दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्वात्तर दिल्ली दंगा मामलों में कथित सुनियोजित साजिश के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत जेल में बंद छात्र कार्यकर्ता नताशा नरवाल , देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तनहा की जमानत याचिका मंगलवार को मंजूर कर ली।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जे भंभानी ने निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए तीनों को 50 हजार रूपये के निजी मुचलके तथा दो निजी प्रतिभूति पर जमानत याचिका को मंजूरी दे दी। न्यायालय ने उन्हें अपने पासपोर्ट जमा करने के साथ ही मामले अथवा जांच में हस्तक्षेप न किये जाने के आदेश दिये हैं।
दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के शोध छात्र नरवाल और कलिता तथा विभिन्न कालेजों के छात्रों का समूह ‘पिंजरा तोड़’ के सदस्य पिछले वर्ष मई से तिहाड़ जेल में बंद हैं। वहीं जामिया मिलिया इस्लामिया में बीए अंतिम का छात्र तनहा को मई-2020 में दिल्ली दंगा मामलों में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था और लगातार हिरासत में है। पुलिस का दावा है कि तनहा ने नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में प्रदर्शनों को अंजाम देने में सक्रिय भूमिका निभायी थी।
उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी 2020 को पूर्वोत्तर दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़कने के बाद हुए दंगो में 53 लोग मारे गये थे और करीब 200 अन्य घायल हुए थे।