प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि अयोध्या शहर हर सांस्कृतिक रूप से हर भारतीय के दिल में बसा है और इसलिए इसके विकास का कार्य स्वस्थ जनभागीदारी से इस तरह किया जाना चाहिए कि इसका सांस्कृतिक महत्व ज्यादा से ज्यादा से बढाया जा सके।
मोदी ने शनिवार को यहां अयोध्या की विकास योजना की वीडियो कांफ्रेन्स से समीक्षा की। उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने इस मौके पर अयोध्या के विकास की जुड़ी परियोजनाओं से संबंधित एक प्रस्तुति दी। अयोध्या के विकास की अवधारणा आध्यात्मिक केन्द्र , वैश्विक पर्यटन हब और एक सतत स्मार्ट सिटी के रूप में की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान राम में लोगों को एक साथ लाने की योग्यता थी इसे ध्यान में रखकर अयोध्या के विकास का कार्य स्वस्थ भागीदारी पर आधारित होना चाहिए और युवाओं को इसमें विशेष रूप से हिस्सा लेना चाहिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद थे।
प्रधानमंत्री को अयोध्या के साथ विभिन्न जगहों के संपर्क को बढाने से संबंधित विभिन्न प्रस्तावित तथा आगामी ढांचागत परियोजनाओं की जानकारी दी गयी जिनमें हवाई अडडा, रेलवे स्टेशन, बस अडडे , सड़कों और हाईवे के विस्तार पर चर्चा हुई। एक हर भरे कस्बे के बारे में भी चर्चा की गयी जिसमें श्रद्धालुओं के लिए आश्रम, मठ, होटल और विभिन्न राज्यों के भवन शामिल होंगे। एक विश्व स्तरीय स्वागत केन्द्र और संग्रहालय भी बनाया जायेगा। सरयू नदी और उसके घाटों के आस पास ढांचागत विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। नदी में क्रूज के संचालन के बारे में भी बातचीत की गयी। शहर में पैदल चलने वालों तथा साइकिल वालों के लिए भी विशेष व्यवस्था की जायेगी। यायायात का प्रबंधन भी स्मार्ट सिटी के मॉडल के आधार पर किया जायेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या ऐसा शहर है जो सांस्कृतिक रूप से हर भारतीय के दिल में बसा है। अयोध्या में हमारी सर्वश्रेष्ठ परंपराओं और विकास की झलक होनी चाहिए। अयोध्या आध्यात्मिक और उत्कृष्ट दोनों का ही उदाहरण है। इस शहर की प्रकृति का भविष्य के ढांचागत विकास के साथ मेल होना चाहिए जो सबके लिए अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढियों को जीवन में एक बार अयोध्या आने का अहसास और इच्छा जरूर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शहर में विकास के कार्य निरंतर जारी रहेंगे । साथ ही हमें अयोध्या को विकास के नये पड़ाव की ओर बढाने का काम भी साथ ही शुरू कर देना चाहिए। हम सबको मिलकर अयोध्या की पहचान को मनाना चाहिए और इसकी सांस्कृतिक गतिशीलता को नये नये तरीकों से बनाये रखना चाहिए।