राजस्थान में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग द्वारा संचालित आवासीय विद्यालयों, आश्रम छात्रावासों, खेल छात्रावासों तथा माँ-बाड़ी केन्द्रों में निवासरत विद्यार्थियों की पौष्टिक आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए सुपोषण वाटिकाएँ एवं पंचफल उद्यान स्थापित किये जायेंगे।
जनजाति मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने इसके लिए
एक करोड़ 82 लाख की परियोजना मंजूर की है। विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश्वर सिंह ने बताया कि इससे विद्यालयों एवं छात्रावासों में वर्ष पर्यन्त फल और सब्जियों की उपलब्धता बनी रहेगी एवं किचन-भोजन के वेस्ट का उपयोग कम्पोस्ट पिट में किया जाकर जैविक खाद का निर्माण होगा, जिससे उत्पादित सब्जियाँ व फल रसायन रहित व पौष्टिक होंगे।
उन्होंने बताया कि पंचफल उद्यान के अंतर्गत पपीता, सीताफल, अमरूद, सहजन, चीकू, आम, नींबू तथा सुपोषण वाटिका में बैंगन, टमाटर, मिर्च, भिन्डी, फूलगोभी, पत्तागोभी, गाजर, मूली, लौकी, तरोई, मटर, सेमफली, कद्दू, पालक, धनिया तथा मैथी आदि के पौधे लगाए जाएँगे।
श्री सिंह ने बताया कि 36 विद्यालयों में से प्रत्येक में सुपोषण वाटिका एवं पंचफल उद्यान 5,000 वर्गमीटर भूमि में विकसित की जाएगी जिस पर लगभग 37 लाख रुपये तथा 398 छात्रावासों में प्रत्येक में 500 वर्गमीटर भूमि विकसित की जाएगी जिस पर लगभग 131 लाख रुपये व्यय होंगे। इसी प्रकार चारदीवारी युक्त 350 माँ-बाड़ी केन्द्रों में प्रत्येक में 50 वर्गमीटर भूमि में यह वाटिका व उद्यान लगाए जाएँगे, जिस पर कुल 14 लाख रुपये का व्यय होगा।