आजादी के 73 वर्ष : 1962 नहीं, अब है 2020 का महाशक्तिमान भारत, पड़ेगा ड्रैगन पर भारी
भारत को फिरंगियों के शासन से आजाद हुए को अब 73 वर्ष हो गए। तब से लेकर अब तक इन 73 साल में देश न हर क्षेत्र में प्रगति के नित-नए आयाम स्थापित किए है। जिन पर आज न केवल हर देशवासी को गर्व महसूस होता है, बल्कि पूरा विश्व भारत के हरेक कदम को महत्वपूर्ण नजरिए से देखता है। इन 73 सालों में भारत ने चौतरफा विकास किया। भारत की इस विकास यात्रा की चर्चा करना एक बहुत ही व्यापक विषय है। भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान सीमा पर अक्सर अकारण ही तनाव उत्पन्न करके युद्ध जैसी स्थितियां बनाने में जुटे रहते हैं। वर्तमान में भी कमोबेश ऐसे ही कुछ हालात हैं। ऐसे में फिलहाल हम भारत के सामरिक शक्ति बनने के सफर की चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि विश्व की महाशक्ति बनने की होड़ में भारत ने कौन-कौन से और कितने ‘मारक’ और ‘अचूक’ हथियार जमा कर लिए हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो चीन या पाकिस्तान संग सीमा पर युद्ध जैसे हालात में आज भारत सामरिक लिहाज से कहां और किस स्थिति में है।
विश्व के चुनींदा परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों में शुमार हैं हम
सामरिक लिहाज से आज हम विश्व के चुनींदा परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों में शुमार हैं। कोई भी दुश्मन देश आसानी से भारत की तरफ आंख उठा कर नहीं देख सकता। भारत को सामरिक ताकत बनाने में देश की सरकारों द्वारा लिए गए नीतिगत फैसलों के साथ ही विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो से जुड़े वैज्ञानिकों के साथ ही थल, वायु एवं नौसेना ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय सेना आज विश्व की सबसे खतरनाक और ताकतवर सेनाओं में शुमार की जाती है। इतना ही नहीं बीते दिनों चीनी सेना में रणनीतिक कारणों से सैनिकों की संख्या कम किए जाने के बाद भारतीय थल सेना विश्व की सबसे बड़ी पैदल सेना बन गई है। भारतीय वायुसेना और नौसेना ने भी कदम-दर-कदम भारत की सुरक्षा को मजबूती दी है। भारत अब रक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान के मामले में भी खासा विकास कर चुका और इस क्षेत्र में भी पूरा विश्व आज हमारा लोहा मान रहा है। डीआरडीओ व इसरो जैसे संगठनों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने सफल अनुसंधानों-परीक्षणों के जरिए दुनिया में भारत की धाक जमाने में खास किरदार अदा किया है।
आजादी के बाद तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत ने तेजी से किया है विकास
भारत प्राचीन समय से ही एक समृद्ध और सांस्कृतिक विरासत वाला देश रहा है, जिसका कोई भी देश मुकाबला नहीं कर सकता। हालांकि विदेशी आक्रमणों और औपनिवेशिक शासन के सैंकड़ों साल के दौर के बाद भारत को 1947 में आजादी मिली। इस पहले विदेशी शासकों ने भारत को जमकर कर लूटा। उन्होंने भारत को न केवल आर्थिक रूप से खोखला कर दिया, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को भी नष्ट करने का काम किया। हालांकि आजादी मिलने के बाद भारत भटका नहीं, बल्कि विकास के पथ पर बगैर रुके आगे बढ़ता गया। आजादी के बाद भारत ने तमाम चुनौतियों के बावजूद तेजी से विकास किया है। आज भारत तमाम क्षेत्रों में दुनिया को अपना दमखम दिखा रहा है और विश्व के लिए सम्भावनाओं से भरा एक बहुत महत्वपूर्ण देश बन गया है। भारत अब न केवल दिनोंदिन तरक्की की राह पर बढ़ते हुए विश्व की मजबूत अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, बल्कि विश्व में महाशक्ति बनने की दौड़ में भी खुद को शामिल कर चुका है। वर्ष 1947 से लेकर अब तक बीते 73 साल में भारत ने चहुंमुखी विकास किया है। विकास की इस लंबी यात्रा की चर्चा करना एक बहुत ही व्यापक विषय है। फिलहाल हमने भारत के सामरिक और अंतरिक्ष के क्षेत्र में महाशक्ति बनने तक यात्रा का विश्लेषण करते हुए यह जानने का प्रयास किया है कि विश्व की महाशक्ति बनने की के इस सफर में भारत ने कौन-कौन से और कितने ‘मारक’ हथियार जमा कर लिए हैं। साथ ही सामरिक और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत द्वारा किए गए परीक्षण-अनुसंधानों पर भी व्यापक रूप से प्रकाश डालने की हरसंभव कोशिश की है।
हमने अपने तिरंगे की आन-बान-शान का परचम हर क्षेत्र में किया है बुलंद
भारत को फिरंगीराज से आजाद हुए अब 73 वर्ष हो चुके हैं। तब से लेकर अब तक हमने हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति करते हुए विश्व में अपने तिरंगे की आन-बान-शान का परचम बुलंद किया है। चीन के विस्तारवादी रवैए और अतिक्रमणकारी हरकतों के चलते एक बार फिर भारतीय सीमाओं पर न केवल तनाव व्याप्त है, बल्कि जंग जैसे हालात हैं। हालांकि भारतीय रणनीति के चलते चीन फिलहाल दुनिया में अलग-थलग पड़ने के चलते बैकफुट पर दिख रहा है और बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की बात कर रहा है, लेकिन पुराना अनुभव को देखते हुए ड्रैगन पर यकीन करना घातक हो सकता है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि देर-सवेर भारत का चीन संग युद्ध होना ही है। ऐसे में यह जानना-समझना जरूरी है कि यदि युद्ध हुआ तो भारत-चीन में कौन कहां ठहरेगा यानी कौन भारी पड़ेगा। भारत साल 1962 के युद्ध में चीन के मुकाबले सामरिक शक्ति के लिहाज से बेशक बीस नहीं रहा हो, लेकिन 1965 और 1971 के युद्धों में भारतीय सेना ने खुद को बखूबी बेहतर साबित किया। भारतीय सैनिकों ने कारगिल युद्ध में भी अपना ‘मारक’ कौशल एक बार फिर साबित किया। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करके भी भारतीय जांबाजों ने देश के प्रति अपने जज्बे से दुनिया में भारत का मान बढ़ाया। वैसे भी किसी भी लड़ाई को जीतने के लिए दो कारक अत्यंत महत्वपूर्ण ही नहीं, बल्कि अनिवार्य होते हैं और वे हैं बचाव प्रणाली और प्रहारक क्षमता। वर्ष 1962 के युद्ध में भारत की चीन के मुकाबले उन्नीस रहने के कारण भी कमोबेश ऐसे ही थे। हालांकि वह बीते जमाने की बात है, तब से लेकर अब तक सामरिक क्षेत्र में भारत ने कई बार अपनी कामयाबी का परचम लहराया है। दूसरे शब्दों में कहें तो अब 1962 का नहीं 2020 का नया भारत है जो न केवल युद्ध कौशल में ही, बल्कि सामरिक साजो-सामान के लिहाज से भी ड्रैगन पर भारी पड़ सकता है।
चीन ने 1979 में वियतनाम के खिलाफ लड़ी थी आखिरी लड़ाई
जी हां, यदि सीधे युद्ध हुआ तो हमारे बहादुर सैनिक शारीरिक शक्ति में तो चार-साढ़े चार फुटिए चीनियों से बीस छोड़िए इक्कीस पड़ेंगे ही, हमारी युद्धक क्षमता भी ड्रैगन के मुकाबले बेहतर साबित होगी। दरअसल भारत की सेना बेहद मजबूत है, हमारे सैनिकों को कश्मीर जैसे हर पल चुनौतियां मिलने वाले राज्य में काम करने का बड़ा अनुभव है, जबकि चीन के पास जमीनी लड़ाई का कोई ताजा अनुभव नहीं है। चीन ने आखिरी लड़ाई 1979 में वियतनाम के खिलाफ लड़ी थी, जिसमें उसे मुहं की खानी पड़ी थी, जबकि भारतीय सैनिकों को कई खतरनाक इलाकों में लगातार डटे रहकर मुकाबला करने का अनुभव है। रही-सही कसर भारत सरकार की सामरिक और दुनिया के चीन विरोधी देशों को अपने पक्ष में रखने की रणनीति पूरी कर देगी।
जंग हुई तो चीन पर चौतरफा भारी पड़ेगा भारत
भारत-चीन के बीच तनाव के मद्देनजर यदि जंग हुई तो चीन पर भारत चौतरफा भारी पड़ेगा। दरअसल चीन की विस्तारवादी और अतिक्रमणकारी नीति के चलते वह दुनिया में अलग-थलग पड़ जायेगा और भारत को विश्व समुदाय का भरपूर साथ मिलेगा। ऐसे में चीन का कमजोर पड़ना स्वाभाविक है। पूर्व के अनुभव से स्पष्ट है कि चीन मक्कारी और धोखेबाजी कर सकता है, लेकिन आमने-सामने की जंग में भारतीय जांबाज सैनिकों के मुकाबले उसके सैनिक कहीं नहीं ठहर सकेंगे। वर्तमान तनाव के बीच भारत और चीन की इस संभावित जंग में दुनिया की महाशक्ति अमेरिका, जापान, फ्रांस और इजराइल अब जहां हमारे साथ दिख रही हैं, वहीं हमारा धुरविरोधी पाकिस्तान निश्चित रूप से ड्रैगन संग रहने वाला है। इसके अलावा कभी विश्व का इकलौता हिन्दू राष्ट्र रहा नेपाल भी राजनीतिक नेतृत्व के कतिपय स्वार्थों के कारण ड्रैगन के जाल में फंसकर हमारे खिलाफ रह सकता है। ईरान और तुर्की को भी चीन के पाले में बताया-माना जा रहा है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत संग जंग में चीन को कितना जोरदार झटका लगने वाले है। चीन एक गैर लोकतांत्रिक, साम्राज्यवादी और विस्तारवादी देश है, वह आए दिन न केवल भारत संग उलझने और यहां अतिक्रमण करने का प्रयास करता है, बल्कि नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश से लेकर श्रीलंका तक में घुसपैठ कर चुका है। चीन में लोकतंत्र नहीं है, सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी का तानीशाही पूर्ण शासन चलता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक भारत के साथ ड्रैगन के विवाद के दौरान विश्व के सभी लोकतांत्रिक देश चीन के विस्तारवादी और कब्जा करने की प्रवृत्ति के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं और ऐसे में चीन दुनिया भर में पूरी तरह अलग-थलग पड़ जाएगा। नतीजतन भारत हर हाल में उस पर भारी पड़ेगा।