आदमी के पैदा होते ही काल अपने भैसे पर निकल पड़ता है उस आदमी को ले जाने के लिए, जिन्दगी उत्ती, जितना उस भैसे को लगा उस तक पंहुचने में
दहशत, क्रूरता, वहशीपन, खून खराबा, इस फिल्म की कहानी को अगर कुछ शब्दों में बया किया जाये तो ये कहानी इन्सान
के उस वहशीपन और शैतानियत को दिखाने की कोशिश करती है जो हर इन्सान की किसी राक्षस
में तब्दील कर देता है. अपनी फिल्मों में अक्सर रोमांटिक हीरो का किरदार निभाने
वाले सैफ अली खान को इतने भयानक अवतार में आपने शायद ही पहले कभी देखा होगा.
एक नागा साधू का किरदार निभाने वाले
सैफ अली खान अपने माथे पर भस्म लगाये पूरी फिल्म में एक अलग तरह का माहौल पैदा करते
है. फिल्म में उनका नाम गोंसाई है जिसके पूरे परिवार की हत्या कर दी गई है. एक नागा
साधू बनकर जिन्दगी जी रहे गोसाई को तलाश है रहमत खान की. रहमत खान कौन है और क्या
उसने ही सैफ अली खान के मा-बॉप की हत्या की है ये आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चल पायेगा.
अगर अभिनय की बात की जाये तो सैफ अली खान पूरी फिल्म में बुरी तरह से अपने करेक्टर
में दिखाई दे रहे हैं. उनके अपने चेहरे के भाव से फिल्म में एक अलग तरह का रोमांच
पैदा करने की कोशिश की है. इस फिल्म की कहानी में बुदेलखंड की पथरीली जमीन और धूल
भरे माहोल को दिखाया है. फिल्म में मारकाट और खून खराबो के सीन्स को इस तरह से फिल्माया
गया है कि उन्हे देखकर ही एक सिहरन सी पैदा होती है. अगर आपको इस तरह की फिल्में
देखने का शौक है तो एक बार आपको ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए