और अब इस्तेमाल हुए खाद्य तेल से बन रहा है बायोडीजल, चल रहे हैं वाहन
इंडियन ऑयल ने शुरू की 'रंधन से ईंधन' योजना
इस्तेमाल हुए खाद्य तेल से अब बायोडीजल बन रहा है और उसके जरिए वाहन सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। जी हां चौंकिए नहीं यह सच है। रसोई में समोसे-पूरी बनाने के बाद जो कढ़ाई में तेल बच जाता है, उस तेल का इस्तेमाल करके इंडियन ऑयल कंपनी लाखों का कारोबार कर रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही एक ऐसा बायोडीजल डिपो है जो इसी जले हुए खाद्य तेल का इस्तेमाल करके हर महीने लाखों का मुनाफा कमा रहा है।
सरकारी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल ने रेस्टारेंट, होटलों इत्यादि की रसोइयों में इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल से बना बायोडीजल दिल्ली के बाजार में पेश किया है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बीते दिनों ही दिल्ली में टीकरी कलां स्थित डिपो से इस बायोडीजल की पहली खेप रवाना की।
तेल आयात पर निर्भरता होगी कम
खाना बनाने में इस्तेमाल किए जा चुके बचे हुए खाद्य तेल से बॉयो ईंधन बनाने का काम 'रंधन से ईंधन' अर्थात रसाई धन से ईंधन तैयार करने की योजना के तहत किया जा रहा है। इस पहल का देश को आर्थिक रूप से भी फायदा होगा क्योंकि ये देश में घरेलू बायोडीजल की आपूर्ति बढ़ाएगा और बाहर से तेल आयात पर निर्भरता को कम करेगा। इतना ही नहीं बायोडीजल बनाने में काम आने वाली फसलों को उगाने के लिए लोगों को ग्रामीण स्तर पर व्यापक रोजगार भी मिलेगा।
स्वास्थ्य के लिए अहितकारी खाद्य तेल हटाने में मिलेगी मदद
इंडियन ऑयल कंपनी की इस कारोबारी पहल से रेस्टोरेंट, बड़े हलवाइयों और होटलों आदि से स्वास्थ्य के लिए अहितकारी खाद्य तेल को हटाने में मदद मिलेगी। बॉयोडीजल बनाने को लेकर शुरू की गई इंडियन ऑयल की इस 'रंधन से ईंधन' योजना से हमारी खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पहले के मुकाबले अधिक स्वास्थ्यवर्द्धक बनेगी।
रसोई में बार-बार एक ही तेल का प्रयोग सेहत के लिए होता है हानिकारक
'रंधन से ईंधन' योजना को सराहते हुए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि रसोई में बार-बार एक ही तेल का प्रयोग सेहत के लिए हानिकारक होता है। इससे हाइपरटेंशन, एथेरोस्क्लेरासिस, लीवर संबंधी बीमारियां और अल्जाइमर इत्यादि की शिकायत होती है। ऐसे में रसोई के प्रयुक्त बचे हुए तेल को बॉयोडीजल में बदलने की यह योजना देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही उसे हरित और स्वास्थ्यवर्धक बनाने में मदद करेगी।