तीर्थराज प्रयाग में माघ मेले के अंतिम स्नान महाशिवरात्रि पर्व पर पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिल स्वरूपा सरस्वती में करीब 10 लाख श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाएंगे।
एक बार फिर त्रिवेणी के घाट पर माघ मेले के अंतिम स्नान महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं के आस्था का समन्दर फिर हिलोरे मारेगा। अनेकता में एकता, लघु भारत के साथ विभिन्न संस्कृतियों के दर्शन होंगे।
आधिकारिक सूत्रों ने महाशिवरात्रि पर्व पर 5 से 10 लाख श्रद्धालुओं के त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने की संभावना व्यक्त किया है। उन्होने बताया कि माघ मेले के अंतिम स्नान महाशिवरात्रि स्नान की पूरी तैयारियां कर ली गयी है। स्नान घाटों पर बालू की बोरियाें को दुरूस्त कराया गया है और कांसे भी बिछाए जाने के साथ बिजली आपूर्ति, जलापूर्ति
एवं शौचालयों के प्रबंध भी किए गये हैं।
उन्होने बताया कि माघी पूर्णिमा स्नान के बाद कल्पवासी साधु-महात्मा एवं संत वापस लौट चुके हैं। संगम की विस्तीर्ण रेती पर कुछ संत-महात्मा महाशिवरात्रि स्नान के लिए रूके हुए हैं। मेला क्षेत्र में आठ मजिस्ट्रेट के साथ सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बल भी लगायी गयी है। घाटों पर गोताखोरों के साथ जल पुलिस भी मौजूद रहेंगे।
माघ मेला, कुंभ और अर्द्ध कुंभ देश और दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला है। यहां आने के लिए श्रद्धालुओं को न कोई आमंत्रण और न ही किसी तरह का निमंत्रण देना पड़ता है। नित समय पर सभी अपने
आप ही पहुंचना शुरू कर देते हैं और यहीं रहकर कल्पवासी संयम, अहिंसा,श्रद्धा एवं कायाशोधन के लिए “कल्पवास” करते हैं।
एक माह तक गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के विस्तीर्ण रेती पर बसे रंग बिरंगे तंबुओं के शहर में एक तरफ आध्यात्मिक बयार बह रही थी तो दूसरी तरफ दूधिया रोशनी से नहाए मेले की छटा श्रद्धालुओं को आकर्षित कर
रही थी। सत्संग, प्रवचन और कथा समाप्त हो गयी हैं।
रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों से श्रद्धालुओं की भीड़, सिर पर गठरी और कंधे पर कमरी रखे प्रयागराज की सड़कों पर खरामा-खरामा त्रिवेणी स्नान के लिए घाटों पर बढ़ने का क्रम भी अगले साल “माघ मेला” की प्रतीक्षा के
साथ अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि स्नान के बाद समाप्त हो जाएगा।