के उरुवां ब्लॉक के कन्धोला प्राथमिक विद्यालय में तैनात सहजनवां के रहने
वाले शिक्षक राम प्रसाद ने साल 1983
में बतौर शिक्षक गोरखपुर के पाली में पहली बार ज्वावइनिंग पाई थी. 2023 में वे सेवानिवृत्ते भी हो जाएंगे. हैरानी की बात ये है कि यूपी में अभी तक 4000 से अधिक फर्जी शिक्षकों का भंडाफोड़ किया जा चुका है. इनमें से
अधिकतर जांच पूरी होने के बाद सलाखों के पीछे भी पहुंच चुके हैं और उनके खिलाफ
बर्खास्तागी की कार्रवाई भी हो चुकी है. दो
सालों में गोरखपुर में ही सिर्फ 50
फर्जी शिक्षकों के खिलाफ बर्खास्तंगी की कार्रवाई या तो सुनिश्चित की जा चुकी है.
या फिर उनके खिलाफ जांच चल रही है. इनमें से कुछ जेल भी जा चुके हैं. गोरखपुर के कैम्पियरगंज धर्मपुर के
प्राथमिक विद्यालय में अध्यानपन कर रहे गोरखपुर के गोरखपुर करीमनगर के रहने वाले
शिक्षक अनिल कुमार यादव ने बताया कि साल 2006
में बतौर शिक्षक उनकी तैनाती हुई थी. अनिल
ने बताया कि साल 2018 में जब उनके
पास आईटीआर दाखिल करने और टैक्सौ जमा करने का मैसेज आया, तो उनके होश उड़ गए. जब उन्हेंर इसकी जानकारी हुई कि उनके जगह पर उनके
ही दस्ता वेज और पैन का इस्तेनमाल कर कोई सीतापुर जिले में भी नौकरी कर रहा है, तो उन्होंहने इसकी शिकायत बेसिक शिक्षा विभाग में की. विभाग की ओर से जब 10 से 12 दिन तक कोई
कार्रवाई नहीं की गई तब उन्होंने इसकी शिकायत एसटीएफ से की. उनके नाम पर नौकरी कर
रहे फर्जी शिक्षक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. इस संबंध में गोरखपुर के बीएसए भूपेन्द्रे नारायण सिंह ने बताया कि अब
तक उनके जिले गोरखपुर में उन्होंीने 5
फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की है. वहीं उनकी जांच में फर्जी पाए गए अन्यग 45 शिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है. यूपी 69,000 शिक्षक भर्ती:
हाईकोर्ट ने खारिज की आवेदन पत्र में सुधार करने का मौका देने की याचिका
इलाहाबाद उच्च
न्यायालय ने एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें
अदालत से शिक्षा विभाग को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि याचिकाकर्ताओं को
उनके सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा -2019 के
ऑनलाइन आवेदन पत्रों में उनके द्वारा की गई गलत प्रविष्टियों को सुधारने की अनुमति
दी जाए। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कहा,
"उम्मीदवारों द्वारा की गई गलती को ह्यूमन इन नेचर नहीं कहा जा सकता।
उम्मीदवारों को निर्देशों को पढ़ कर सही से जानकारी भरनी चाहिए थी। इस तर्क को
स्वीकारा नहीं जा सकता कि यह कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा की गई गलती है। यदि अदालतें इस तरह की दलीले मानने
लगेगी और गलत दावे पर ध्यान नहीं दिया गया तो इससे ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी, जहां याचिकाकर्ताओं को गलत दावे का लाभ मिलेगा और यदि ध्यान दिया गया
तो याचिकाकर्ता हमेशा कह सकते हैं और दावा कर सकते हैं कि यह मानवीय गलती का
परिणाम है।यूपी 69,000 शिक्षक भर्ती:
हाईकोर्ट ने खारिज की आवेदन पत्र में सुधार करने का मौका देने की याचिका ऑनलाइन आवेदन पत्रों में सुधार करने की
मांग की याचिका को खारिज कर दिया गया है।
इलाहाबाद उच्च
न्यायालय ने एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें
अदालत से शिक्षा विभाग को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि याचिकाकर्ताओं को
उनके सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा -2019 के
ऑनलाइन आवेदन पत्रों में उनके द्वारा की गई गलत प्रविष्टियों को सुधारने की अनुमति
दी जाए। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कहा,
"उम्मीदवारों द्वारा की गई गलती को ह्यूमन इन नेचर नहीं कहा जा सकता।
उम्मीदवारों को निर्देशों को पढ़ कर सही से जानकारी भरनी चाहिए थी। इस तर्क को
स्वीकारा नहीं जा सकता कि यह कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा की गई गलती है। यदि अदालतें इस तरह की दलीले मानने
लगेगी और गलत दावे पर ध्यान नहीं दिया गया तो इससे ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी, जहां याचिकाकर्ताओं को गलत दावे का लाभ मिलेगा और यदि ध्यान दिया गया
तो याचिकाकर्ता हमेशा कह सकते हैं और दावा कर सकते हैं कि यह मानवीय गलती का
परिणाम है।
हाईकोर्ट ने
भर्ती पर लगाई रोक
हाईकोर्ट की
लखनऊ बेंच ने को 69 हजार बेसिक
शिक्षक भर्ती पर रोक लगा दी। इस मामले में दायर दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई करते
हुए कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को रोकने का आदेश दिया। साथ ही याचिकाकर्ताओं को एक
सप्ताह के अंदर राज्य सरकार के पास आंसर शीट्स को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज करने
के लिए कहा है। आपत्ति दर्ज होने के बाद राज्य सरकार उसे विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग (UGC) को भेजेगी। फिर
यूजीसी उन आपत्तियों पर फैसला करेगा। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 12 जुलाई 2020 रखी है।