फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ चीनी सरकार ने अपने सभी संस्थानों और
एजेंसियों को आदेश दिया है कि वह अपने संस्थानों से सभी विदेशी उपकरण, कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर के स्थान पर चीन में बनी
हुई वस्तुओं से रेप्लास कर दें.
चीन में फिलहाल अभी ऐसे किसी दस्तावेजों का सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया गया
है, लेकिन फाइनेंशियल टाइम्स ने
चीनी साइबर सुरक्षा कंपनियों के स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर सरकार की नई
नीति के बारे में जानकारी एकत्रित की है.
चीन में फिलहाल 20 से 30 मिलियन ऐसे हार्डवेयर प्रोडक्ट है जो कि विदेश में बने
हुए है. और इन्ही हार्डवेयर को चीन में बने हार्डवेयर उपकरणों से बदला जाएगा. चीन
की सरकार ने इस निति को अमला में लाने के लिए 2022 तक की समय सीमा तय की गई है.
अगर अमेरिकी हार्डवेयर की बात की जाए तो चीन में इनका सालाना बाजार 150 अरब डोलार
का है, इस बाजार में माइक्रोसोफ्ट एचपी, डेल, इंटेल जैसी तमाम एनी कम्पनियां भी शामिल है.
अमेरिका और चीन बाजार में एक दूरे के प्रतिद्वंदी है जिस कारण दोनों देशों के बीच
आपसी ट्रेड वार चल रहा है. अमेरिका ने ट्रेड वार के तहत चीन के स्मार्टफोन हुवाई
पर सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए प्रतिबन्ध लगा दिया था जिसके कारण चीन की यह
बड़ी मोबाइल निर्माता कम्पनी बड़ी मुश्किलों में आ गई थी क्योंकि अमेरिका ने अपने सोफ्टवेयर
सर्विस को और एंड्राइड की तमाम गूगल सर्विस को हुवाई से हटा लिया था. हालाकि संकट
की स्तिथि से उभरते हुए हुवाई ने खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित किया जिसमे
अमेरिका के सोफ्टवेयर सर्विस के बिना भी स्मार्टफोन को ऑपरेट किया जा सकता है.
अब चीन ने भी इस ट्रेड वार को आगे बढ़ाते हुए अपनी इस नीति पर विचार किया है जिसके
बाद यह माना जा रहा है कि चीन ने यह कदम अमेरिका द्वारा चीनी कंपनियों के खिलाफ
शुरू किए गए अभियान की प्रतिक्रिया के रोप्प में उठाया है.