हाल ही में पिछले
महीने, रूसी उप प्रधान मंत्री
यूरी बोरिसोव ने घोषणा की कि रूस अगले 18-19 महीनों के भीतर भारत को एस -400 प्रणाली वितरित करेगा, जिसके लिए भारत ने इस रक्षा सौदें
की पांच इकाइयों के लिए अग्रिम भुगतान किया है.
वहीं दूसरी और अमेरिका लगातार भारत के इस रक्षा सौदे की आलोचना कर रहा है. अमेरिका
ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि एस-400 डिफेन्स सिस्टम कई देशों के पास पहुँचने के
बाद अमेरिका के सबसे अत्याधुनिक एफ-35 विमान को नष्ट करने के लिए परिक्षण किये जा
सकते है, अमेरिका को डर है कि अगर एस- 400
डिफेन्स सिस्टम एफ-35 को भेदने में कामयाब
हो गया तो सालों से चला आ रहा अमेरिकी विमान प्रोजेक्ट कमजोर हो जाएगा.
भारतीय विदेश मंत्री एस
जयशंकर ने अमेरिका की शंका दूर करने की कोशिश की है.
एस जयशंकर फिलहाल अमेरिका
में मौजूद है जहां वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल
स्टडीज में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि "भारत ने एस -400 ख़रीदने का फैसला किया है जिसके बारे में अमेरिकी सरकार को भी जानकारी दी गई
है.
जयशंकर ने अमेरिकी
विभाग के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के साथ हुई पिछली मुलाक़ात का भी जिक्र किया
जिसमे उन्होंने इस बारे में बातचीत होने की जानकारी दी है.
भारत ने रूस के साथ 5.2 बिलियन डॉलर का सौदा किया है. जय शंकर ने कहा कि
मेरी आशा होगी कि यूएस के लोग और सरकार एस 400 डिफेन्स सिस्टम का लेनदेन भारत के
लिए क्यों महत्वपूर्ण है।"
हाल ही में भारत द्वारा अमेरिका से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदें जाने पर यूएस ने
भारत पर प्रतिबन्ध लगाने की चेतावनी दी थी जिसमे अमेरिका ने यह कहा था कि जो भी
देश रूस के साथ रक्षा सौदे करता है अमेरिका का डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट काउंटरिंग
अमेरिका के सलाहकारों के माध्यम से प्रतिबंध अधिनियम के तहत किसी भी देश पर
प्रतिबन्ध लगा सकता है.
हालांकि, भारत और रूस की बीच में रक्षा सौदे के लिए एक स्थायी भुगतान
तंत्र ढूंड लिया गया है जिसके बाद यह उम्मीद कम है कि भारत के ऊपर अमेरिकी प्रतिबन्ध
लगाना संभव नही हो पाएगा.
एस 400 डिफेन्स सिस्टम की खारीद पर हाल ही में अमेरिका ने तुर्की पर भी प्रतिबन्ध
लगाए थे जिसके बाद तुर्की ने अमेरिकी विरोध के बाद भी इस डील के तहत अपनी पहली
डिलीवरी हासिल कर ली थी.