एक रात की बात है अपनी सदी के सबसे बड़े म्यूजिक कम्पोज़र नौशाद अली बहुत बेचैन एक कमरे में टहल रहे थे. उनके साथ एक गीतकार था जिसकों एक ऐसा गीत लिखना था जिसका एक एक लव्ज ऐसा हो जो सुनने वाले को मदहोश कर दे. इस कलमकार ने एक एक करके हजारों मुखडें लिखकर नौशाद अली को सुनाये लेकिन उन्हें इनमे से एक भी मुखड़ा पसन्द नही आया. रात के तीन बजे तक इस कमरे का मन्जर ऐसा हो गया कि वहां हर तरफ कागज के टुकडे दिखाई देने लगे. तीन बजे के बाद नौशाद अली को अचानक अपने बचपन में सुनी एक लाइन याद आई. उन्होने फौरन वो लाइन उस गीतकार को सुनाई. फिर क्या था गीतकार ने कुछ घन्टों में उन लाइनो को बेस बना एक गाना लिख दिया. जब ये गाना मुकम्मल हुआ तो सुबह का सूरज आसमान में नुमाया हो चुका था.
रात भर की मेहनत मशक्कत के बाद इस कलमकार के कलम से जो गीत निकल कर आया वो आज तक लोगो की जुबान पर चढ़ा हुआ है. इस गीत के बोल है जब प्यार किया तो डरना, जब प्यार किया तो डरना क्या.
नौशाद अली के साथ मुगले आजम के इस गीत को रचना करने वाले का नाम है शकील बदायूनी.
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर बदांयू में 3 अगस्त 1916 को पैदा हुये थे शकील बदायूंनी. उनका नाम शकील अहमद था. शकील को अपने बचपन में शायरी में कोई विशेष रूचि नही थी वो एक आम इन्सान की तरह पढ़ लिखकर कोई अच्छी सरकारी नौकरी करना चाहते थे. जब वो अपने स्नातक की पढ़ाई करने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी गये तो वहां उन्हें शायरी का चस्का लग गया. उस दौर में उन्होने कॉलेज लेवल के कई मुशायरों में हिस्सा लिया. उनके पढ़ने का अन्दाज औरों से काफी ज्यादा जुदा था इसी लिए वो मुशायरों की दुनिया में बहुत जल्दि मकबूल हो गये.
अपना स्नातक खत्म करके के साथ वो शकील अहमद से शकील बदायूंनी तो बन गये थे लेकिन नौकरी ना होने की वजह से उनके पास कोई अर्निग का सोर्स नही था. इसी कमी को पूरा करने के लिए उन्होने दिल्ली में एक नौकरी ज्वाइन की ली. इस दौरान वो दिनभर नौकरी करते थे और रात में मुशायेरों में हिस्सा लेते थे.
अब जिसका सिर्फ शायरी करने में मन लगता हो उसका किसी भी नौकरी में कम कैसे लग सकता है. कुछ ऐसा भी शकील बदायूंनी के साथ हुआ. शायरी लिखने के जुनून और सनक ने उन्हें अपनी नौकरी छोडने पर मजबूर कर दिया. नौकरी छोड़ने के बाद उनको गजलों और गीतों में अपना कैरियर बनाने के लिए मुम्बई का रूख कर लिया.
यहां से उनके सघर्ष के दिनों की शुरूआत हुई. मुम्बई में शुरूआती दिनों में उन्हें काफी सघर्ष करना पड़ा.
कुछ दिन सघर्ष करने के बाद उनकी मुलाकता मशहूर निर्माता ए.आर. कारदार साहब और महान संगीतकार नौशाद से हुई। इसके कुछ समय बाद नौशाद के कहने पर शकील बदायूंनी ने सबसे पहले ‘हम दिल का अफसाना दुनिया को सुना देंगे, हर दिल में मोहब्बत की आग लगा देंगे’ गीत लिखा। नौशाद को यह गाना बहुत पसंद आया तो उन्होंने कारदार साहब की अगली फिल्म ‘दर्द’ के लिए साइन कर लिया।
Web Title:Shakeel Badaunni, who loves love
Feature Image : Shakeel Badaunni